Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मां हाशमी बेगम ने चूड़ियां बेचकर पढ़ाया तो बेटी अकमल जहां बन गईं जज

उत्तराखंड की एक और बेटी बनी मिसाल...

मां हाशमी बेगम ने चूड़ियां बेचकर पढ़ाया तो बेटी अकमल जहां बन गईं जज

Tuesday December 24, 2019 , 3 min Read

असमय पति के इंतकाल के बावजूद चूड़ियां बेचकर बेटी को पढ़ाने वाली हाशमी बेगम की अब खुशी का कोई पारावार नहीं। बेटी अकमल जहां अंसारी जज बन चुकी हैं। पीसीएस-जे एग्जाम में उन्हे 20वीं रैंक मिली है। अकमल की छोटी बहन तरन्नुम डीएलएड कर रही हैं तो सबसे छोटा भाई हसनैन एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है।

k

अपनी मां हाशमी बेगम के साथ अकमल जहां

उत्तराखंड की एक और बेटी मिसाल बन गई है अकमल जहां अंसारी। इसी प्रदेश से कुछ समय पहले एक ऑटो रिक्शा चालक की बेटी जज बनी थीं, तो अब हरिद्वार के गांव घिस्सूपुरा की अकमल जहां ने नाम रोशन किया है।


वह अकमल, जिन्हें उनकी मां ने अपनी चूड़ियां बेंचकर पढ़ाया-लिखाया है। जिंदगी की तमाम दुश्वारियों से जूझते हुए एक अत्यंत गरीब परिवार की इस होनहार बेटी को सफलता के शिखर पहुंचाने के लिए उनकी मां ने कैसे कैसे दिन देखे हैं, जानने वाले हैरत में रह जाते हैं।


आखिरकार, उनका संघर्ष अब रंग लाया है, उम्मीदें परवान चढ़ी हैं। गत दिनो जब पीसीएस-जे का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो अकमल को न्यायपालिका की सबसे सम्मानित-प्रतिष्ठित कुर्सी संभालने का अवसर आ मिला।


अकमल ने बताया कि छोटी बहन तरन्नुम टीचर बनने के लिए डीएलएड कर रही है। सबसे छोटा भाई हसनैन भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है।


तंगहाली में दिन गुजारती मां के साथ पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर की संतान अकमल को अपनी जिंदगी में बड़े मुश्किल वक़्त गुजारने पड़े हैं। उनके पिता निसार अहमद अंसारी की वर्ष 2007 में ही आक्समिक मृत्यु हो गई थी। पांच बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी अकमल की मां हाशमी बेगम के कंधों पर आ पड़ी। उस समय अकमल 11वीं क्लास में पढ़ रही थीं।





बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई पूरी करने के लिए हाशिमा बेगम ने घर के ही एक कोने में चूड़ी की दुकान खोल दी। आर्थिक तंगी के बाद भी अकमल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। इसके बाद फेरुपुर इंटर कॉलेज से उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की।


उसी समय उन्होंने जज बनने के संकल्प के साथ कानून की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। वहां से उन्होंने एलएलबी और एलएलएम करने के बाद वर्ष 2018 में पीसीएस जे की परीक्षा दी, लेकिन असफल रहीं। अब दूसरे प्रयास में उन्हे 20वीं रैंक के साथ सफलता मिली।


अपने बीते कठिन दिनो को दुहराती हुई अकमल बताती हैं कि

‘‘उनकी पढ़ाई में बार-बार बांधाएं पैदा हुईं लेकिन मां ने खर्च उठाने में कोई कमी नहीं रखी। मां का हौसला इसलिए बना रहा कि उन्होंने भी हिम्मत नहीं हारी।’’


अपनी सफलता के लिए वह अपनी मां और शिक्षकों की आभारी हैं। वह गरीबी में दिन गुजार चुकी हैं, इसलिए न्यायपालिका में वह खास कर गरीब महिलाओं को प्राथमिकता से न्याय दिलाना चाहेंगी।


अकमल की इस बेमिसाल कामयाबी पर बात करते समय उनकी मां मां हाशिम बेगम की आंखें खुशी से छलक पड़ती हैं। वह कहती हैं कि कई बार आर्थिक तंगी में उन्हे लगता था कि अकमल की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाएगी लेकिन हिम्मत और मेहनत से वह सब अब झूठा सच हो चुका है। इस समय बधाई देने के लिए उनके घर पर क्षेत्र के लोगों का तांता लगा हुआ है।