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समयपूर्व लोन चुकाने पर बैंकों के भारी जुर्माने के खिलाफ MSMEs ने RBI से शिकायत की

एक फोरक्लोजर चार्ज या पूर्व भुगतान जुर्माना, वह अतिरिक्त राशि है जो ऋणदाता आपसे समयसीमा समाप्त होने से पहले लोन को बंद करने के लिए लेते हैं.

समयपूर्व लोन चुकाने पर बैंकों के भारी जुर्माने के खिलाफ MSMEs ने RBI से शिकायत की

Tuesday July 12, 2022 , 3 min Read

ऐसे समय में जब थोक मूल्य मुद्रास्फीति कार्यशील पूंजी पर दबाव बढ़ा रही है तब छोटे कारोबारों के एक संघ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकों द्वारा लगाए गए फोरक्लोजर और गैर-अनुपालन शुल्क पर राहत की मांग की है.

बता दें कि, एक फोरक्लोजर चार्ज या पूर्व भुगतान जुर्माना, वह अतिरिक्त राशि है जो ऋणदाता आपसे समयसीमा समाप्त होने से पहले लोन को बंद करने के लिए लेते हैं.

कई उधारदाताओं की आमतौर पर एक से दो साल के बीच की लॉक-इन अवधि होती है, जिसके दौरान आप लोन को फोरक्लोज़ नहीं कर सकते. यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको अधिक पूर्व भुगतान दंड देना होगा.

सेंट्रल बैंक को भेजे गए पत्र में फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (FISME) ने आरोप लगाया कि एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक कहीं और बेहतर शर्तों और क्रेडिट सुविधाओं की तलाश में एमएसएमई कर्ज लेने वालों को दंडित करने के लिए फोरक्लोजर और गैर-अनुपालन शुल्क का इस्तेमाल कर रहे हैं.

FISME के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि एमएसएमई को बैंक का समयपूर्व कर्ज चुकाने पर बहुत कठोर और अवैध फोरक्लोजर और गैर-अनुपालन शुल्क लगाया जाता है और बैंकिंग लोकपाल प्रभावित एमएसएमई को न्याय देने में विफल रहा है.

उन्होंने कहा कि करीब 100 छोटे उद्यमों ने उन चार्जेज के बारे में शिकायत की है जो उच्च ब्याज दरों हासिल का एक साधन बन गए हैं. एक मामले में 3.5 करोड़ रुपये के लोन के लिए 14 लाख रुपये का फोरक्लोजर चार्ज और 54 लाख रुपये का गैर-अनुपालन चार्ज लगाया गया.

आई.पी. पसरीचा एंड कंपनी के मनीत पाल सिंह ने कहा कि फोरक्लोज़र शुल्क तब लगाया जाता है जब या तो अत्यधिक ब्याज दर या सेवाओं में लापरवाही के कारण कोई ग्राहक अवधि समाप्त होने से पहले ऋण को बंद करना चाहता है. ग्राहक को रोकने के लिए बैंक 2-4 फीसदी का जुर्माना लगाते हैं.

FISME ने कहा कि जब जयपुर स्थित नीलम एक्वा एंड स्पेशलिटी केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपना बैंक अकाउंट दूसरे बैंक में शिफ्ट किया तब एक्सिस बैंक ने उनसे फोरक्लोजर और गैर-अनुपालन चार्ज के रूप में 80 लाख रुपये मांगे. एक अन्य मामले में कोटक महिंद्रा बैंक ने जोधपुर स्थित सुपर मेटल्स से गैरज-अनुपालन चार्ज के रूप में 15.34 लाख रुपये मांगे.

एमएसएमई ने आरोप लगाया कि बैंकिंग लोकपाल ने सेवा में कोई कमी नहीं की बात कहते हुए शिकायतों का निपटारा कर दिया. FISME ने कहा कि MSME को फैसलों के खिलाफ अपील करने से भी रोक दिया गया है.