भारतीय-अमेरिकी पुलिस अधिकारी संदीप सिंह धालीवाल के नाम पर अमेरिका में होगा रोडवे
संदीप सिंह धालीवाल जब ड्यूटी पर थे, तब ही ह्यूस्टन के उत्तर पश्चिम में गोली मारकर कर दी गई थी उनकी हत्या...
"भारतीय-अमेरिकी पुलिस अधिकारी संदीप सिंह धालीवाल के नाम पर अमेरिका में होगा रोडवे, अमेरिकी संसद में बिल पेश। ह्यूस्टन के उत्तर पश्चिम में 27 सितंबर को धालीवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वह ड्यूटी पर थे। धालीवाल हैरिस काउंटी में शेरिफ के मातहत काम करने वाले पहले सिख अधिकारी थे, जिन्हें सिख धर्म की परंपरानुसार दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की इजाजत दी गई थी।"
दिवंगत भारतीय-अमेरिकी पुलिस अधिकारी संदीप सिंह धालीवाल के सम्मान में समुदाय के नेता यहां एक स्थायी स्मारक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि संदीप सिंह धालीवाल (42) हैरिस काउंटी में शेरिफ के मातहत काम करने वाले पहले सिख अधिकारी थे जिन्हें सिख धर्म की परंपरानुसार दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की इजाजत दी गई थी।
ह्यूस्टन के उत्तर पश्चिम में 27 सितंबर को धालीवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वह ड्यूटी पर थे।
हैरिस काउंटी कमिश्नर कोर्ट ने मंगलवार को सैम ह्यूस्टन टोलवे के एक हिस्से का नाम धालीवाल के नाम पर रखने की सिफारिश की। कोर्ट के सदस्यों ने प्रेसिन्कट 2 के आयुक्त एंड्रियन गार्सिया का आग्रह सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। उन्होंने टेक्सास 249 और यूएस 290 के बीच रोडवे के एक हिस्से का नाम संदीप सिंह धालीवाल के नाम पर रखने का आग्रह किया था।
हालांकि इस आग्रह को अभी टेक्सास परिवहन विभाग से मंजूरी लेना बाकी है। इस कदम का स्वागत करते हुए भारत-अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्रेटर ह्यूस्टन के संस्थापक सचिव जगदीप अहलूवालिया और इसके अध्यक्ष स्वपन धैर्यवान ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी नायक को यह सम्मान देना उचित होगा।
यातायात विभाग में तैनात 42 वर्षीय धालीवाल हैरिस काउंटी में शेरिफ के सहायक के रूप में तैनात थे। वह पहले ऐसे सिख अधिकारी थे जिन्हें ड्यूटी पर रहते हुए अपने धार्मिक चिन्हों का इस्तेमाल करने मसलन पगड़ी पहनने और दाढ़ी रखने की इजाजत दी गई थी।
आपको बता दें कि पिछले महीने ह्यूस्टन पुलिस विभाग ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को उनके धार्मिक चिन्हों को पहनने की इजाजत देने वाली नीति की घोषणा की थी। इसके साथ ही वह ऐसा करने वाली टेक्सास की सबसे बड़ी कानून प्रवर्तन एजेंसी बन गई थी।
(Edited by रविकांत पारीक)