राज्यों में कारोबार सुगमता की अगली रैंकिंग मार्च तक हो सकती है जारी
राज्य कारोबार सुगमता बढ़ाने के लिये अनेक कदम उठा रहे हैं। निवेशकों को निवेश के लिये एक ही खिड़की पर सभी तरह की मंजूरियां देने सहित अन्य कदम उठाये जा रहे हैं। राज्यों में कारोबार सुगमता रैकिंग के लिये जिन मानदंडों पर गौर किया जा रहा है उनमें निर्माण कार्य के लिये परमिट, श्रम क्षेत्र के नियमन, पर्यावरण पंजीकरण, सूचना सुलभता, भूमि उपलब्धता और एकल खिड़की प्रणाली प्रमुख हैं।
राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में कारोबार सुगमता को लेकर उनकी नई क्रमसंख्या (रैकिंग) मार्च में जारी की जा सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा।
अधिकारी ने कहा,
‘‘कारोबार सुगमता के मामले में राज्यों की क्रमिक स्थिति अब फरवरी अंत में या फिर मार्च में जारी की जायेगी। दिल्ली में चुनाव की वजह से इसमें देरी हुई है।’’
इस पूरी कवायद का मकसद राज्यों के बीच बेहतर कारोबारी माहौल पैदा करने के लिये प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। बेहतर कारोबारी माहौल से राज्यों में घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
यही वजह है कि राज्य कारोबार सुगमता बढ़ाने के लिये अनेक कदम उठा रहे हैं। निवेशकों को निवेश के लिये एक ही खिड़की पर सभी तरह की मंजूरियां देने सहित अन्य कदम उठाये जा रहे हैं।
राज्यों में कारोबार सुगमता रैकिंग के लिये जिन मानदंडों पर गौर किया जा रहा है उनमें निर्माण कार्य के लिये परमिट, श्रम क्षेत्र के नियमन, पर्यावरण पंजीकरण, सूचना सुलभता, भूमि उपलब्धता और एकल खिड़की प्रणाली प्रमुख हैं।
आंतरिक व्यापार और उद्योग संर्वधन विभाग (डीपीआईआईटी) विश्व बैंक के साथ मिलकर इस मामले में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में कारोबार सुधार कार्रवाई योजना के तहत सालाना आधार पर आर्थिक क्षेत्र के सुधारों की समीक्षा करता है।
कारोबार सुगमता को लेकर जुलाई 2018 में जारी राज्यों की रैंकिंग में आंध्र प्रदेश का स्थान सबसे ऊपर रहा। इसके बाद तेलंगाना और हरियाणा क्रमश दूसरे और तीसरे स्थान पर आये। पहले दस स्थानों में झारखंड का चौथा, गुजरात पांचवें, छत्तीसगढ़ छह, मध्य प्रदेश सातवें, कर्नाटक आठवें, राजस्थान नौवें और पश्चिम बंगाल दसवें स्थान पर रहा था।
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता पर जारी हाल की रिपोर्ट में भारत 190 देशों में से 77 से आगे बढ़ाकर 63वें स्थान पर पहुंच गया।
(Edited by रविकांत पारीक )