कभी थे दिहाड़ी मजदूर फिर बने पुलिसकर्मी, अब टोक्यो ओलंपिक में दौड़ लगाएंगे पी नागनाथन
कठिन आर्थिक हालात के चलते पी नागनाथन के कंधे पर परिवार के पालन की ज़िम्मेदारी भी थी, जिसके लिए वे छुट्टियों में निर्माण की जगह पर बतौर दिहाड़ी मजदूरी का काम किया करते थे।
"खेल में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने का फल पी नागनाथन को मिला और साल 2017 में उन्हें स्पोर्ट्स कोटे पर एक एक सशस्त्र रिजर्व कांस्टेबल के रूप में पुलिस में शामिल किया गया। नागनाथन ने 2019 में अखिल भारतीय पुलिस मीट में स्वर्ण पदक जीतकर पहली बार अपना नाम देश भर में पहुंचाया। बनाया। इसके बाद अगले साल पी नागनाथन ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सीएम ट्रॉफी भी जीती थी।"
अपने संघर्ष और मेहनत के साथ खेल के क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर पार करने जा रहे पी नागनाथन आज देशवासियों के लिए ओलंपिक मेडल की उम्मीद बन गए हैं। दिलचस्प है कि दुनिया भर के धावकों के लिए नामी स्पोर्ट्स ब्रांड उनकी किट को स्पॉन्सर करते फिरते हैं, वहीं 25 साल के पी नागनाथन अपने शुरुआती दिनों में एक बेहतरीन धवन बनने का सपना लिए नंगे पैर दौड़ते हुए ट्रेनिंग कर रहे थे।
परिवार की आर्थिक तंगी कभी उनकी रफ्तार को कम नहीं कर सकी, बल्कि इसके उलट उन कठिन परिस्थितियों ने उनके दृढ़ संकल्प को और अधिक मजबूत करने का काम किया है। आज उन्हीं पी नागनाथन ने अपने लिए टोक्यो ओलंपिक का टिकट कटा लिया है और अब वे देश के लिए मेडल लाने के उद्देश्य से जल्द ही ओलंपिक ट्रैक पर दौड़ते हुए नज़र आएंगे
परिवार की आर्थिक तंगी कभी उनकी रफ्तार को कम नहीं कर सकी, बल्कि इसके उलट उन कठिन परिस्थितियों ने उनके दृढ़ संकल्प को और अधिक मजबूत करने का काम किया है। आज उन्हीं पी नागनाथन ने अपने लिए टोक्यो ओलंपिक का टिकट कटा लिया है और अब वे देश के लिए मेडल लाने के उद्देश्य से जल्द ही ओलंपिक ट्रैक पर दौड़ते हुए नज़र आएंगे
कभी रहे दिहाड़ी मजदूर
कठिन आर्थिक हालात के चलते पिता के साथ पी नागनाथन के कंधे पर भी परिवार के पालन की ज़िम्मेदारी थी और इसके लिए वे छुट्टियों में निर्माण की जगह पर बतौर दिहाड़ी मजदूर काम किया करते थे।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में पी नागनाथन ने बताया है कि उन्होने स्कूल में ही दौड़ लगाना शुरू कर दिया था, जबकि उस दौरान उनके पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं हुआ करते थे। पी नागनाथन के प्रदर्शन को देखते हुए उन्हे स्कूल की तरफ से जिला स्पोर्ट्स मीट में भाग लेने के लिए भेजा गया और तभी उन्हें स्कूल की तरफ से एक जोड़ी नए जूते भी गिफ्ट किए गए।
पी नागनाथन ने बीए इतिहास की पढ़ाई की क्योंकि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। वे कॉलेज की फीस भरने के लिए पार्ट टाइम काम किया करता था। हालांकि खेल में उनके प्रदर्शन को देखते हुए सेमेस्टर के अंत में उनकी फीस की प्रतिपूर्ति कर दी जाती थी।
खेल से बने पुलिसकर्मी
खेल में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने का फल पी नागनाथन को मिला और साल 2017 में उन्हें स्पोर्ट्स कोटे पर एक एक सशस्त्र रिजर्व कांस्टेबल के रूप में पुलिस में शामिल किया गया। नागनाथन ने 2019 में अखिल भारतीय पुलिस मीट में स्वर्ण पदक जीतकर पहली बार अपना नाम देश भर में पहुंचाया। बनाया। इसके बाद अगले साल पी नागनाथन ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सीएम ट्रॉफी भी जीती थी।
इस साल फरवरी में, उन्होंने पटियाला में फेडरेशन कप में भाग लिया और दूसरे स्थान पर रहे, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम का हिस्सा बनने का निमंत्रण मिला। इसके लिए 45 दिनों के प्रशिक्षण के बाद उनका चयन किया गया था।
अब है ओलंपिक पदक की बारी
पी नागनाथन 4गुणा 400 रिले दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिसमें उनके साथ त्रिची के अरोकियाराज, केरल के मोहम्मद अनस और दिल्ली के अमोस जैकब भी बतौर टीम सदस्य हिस्सा लेंगे।
पी नागनाथन के अनुसार उन्होने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिलेगा। वे अपनी सफलता का श्रेय अपने पुलिस कोच प्रभाकरन, चेन्नई पुलिस स्पोर्ट्स इंचार्ज और सब इंस्पेक्टर पॉल डोमिनिक और शिवलिंगम को देते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi