अब सभी कंपनियां एक ही नाम से बेचेंगी खाद, सरकार ने लागू की ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ स्कीम
इस आदेश के बाद यूरिया, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरिअट ऑफ ऊटस (MOP) और एनपीके, भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके के ब्रांड नाम के साथ अपना प्रोडक्ट बेचेंगी.
देशभर में खाद के ब्रांड्स में एकरुपता (यूनिफॉर्मिटी) लाने के लिए सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सभी कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स एक सिंगल ब्रांड ‘भारत’ के नाम से बेचने के लिए कहा.
इस आदेश के बाद यूरिया, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरिअट ऑफ ऊटस (MOP) और एनपीके, भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके के ब्रांड नाम के साथ अपना प्रोडक्ट बेचेंगी. इसका मतलब है कि पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर सभी कंपनियां अपने नाम की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करेंगी.
सरकार के इस आदेश के खिलाफ उर्वरक कंपनियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यह उनके ब्रांड मूल्य और बाजार में विविधता को खत्म कर देगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि कंपनियों को बैगों पर एकल ब्रांड नाम और प्रधानमंत्री भारतीय जनुर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) का लोगो दिखाना होगा. पीएमबीजेपी योजना के तहत केंद्र सरकार उर्वरक पर सालाना सब्सिडी देती है.
इंडस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि बोरे की टोटल पैकेजिंग के एक बहुत छोटे हिस्से पर कंपनी का नाम लिखा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि यह कदम उर्वरक कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि प्रोडक्ट में विविधता होने के अलावा ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स जब किसानों के खेतों में पहुंचते हैं तब उससे कंपनी की छवि बनाने में भी मदद मिलती है.
अधिकारी ने कहा कि उर्वरक कंपनियां लेवल डिमॉन्स्ट्रेशन, फसल सर्वेक्षण जैसी बहुत सारी विस्तार गतिविधियां करती. उनके ब्रांड इन्हें प्रमुखता से प्रदर्शित करते हैं और यह किसानों तक पहुंचने में भी मदद करता है. ये सब अब खत्म हो जाएगा.
इस बीच, आदेश में कहा गया है कि उर्वरक कंपनियों को 15 सितंबर से पुराने डिजाइन के बोरे खरीदने की अनुमति नहीं होगी और नई प्रणाली 2 अक्टूबर, 2022 से लागू होगी. कंपनियों को अपने सभी पुराने डिजाइन वाले बोरे को समाप्त करने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया गया है.
बता दें कि, हाल ही में सरकार ने संसद में कहा था कि अगले दो-तीन साल में पांच से छह नैनो यूरिया संयंत्र स्थापित किए जाएंगे जिनसे हर महीने छह लाख टन से ज्यादा यूरिया उपलब्ध हो सकेगा.
नैनो यूरिया को अब देश भर के किसान व्यापक रूप से स्वीकार कर रहे हैं. इस वित्तवर्ष में अब तक 500 मिलीलीटर की 1.12 करोड़ बोतलें बेची जा चुकी हैं. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान तरल रूप में नैनो यूरिया की कुल 2.15 करोड़ बोतलें बेची गई थीं.
उल्लेखनीय है कि नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और इसे उर्वरकों की जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
Edited by Vishal Jaiswal