क्या NDTV के टेकओवर में सफल नहीं हो पाएंगे गौतम अडानी? ओपन ऑफर के पहले ही दिन लगा झटका
294 रुपये प्रति शेयर पर 1.67 करोड़ शेयरों के लिए ओपन ऑफर 5 दिसंबर को बंद होगा. लगभग 493 करोड़ रुपये का ओपन ऑफर कंपनी में अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए है.
बीते 22 नवंबर को देश के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी को तब जोरदार झटका लगा जब मीडिया कंपनी नयी दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) में बाजार से अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अडाणी समूह की खुली पेशकश के लिए पहले ही दिन कोई सामने नहीं आया.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 294 रुपये प्रति शेयर पर 1.67 करोड़ शेयरों के लिए ओपन ऑफर 5 दिसंबर को बंद होगा. लगभग 493 करोड़ रुपये का ओपन ऑफर कंपनी में अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए है.
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि एनडीटीवी के शेयरों की कीमत लगातार गिरने के बावजूद अभी तक ओपन ऑफर में कोई शेयर नहीं दिया गया है.
आंकड़ों से पता चलता है कि मंगलवार को बीएसई पर एनडीटीवी के शेयर पिछले दिन के मुकाबले 1.56 फीसदी की गिरावट के साथ 376.25 रुपये पर बंद हुए. गुरुवार से बीएसई पर एनडीटीवी के शेयर की कीमत 11.17 फीसदी गिर चुकी है. लेकिन मंगलवार की क्लोजिंग के आधार पर ट्रेडिंग कीमत अब भी ओपन ऑफर प्राइस से करीब 28 फीसदी अधिक है.
InGovern के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा कि पहले दिन की प्रतिक्रिया को देखते हुए इस कीमत पर ओपन ऑफर के सफल होने की संभावना नहीं है. अब तक अडानी समूह ने ओपन ऑफर की कीमत में संशोधन नहीं किया है और न ही एनडीटीवी प्रमोटर्स ने कोई काउंटर ऑफर पेश किया है.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि फिलहाल के लिए यथास्थिति बनी रहेगी जिसमें एनडीटीवी के प्रमोटरों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के पास 32.26 फीसदी शेयर और अडानी ग्रुप के पास 29.18 फीसदी के शेयर हैं. कंपनी के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों को एक साथ रहना सिखना पड़ेगा.
रॉय और अडानी समूह के अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कंपनी में 14.72 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और इंडीविजुअल्स और अन्य संस्थाओं की फर्म में 23.84 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
शुक्रवार को एनडीटीवी के स्वतंत्र निदेशकों ने शेयरधारकों से ओपन ऑफर का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने को कहा था, क्योंकि ट्रेडिंग मूल्य ओपन ऑफर मूल्य से अधिक था.
बता दें कि, पिछले महीने, अडानी समूह ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को लिखकर एनडीटीवी में अतिरिक्त शेयरों के लिए ओपन ऑफर प्रक्रिया को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की थी. इसमें देरी के बाद सेबी ने आखिरकार इस महीने की शुरुआत में ओपन ऑफर को अपनी मंजूरी दे दी थी.
अडानी ने ऐसे हासिल की NDTV में हिस्सेदारी
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) गौतम अडानी की कंपनी है और एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (AMNL) इसी की मीडिया कंपनी है. इस साल अगस्त में अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी अडानी मीडिया नेटवर्क्स ने वीपीसीएल का अधिग्रहण कर लिया. वीपीसीएल का मालिकाना हक इससे पहले एमिनेंट नेटवर्क्स एंड नेक्स्टवेव टेलिवेंचर्स के पास था.
वीपीसीएल के पास एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी आरआरपीआर के कन्वर्टिबल डिबेंचर्स थे, जिसे कंपनी ने लोन के बदले जारी किया था. कन्वर्टिबल डिबेंचर्स ऐसे वॉरंट होते हैं, जिनसे डेट यानी कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है.
ये डिबेंचर्स 2009-10 में 404 करोड़ रुपये के लोन के बदले लिए गए थे. वीपीसीएल ने इन डिबेंचर्स को ही इक्विटी में बदल दिया. इसका मतलब है कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में एनडीटीवी के संस्थापकों ने कंपनी को मीडिया समूह में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की इजाजत दी थी. वीपीसीएल ने आरआरपीआर में 99.50 फीसदी हिस्सेदारी को कंट्रोल करने के अधिकार का इस्तेमाल किया है.
क्या होता है ओपन ऑफर?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी (SEBI) के अनुसार वह कंपनी ओपन ऑफर ला सकती है जो किसी दूसरी कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण कर रही हो. जब अधिग्रहण करने वाली कंपनी टारगेट कंपनी के शेयरहोल्डर्स को एक तय भाव पर शेयर बेचने का ऑफर देती है, तो उसे ओपन ऑफर कहा जाता है. देखा जाए तो एक ओपन ऑफर के जरिए कंपनी दूसरी कंपनी के शेयरहोल्डर्स को अपने शेयर बेचकर कंपनी से बाहर निकलने का मौका देती है.
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