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भारत में भी सभी मोबाइल डिवाइस के लिए आ सकता है एक चार्जर, सरकार ने बुलाई बैठक

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर भारत इस तरह के बदलाव के लिए जोर नहीं देता है तो इस तरह के उपकरणों को भारत में लाकर डंप किया जा सकता है.

भारत में भी सभी मोबाइल डिवाइस के लिए आ सकता है एक चार्जर, सरकार ने बुलाई बैठक

Wednesday August 10, 2022 , 3 min Read

सरकार स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाश रही है और इस पर चर्चा के लिए उसने अगले हफ्ते सभी स्टेकहोल्डर्स की बैठक भी बुलाई है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत खत्म करने के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर न केवल उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा बल्कि ई-कचरा कम करने में भी मदद मिलेगी.

अधिकारी के मुताबिक, ‘कॉमन चार्जर’ की संभावनाएं तलाशने के लिए 17 अगस्त को मोबाइल फोन विनिर्माताओं और इस क्षेत्र से जुड़ी उपकरण बनाने वाली कंपनियों को बैठक के लिए बुलाया गया है.

इस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर मोबाइल कंपनियां यूरोप और अमेरिकी बाजारों में एक चार्जिंग प्रणाली अपना सकती हैं, तो फिर वे ऐसा भारत में क्यों नहीं कर सकती हैं? स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एक कॉमन चार्जर होना चाहिए.’’

उन्होंने कहा कि अगर भारत इस तरह के बदलाव के लिए जोर नहीं देता है तो इस तरह के उपकरणों को भारत में लाकर डंप किया जा सकता है.

मौजूदा समय में किसी भी नए स्मार्टफोन या टैबलेट की खरीदारी के समय उपभोक्ताओं को अलग से चार्जर भी खरीदना पड़ता है. इसकी वजह यह है कि पुराना चार्जर नए उपकरण के साथ काम नहीं कर पाता है.

वर्ष 2019 की एक स्टडी के मुताबिक, साल 2018 में मोबाइल फोन के साथ बेचे जाने गए चार्जर्स में से आधे में यूएसबी माइक्रो-बी कनेक्टर था, जबकि 29 फीसदी में यूएसबी-सी कनेक्टर और 21 फीसदी में लाइटनिंग कनेक्टर था.

यूरोपीय संघ कॉमन चार्जिंग मानक लागू करने की घोषणा कर चुका है

यूरोपीय संघ ने हाल ही में छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए वर्ष 2024 तक यूएसबी-सी पोर्ट वाले कॉमन चार्जिंग मानक को लागू करने की घोषणा की है. ऐसा होने के बाद Apple सहित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने वाली सभी कंपनियों को 2024 तक यूरोप में बेचे जाने वाले पर कनेक्टर बदलना होगा. इसका मतलब हुआ कि डिवाइस मैनुफैक्चर्स को 2024 तक नई शर्तों का पालन करना होगा. इस तरह की मांग अमेरिका में भी जोर पकड़ रही है.

बता दें कि, एप्पल सालों से अपने iPhones, iPads, AirPods और कई दूसरी एसेसरीज के लिए अपने लाइटनिंग पोर्ट का इस्तेमाल करता आया है. आने वाले समय में ऐपल को अपने सभी आईफोन मॉडल को यूएसबी-सी पोर्ट के साथ पेश करना होगा. एप्पल पहले से ही यूएसबी-सी चार्जिंग पोर्ट वाले आईफोन पर काम कर रहा है जो अगले साल शुरू हो सकता है.