महाराष्ट्र में नर्स की सूझबूझ से जुड़वां बच्चों की मां को बचाने में मिली मदद
औरंगाबाद, महाराष्ट्र के एक सरकारी अस्पताल में एक नर्स की सूझबूझ और चिकित्सा संबंधी जानकारी की बदौलत जुड़वां बच्चों की मां की जान बच गयी।
सरकारी चिकित्सा कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) के महिला रोग विभाग के प्रमुख डॉ. श्रीनिवास गडप्पा ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि नर्स ध्यानेश्वरी घोडके की सलाह पर अमल के बाद 17 जुलाई को एक महिला का रक्तस्राव रूक गया और दूसरी सर्जरी भी नहीं करनी पड़ी।
रक्तस्राव रोकने के लिए सर्जरी कर महिला का गर्भाशय निकालना पड़ता। घोडके ने त्वरित सूझबूझ दिखाते हुए विभाग की मदद की।
डॉ. गडप्पा ने बताया,
‘‘जालना की 22 वर्षीय महिला ने जीएमसीएच में 17 जुलाई की रात ऑपरेशन के बाद जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। हालांकि बच्चा होने के बाद महिला का रक्तस्राव बहुत बढ़ गया।’’
खून रोकने के लिए डॉक्टर महिला की एक और सर्जरी करने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच घोडके ने सुझाव दिया कि महिला तुरंत अपने नवजात बच्चों को दूध पिलाना शुरू कर दे।
डॉ. गडप्पा ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में यह एक तथ्य है कि स्तनपान कराने से मां के खून में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रवाह बढ़ता है इससे रक्तस्राव बंद हो जाता है।
उन्होंने कहा,
‘‘यह एक जाना-माना तथ्य है लेकिन हमने कभी आजमाया नहीं था। इस सुझाव से मदद मिली और एक घंटे में रक्तस्राव रूक गया। गर्भाशय हटाने के लिए महिला की सर्जरी भी नहीं करनी पड़ी।’’
पिछले 11 साल से नर्स का काम कर रहीं घोडके ने कहा कि उन्होंने नर्सिंग के पाठ्यक्रम के दौरान ऑक्सीटोसिन की भूमिका के बारे में पढ़ा था।
उन्होंने कहा,
‘‘समय पर मुझे यह ध्यान आ गया । महिला को बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो रहा था लेकिन स्तनपान से मदद मिली।’’
Edited by रविकांत पारीक