माइक्रो एण्ड स्मॉल एंटरप्राइज क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (MSE-CDP) के नए दिशा-निर्देशों को मिली मंजूरी
सरकार ने सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP) के नए दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी है, जिसे 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के दौरान लागू किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म और लघु उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में इस तरह के हस्तक्षेपों के जरिए बढ़ोतरी करना है:
सामान्य सुविधा केंद्र (CFC): केंद्र सरकार का अनुदान 5.00 करोड़ रुपये से 10.00 करोड़ रुपये तक लागत वाली परियोजना के लिए 70% तक और 10.00 करोड़ रुपये से 30.00 करोड़ रुपये लागत वाली परियोजना के लिए 60% तक सीमित होगा।
जहां तक पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों, द्वीप क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों की बात है तो सरकारी अनुदान 5.00 करोड़ रुपये से 10.00 करोड़ रुपये लागत तक की परियोजना के लिए 80% तक और 10.00 करोड़ रुपये से 30.00 करोड़ रुपये लागत तक की परियोजना के लिए 70% तक सीमित होगा। 30 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत की परियोजना के लिए सीएफसी की परियोजना पर भी विचार किया जाएगा लेकिन सरकारी सहायता की गणना 30 करोड़ रुपये की अधिकतम पात्र परियोजना लागत को ध्यान में रखकर की जाएगी।
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: नई औद्योगिक संपदा/फ्लैटयुक्त फैक्टरी परिसर की स्थापना के लिए 5.00 करोड़ रुपये से 15.00 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए सरकारी अनुदान लागत के 60% तक सीमित होगा। वहीं मौजूदा औद्योगिक संपदा/फ्लैटयुक्त फैक्टरी परिसर के उन्नयन के लिए 5.00 करोड़ रुपये से 10.00 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए सरकारी अनुदान लागत के 50% तक सीमित होगा।
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों, द्वीप क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों की बात करें तो नई औद्योगिक संपदा/फ्लैटयुक्त फैक्टरी परिसर की स्थापना के लिए 5.00 करोड़ रुपये से 15.00 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए सरकारी अनुदान लागत के 70% तक सीमित होगा और मौजूदा औद्योगिक संपदा/फ्लैटयुक्त फैक्टरी परिसर के उन्नयन के लिए 5.00 करोड़ रुपये से 10.00 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए ये सरकारी अनुदान लागत के 60% तक सीमित होगा।
बुनियादी ढांचा विकास परियोजना के लिए 10.00 करोड़/15.00 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाली परियोजना पर भी विचार किया जा सकता है लेकिन सरकारी सहायता की गणना 10.00 करोड़/15.00 करोड़ रुपये की अधिकतम पात्र परियोजना लागत को ध्यान में रखकर की जाएगी।