डॉ. जितेंद्र सिंह से मिले NASA चीफ; ISRO के साथ मिलकर सैटेलाइट लॉन्च करने पर की चर्चा
इसरो/अंतरिक्ष विभाग (DoS) प्रमुख अमेरिकी उद्योगों (जैसे Boeing, Blue Origin और Voyager) के साथ सहयोग के विशिष्ट पहलुओं पर भारतीय वाणिज्यिक संस्थाओं के साथ संयुक्त रूप से सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भी विचार-विमर्श कर रहा है.
भारत और अमेरिका अगले वर्ष की पहली तिमाही में पृथ्वी के अवलोकन के लिए संयुक्त माइक्रोवेव सुदूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) उपग्रह का प्रक्षेपण (लॉन्च) करेंगे, जिसका नाम NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) है. यह बात केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान उस समय कही जब नासा के नेतृत्व में उसके प्रशासक बिल नेल्सन ने नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की.
NISAR को भारत के भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) पर रखकर प्रक्षेपित करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रकार क्षेत्रीय से लेकर वैश्विक स्तर पर भूमि इकोसिस्टम, ठोस पृथ्वी की विकृति, पर्वतीय और ध्रुवीय हिममण्डल (क्रायोस्फेयर), समुद्री बर्फ एवं तटीय महासागरों का अध्ययन करने के लिए NISAR का डेटा अत्यधिक उपयुक्त सिद्ध होगा.
यह बताया गया कि इसरो के एस-बैंड एसएआर को जेपीएल/नासा में नासा के एल-बैंड एसएआर के साथ एकीकृत किया गया था और अब एकीकृत एलएंडएस बैंड एसएआर का वर्तमान में नासा/जेपीएल अधिकारियों की भागीदारी के साथ यूआरएससी, बैंगलूरू में उपग्रह के साथ परीक्षण चल रहा है.
चंद्रमा के अछूते दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर ऐतिहासिक चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह को बधाई देते हुए, नेल्सन ने डॉ. जितेंद्र सिंह से नासा रॉकेट पर स्थापित करने के बाद प्रक्षेपण हेतु निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री से संबंधित कार्यक्रम में तेजी लाने का आग्रह किया. इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों पक्ष अगले वर्ष दो सप्ताह की संयुक्त भारत-अमेरिका अंतरिक्ष उड़ान शुरू करने पर सहमत हुए थे. नासा 2024 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन में एक अवसर की पहचान कर रहा है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग पर एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) का गठन किया है और विकिरण प्रभाव अध्ययन, सूक्ष्म उल्कापिंड और कक्षीय मलबे से बचाव के अध्ययन में सहयोग, अंतरिक्ष स्वास्थ्य और चिकित्सा पहलुओं की संभावनाओं का पता लगा रहे रहे हैं. नागरिक अंतरिक्ष सहयोग पर भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य समूह (CSJWG) की 8वीं बैठक जनवरी 2023 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित की गई थी.
इसरो/अंतरिक्ष विभाग (DoS) प्रमुख अमेरिकी उद्योगों (जैसे Boeing, Blue Origin और Voyager) के साथ सहयोग के विशिष्ट पहलुओं पर भारतीय वाणिज्यिक संस्थाओं के साथ संयुक्त रूप से सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भी विचार-विमर्श कर रहा है.
भारतीय पक्ष ने बताया कि कार्यान्वयन व्यवस्था (इम्प्लीमेंटिंग एरेंजमेंट) पर एक अवधारणा पत्र इसरो और नासा के बीच विचाराधीन है. कुछ पुनरावृत्तियों के बाद दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से एक मसौदे पर सहमत हुए और अब इसे अंतर-सरकारी अनुमोदन के लिए संसाधित किया गया है.
इसरो गगनयान मॉड्यूल माइक्रोमेटोरॉइड और ऑर्बिटल मलबे (MMOD) की प्रोटेक्शन शील्ड्स के परीक्षण के लिए नासा की हाइपरवेलोसिटी इम्पैक्ट टेस्ट (HVIT) सुविधा का उपयोग करने की व्यवहार्यता का भी पता लगा रहा है.
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार शुरू करने के बाद से भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्ट-अप्स में तेजी आई है. लगभग चार वर्ष की छोटी सी अवधि में ही अंतरिक्ष (स्पेस) स्टार्ट-अप्स की संख्या मात्र एक अंक से बढ़कर अब 150 से अधिक हो गई है और इसके साथ ही पहले वाले स्टार्ट-अप्स अब कुछ आकर्षक उद्यमियों में बदल गए हैं.
नेल्सन स्वयं भी एक अंतरिक्ष यात्री रहे हैं और उन्होंने 1986 में 'कोलंबिया' यान पर 24वीं अंतरिक्ष शटल उड़ान के चालक दल के साथ उड़ान भरी थी, ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पोलर सैटेलाईट लॉन्च वेहिकल-PSLV) पर अमेरिका से 231 उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए इसरो की सराहना की.
नेल्सन ने कहा कि वह कल बेंगलुरु में भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से मिलने के लिए उत्सुक हैं. इस बैठक में भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी भी उपस्थित थे.