Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

प्रदूषित हवा से कार्बन निकाल कर टाइल्स बना रही है ये कंपनी, हर टाइल के लिए 30 हज़ार लीटर हवा होती है साफ

प्रदूषित हवा से कार्बन निकाल कर टाइल्स बना रही है ये कंपनी, हर टाइल के लिए 30 हज़ार लीटर हवा होती है साफ

Saturday May 02, 2020 , 3 min Read

प्रदूषित हवा में घुले हुए कार्बन कणों को अलग करके टाइल बनाने के अनोखे विचार के साथ ये कंपनी आगे बढ़ रही है।

(चित्र: द बेटर इंडिया)

(चित्र: द बेटर इंडिया)



तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ने सांस लेने के लिए जरूरी साफ हवा में जहर घोल दिया है। इस मुद्दे को हल करने के लिए 2016 में कार्बन क्राफ्ट डिजाइन की स्थापना तेजस सिडल ने की थी, जो जलवायु परिवर्तन कार्रवाई के लिए एक कमर्शियल समाधान प्रदान करता है। यह स्थिरता, क्राफ्ट, डिजाइन और टेक्नालजी के संयुक्त मिश्रण के साथ बनाया गया है।


मुंबई स्थित डिजाइन और मटीरियल इनोवेशन कंपनी ने एक भारतीय स्टार्टअप एयर-इंक के साथ मिलकर एक बहुत ही अनोखा इनोवेशन शुरू किया है, जो प्रदूषण को स्याही में बदल देता है। स्टार्टअप ने एक ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें वायु से प्रदूषण (कार्बन) को कैप्चर करना और इसे डिजाइनर टाइल में तब्दील करना शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन टाइल का आविष्कार हुआ।


तेजस सिदनाल ने द बेटर इंडिया को बताया।

“प्रत्येक कार्बन टाइल 30,000 लीटर हवा की सफाई के बराबर है। इसके अलावा, ये टाइलें विट्रीफाइड टाइल्स के निर्माण के लिए आवश्यक ऊर्जा का केवल पांचवां हिस्सा लेती हैं।”

हर टाइल को शुरू से अंत तक हैंडक्राफ्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया में इन्हे काटना, आकार देना, जुड़ना, भरना और अंत में टाइल बनाना शामिल है। कैप्चर किए गए कार्बन को पहले अत्यधिक जहरीली धातु अशुद्धियों को हटाने के लिए प्रोसेस किया जाता है और फिर कार्बन टाइलों को सफलतापूर्वक शिल्प करने के लिए सीमेंट और संगमरमर डेरिवेटिव के मिश्रण के साथ फ्यूज किया जाता है।


कार्बनक्राफ्ट डिज़ाइन के लीड डिज़ाइनर किशोर अवध ने वन अर्थ को बताया,

“हमने अपने सौंदर्य लाभ के लिए प्रदूषण के रंग का उपयोग किया और केवल काले रंगों में टाइलें बनाईं। लेकिन चूंकि प्रदूषण का स्रोत हर बार बदलता रहता है, इसलिए काले रंग की छाया भी अलग-अलग हो सकती है।"

इस प्रक्रिया में जेनेरिक टाइल्स के उत्पादन की तुलना में कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक प्रोटोटाइप के साथ आने के बाद टीम ने बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए गुजरात और तमिलनाडु में पारंपरिक दस्तकारी सीमेंट टाइल उत्पादकों से संपर्क किया। उपयोग किए गए टाइल के प्रति 190 रुपये प्रति वर्ग के हिसाब से टाइल्स का उत्पादन किया जाता है। इस बीच, पारंपरिक टाइल्स की कीमत 50 रुपये से 1,000 रुपये के बीच है।


कार्बन क्राफ्ट ने जो दो श्रृंखलाएँ जारी की हैं, वे इडेनटाइल श्रृंखला (मानक श्रेणी) और इंडसटाइल श्रृंखला (प्रीमियम रेंज) हैं। वर्ष 2020 में टीम का उद्देश्य वातावरण से हटाए गए एक टन काले कार्बन कणों का उपयोग करना है।