50 मिनट से भी कम समय में आएगा Monkeypox का रिजल्ट, RT-PCR बेस्ड किट लॉन्च
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को चिंताजनक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. वैश्विक स्तर पर 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इसके कारण अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
देश की लीडिंग आईवीडी (IVD) मैन्यूफैक्चरर्स Genes2Me Pvt. Ltd. ने केवल 50 मिनट से भी कम समय में मंकीपॉक्स (MonkeyPox) का रिजल्ट देने वाले रियल-टाइम PCR बेस्ड किट विकसित करने की घोषणा की है.
यह किट किसी भी रियल टाइम पीसीआर इंस्ट्रूमेंट के स्टैंडर्ड वर्जन के साथ-साथ Genes2Me Rapi-Q HT Rapid RT-PCR डिवाइस पर प्वाइंट ऑफ केयर फॉर्मेट पर उपलब्ध होगा.
प्वाइंट ऑफ केयर साल्यूशन का इस्तेमाल हॉस्पिटल्स, एयरपोर्ट्स, डायग्नोस्टिक लैब्स, हेल्थ कैम्प्स सहित एक साथ कई जगहों पर स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है.
Genes2Me के वैज्ञानिक मंकीपॉक्स वायरस का पता लगाने के लिए POX-Q Multiplexed RT-PCR किट विकसित करने में कामयाब रहे हैं. इसके साथ ही यह एकल ट्यूब मल्टीप्लेक्स फॉर्मेट के तहत वैरीसेला जोस्टर वायरस (चिकन पॉक्स) को अलग करने में भी सक्षम है.
यह अपनी तरह का पहला 'मेड इन इंडिया' उत्पाद है. यह किट केवल रिसर्च बेस्ड (RUO) के रूप में उपलब्ध है. मंकीपॉक्स का पता लगाने के लिए, वीटीएम में रखे ड्राई स्वैब और स्वैब दोनों का उपयोग किया जा सकता है.
Genes2Me के सीईओ और संस्थापक नीरज गुप्ता ने कहा कि हमारे पास एक सप्ताह में 50 लाख टेस्ट किट बनाने की क्षमता है. हालांकि, अतिरिक्त मांग आने पर इसे एक दिन में 20 लाख टेस्ट किट बनाने तक बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि Genes2Me टीम ने RT-Direct को पहले मेड-इन-इंडिया COVID-19 एक्सट्रैक्शन फ्री RT-PCR किट के रूप में पेश किया है. यह SARS-CoV-2 के 3 लक्षणों पर काम करता है और 40 मिनट से भी कम समय में रिजल्ट देता है.
क्या है मंकीपॉक्स और कैसे फैलता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स एक पशु जनित वायरल है, जो पशुओं से मनुष्यों में फैलता है. इसमें चेचक के समान लक्षण दिखाई देते हैं. यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है.
मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने आदि के साथ प्रकट होता है और कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताओं को जन्म दे सकता है. इसके लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कम संक्रामक है और इससे मौत की आशंका बेहद कम होती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स को कड़ी निगरानी के जरिए प्रभावी रूप से रोका जा सकता है. संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करके और उनके संपर्क में आए लोगों को अलग करके संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगाई जा सकती है. साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि कमजोर रोग प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों की अधिक देखभाल करने की जरूरत है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को चिंताजनक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था.
वैश्विक स्तर पर 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इसके कारण अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
दिल्ली में एक 34 वर्षीय व्यक्ति के मंकीपॉक्स से संक्रमित पाए जाने के बाद भारत में इसके रोगियों की कुल संख्या बढ़कर चार हो गई है.