17 साल के यशस्वी बचपन में बेचा करते थे पानी पूरी, अब राजस्थान रॉयल्स ने करोड़ों में खरीदा
कभी बेंचे थे गोलगप्पे, अब आईपीएल नीलामी में चमकी किस्मत
किराने की दुकान पर काम किया, गोलगप्पे बेचे, क्रिकेट के जुनून के आगे सारी मुश्किलें फीकी पड़ती गईं, अब आईपीएल नीलामी में यशस्वी को उनकी मेहनत का इनाम तब मिला, जब उन्हे राजस्थान रॉयल्स ने 2.40 करोड़ रुपये में खरीदा।
"कैसे आकाश में सुराख हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…"
कवि दुष्यंत कुमार की यह कविता गुरुवार को राजस्थान रॉयल्स की टीम से जुड़े 17 साल के क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल पर एकदम फिट बैठती है। पानी पूरी बेचने से लेकर इस बार आईपीएल ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स की टीम का सदस्य बनने वाले यशस्वी की कहानी काफी प्रेरक है।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले यशस्वी जायसवाल मुंबई की ओर से बतौर ओपनर खेलते हैं। उनके लिए यहां तक पहुंचने की राह काफी मुश्किलों भरी रही है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और यही वजह है कि आज इस मुकाम तक जा पहुंचे है। यशस्वी को राजस्थान रॉयल्स की टीम ने 2.40 करोड़ रुपये में खरीदा है। इसी महीने 28 दिसंबर को यशस्वी 18 साल के हो जाएंगे।
हार नहीं मानी
उत्तर प्रदेश के भदोही से निकले यशस्वी के जीवन में कई सारी परेशानियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। छोटी सी उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले यशस्वी के पापा एक दुकानदार हैं।
अपने खेल को लेकर गंभीर रहे यशस्वी ने शुरुआती दौर में ही अपने पापा से मुंबई जाने की जिद की, इसके बाद पापा और वह मुंबई आ गए। मुंबई में पापा ने उन्हें एक रिश्तेदार के यहां रुकने को कहा।रिश्तेदार के घर पर सोने कोई जगह कम थी, जिसके चलते रिश्तेदार ने एक डेयरी में यशस्वी के सोने का इंतजाम करवाया।
तब रिश्तेदार ने यशस्वी के सामने यह शर्त रखी कि वह दिन में डेयरी पर काम भी करेंगे, लेकिन यशस्वी के दिमाग में सिर्फ क्रिकेट था, इसके चलते थोड़े दिन बाद डेयरी वाले ने भी उन्हें रखने से मना कर दिया।
फिर मुंबई जैसे शहर में अकेले 11 साल के यशस्वी अपने पैशन का पीछा करते हुए मुंबई के मशहूर आजाद मैदान में पहुंचे। वहां यशस्वी काफी प्रैक्टिस करते और रामलीला के दौरान गोलगप्पे भी बेचा करते थे। तीन साल तक वह आजाद मैदान ग्राउंड के मुस्लिम यूनाइटेड टेंट में रहे।
फिर चमकी किस्मत
टेंट बहुत ही खस्ता हालत में था और टेंट में उनके साथ कई और लोग भी रहते थे। आपस में लड़ाई होने के कारण कभी-कभी तो उन्हें भूखे भी सोना पड़ता था। इतनी मेहनत के बाद आखिर वह दिन आया जब यशस्वी की किस्मत बदली। एक दिन वह क्रिकेट खेल रहे थे कि उन पर कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी। ज्वाला सिंह यशस्वी के खेल से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने यशस्वी को गोद ले लिया।
कोच ज्वाला सिंह के सान्निध्य में यशस्वी ने इतनी मेहनत की कि आज वह देश के अंडर-19 खिलाड़ियों में एक जाना पहचाना नाम बन चुके हैं। यशस्वी इस बार की एशिया कप विजेता अंडर-19 टीम का सदस्य भी रहे हैं, साथ ही वह साउथ अफ्रीका में जनवरी 2020 में होने वाले अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का हिस्सा हैं।
यशस्वी अपने पुराने दिनों के संघर्ष को नहीं भूलते। वह बताते हैं कि
"मुझे याद है जब कभी थोड़े पैसों के लिए मैं रात में पानी पूरी तक बेचा करता था।"
विश्व रिकॉर्ड भी है इनके पास
घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन की बात करें तो इस साल यशस्वी की धमाकेदार परफॉर्मेंस से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसी साल विजय हजारे ट्रोफी में यशस्वी ने मुंबई की ओर से खेलते हुए दोहरे शतक व तीन शतकों की मदद से 5 मैचों में 504 रन बनाकर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। अभी तक यह रिकॉर्ड साउथ अफ्रीकी दिग्गज ग्रीम पोलॉक के नाम था।
यशस्वी लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज भी हैं, उन्होंने विजय हजारे ट्रोफी में झारखंड के खिलाफ 203 रन की पारी खेली थी।
यशस्वी के पिता भूपेन्द्र कहते हैं,
"जो लोग मुझे पागल कहते थे, वो सभी आज मेरे साथ फोटो खिंचवाते हैं। मेरे बेटे ने किराने की दुकान पर काम किया, गोलगप्पे बेंचे। जो लोग कहते थे कि बेटे के पीछे बर्बाद हो जाओगे आज वे अखबार लेकर मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि यशस्वी हमारा बच्चा है।"
(Edited by प्रियांशु द्विवेदी )