संसद में उठा कर्मचारियों के Moonlighting करने का मुद्दा, जानिए सरकार ने क्या कहा
पिछले कुछ महीने से Moonlighting पर देशभर में काफी बहस हो रही है. भले ही Moonlighting ने सभी इंडस्ट्रीज को प्रभावित किया हो लेकिन इससे सबसे अधिक प्रभावित सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं, ITES, मीडिया और कंसल्टिंग जैसे फील्ड हुए हैं.
इंडस्ट्री और कर्मचारियों के साथ देशभर में मूनलाइटिंग को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को संसद में कहा कि कानून के अनुसार कर्मचारियों को कंपनी के हितों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए. बता दें कि, कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कमाई के लिए स्वतंत्र कोई अन्य काम भी करता है तो उसे ‘Moonlighting’ कहा जाता है.
पिछले कुछ महीने से Moonlighting पर देशभर में काफी बहस हो रही है. भले ही Moonlighting ने सभी इंडस्ट्रीज को प्रभावित किया हो लेकिन इससे सबसे अधिक प्रभावित सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं, ITES, मीडिया और कंसल्टिंग जैसे फील्ड हुए हैं.
श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 के अनुसार एक कामगार किसी भी समय (किसी प्रकार का) उस औद्योगिक प्रतिष्ठान के हित के खिलाफ काम नहीं करेगा जिसमें वह कार्यरत है और प्रतिष्ठान में अपनी नौकरी के अलावा कोई भी रोजगार नहीं लेगा, जो उसके नियोक्ता के हित पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.
तेली इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या सरकार Moonlighting को कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का कारगर कारण मानती है. उसने पूछा गया था कि क्या सरकार ने देखा है कि Moonlighting के कारण छंटनी हो रही है.
Moonlighting पर कोई स्टडी नहीं करा रही सरकार
वहीं, संसद में यह सवाल भी पूछा गया कि क्या सरकार ने देश में Moonlighting पर कोई स्टडी की है. इस पर मंत्री ने जवाब दिया, "नहीं, सर."
Moonlighting के कारण छंटनी का कोई सबूत नहीं
मंत्री ने सदन को यह भी अवगत कराया कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों में रोजगार और छंटनी एक नियमित घटना है और यह इंगित करने के लिए कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है कि Moonlighting के कारण छंटनी हो रही है.
हालांकि, Moonlighting के साथ वर्क फ्रॉम होम की नीति ने इंडस्ट्री में नौकरी छोड़ने की दर बढ़ा दी. तीसरी तिमाही के अपने वित्तीय परिणामों में, भारत की सभी शीर्ष चार प्रमुख आईटी कंपनियों HCL, Wipro, Infosys और TCS में नौकरी छोड़ने की दर 20 फीसदी से अधिक रही.
कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार राज्य सरकारों के पास
इस सवाल के बारे में कि क्या सरकार ने Moonlighting के परिणामस्वरूप कंपनियों को कर्मचारियों को नहीं निकालने का निर्देश दिया है, मंत्री ने कहा कि आईटी, सोशल मीडिया, एडटेक फर्मों और संबंधित क्षेत्रों में मल्टीनेशनल और भारतीय कंपनियों के मामलों में अधिकार संबंधित राज्य सरकारों के पास है.
हालांकि, उन्होंने सदन को बताया कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों में छंटनी से संबंधित मामले औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (आईडी अधिनियम) के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं, जो कामगारों की छंटनी से पहले के विभिन्न पहलुओं और शर्तों को भी नियंत्रित करता है.
उन्होंने कहा कि आईडी अधिनियम के अनुसार, 100 व्यक्तियों या उससे अधिक को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठानों को बंद करने, छंटनी या ले-ऑफ करने से पहले उपयुक्त सरकार की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता होती है.
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आईडी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नहीं किए जाने वाले किसी भी छंटनी और ले-ऑफ को अवैध माना जाता है.
आईडी एक्ट मुआवजे के लिए निकाले गए और छंटनी किए गए कामगारों के अधिकार का भी प्रावधान करता है और इसमें छंटनी किए गए कामगारों को फिर से रोजगार देने का भी प्रावधान है. आईडी अधिनियम में सीमांकित उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र के आधार पर, केंद्र और राज्य सरकारें अधिनियम के प्रावधान के अनुसार कामगारों के मुद्दों को हल करने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए कार्रवाई करती हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रतिष्ठानों में, केंद्रीय औद्योगिक संबंध मशीनरी (CIRM) को अच्छे औद्योगिक संबंध बनाए रखने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने का काम सौंपा गया है, जिसमें ले-ऑफ और छंटनी और उनकी रोकथाम से संबंधित मामले शामिल हैं.