कभी ट्रैक सूट खरीदने के लिए नहीं हुआ करते थे पैसे, अब टिकट कटा टोक्यो ओलंपिक जाएंगी बॉक्सर लवलीना
इतिहास रचने टोक्यो ओलंपिक जा रही हैं लवलीना, बॉक्सिंग में देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाना है लक्ष्य
"वह पल लवलीना की ज़िंदगी को बदलने वाला था जब उन्होने एक अखबार के टुकड़े पर पहली बार महान बॉक्सर मोहम्मद अली की तस्वीर देखी थी। जब लवलीना के पूछने पर उनके पिता नें उन्हें मोहम्मद अली के बारे में बताया तब लवलीना ने दिलचस्पी लेते हुए पहली बार बॉक्सिंग को समझना शुरू किया था।"
लवलीना बोरगोहेन का नाम शायद आप पहली बार पढ़ रह हों, लेकिन यही लवलीना बोरगोहेन जल्द ही ओलंपिक में देश को बॉक्सिंग का पहला स्वर्ण पदक देने के लक्ष्य के साथ रिंग में उतरने वाली हैं।
अपने छोटे से बॉक्सिंग करियर में पहले ही तमाम उपलब्धियां हासिल कर चुकीं लवलीना के लिए ये रास्ता तय करना कतई आसान नहीं था, लेकिन उनके अथक परिश्रम और लगन ने उनके और उनकी सफलता के बीच आने वाली सभी मुसीबतों को बौना साबित करने का काम किया है।
एक तस्वीर ने किया प्रेरित
मीडिया के साथ हुई बातचीत में लवलीना ने बताया है कि उनके घर में तीन लड़कियां थीं और लोग उस समय उनके माता-पिता को ताना दिया करते थे कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकती हैं। ऐसे समय में लवलीना की माँ उन्हें मेहनत कर खुद को साबित करने के लिए प्रेरित किया करती थीं।
वह पल लवलीना की ज़िंदगी को बदलने वाला था जब उन्होने एक अखबार के टुकड़े पर पहली बार महान बॉक्सर मोहम्मद अली की तस्वीर देखी थी। जब लवलीना के पूछने पर उनके पिता नें उन्हें मोहम्मद अली के बारे में बताया तब लवलीना ने दिलचस्पी लेते हुए पहली बार बॉक्सिंग को समझना शुरू किया था।
नहीं थे ट्रैकसूट खरीदने के पैसे
असम के एक छोटे से गाँव में पैदा हुईं लवलीना के निम्नवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। लवलीना के पिता ने भी मीडिया को बताया है कि तब उनकी मासिक तंख्वाह महज 13 सौ रुपये थी और ऐसे में कई बार पैसों की कमी के चलते लवलीना के पास ट्रैकसूट तक नहीं होता था, लेकिन वे इसकी शिकायत नहीं करती थीं।
जब लवलीना 9वीं कक्षा में थीं तभी स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उनकी प्रतिभा और खेल के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें दाखिला दे दिया। साई में अपनी ट्रेनिंग शुरू करने से लवलीना को बेहतर कोचिंग मिल रही थीं, जिसके साथ उनकी प्रतिभा निखरकर सामने आ रही थी।
ओलंपिक स्वर्ण पदक पर नज़र
69 किलोग्राम वर्ग में बॉक्सिंग करने वाली लवलीना विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में दो बार मेडल जीत चुकी हैं, जबकि 2017 की एशियन चैंपियनशिप में भी उन्होने कांस्य पदक जीता है। इसी के साथ अब वे ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली असमी महिला बन गईं हैं।
गौरतलब है कि इन सभी प्रतियोगिताओं में लवलीना को कांस्य या रजत पदक ही हासिल हुए हैं, ऐसे में अब लवलीना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के उद्देश्य से अपनी तैयारी के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। मालूम हो कि अभी तक ओलंपिक में भारत को बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक हासिल नहीं है, ऐसे में लवलीना एक स्वर्णिम इतिहास रचने की ओर आगे बढ़ रही हैं।
लवलीना कहती हैं कि अक्सर ऐसा होता है कि देश में लोग नेशनल लेवल पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भूल जाते हैं, लेकिन ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ी को देश हमेशा याद रखता है और बस इसी सपने के साथ वो ओलंपिक मेडल जीतना चाहती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi