गौतम अडानी की एक कंपनी को मिलेगी सॉवरेन से भी ऊंची रेटिंग, जानिए क्या होती है ये
अडानी ग्रुप की एक कंपनी को सॉवरेन से भी ऊंची रेटिंग मिल सकती है. ऐसे में बहुत से लोग ये नहीं समझ पा रहे हैं कि सॉवरेन रेटिंग क्या होती है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
देश के सबसे अमीर शख्स और दुनिया के चौथे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) को एक और बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है. जल्द ही अडानी ग्रुप की एक एक कंपनी की भारत की सॉवरेन रेटिंग (Sovereign Rating) से भी ऊंची रेटिंग मिलने की उम्मीद है. इसके बारे में खुद
के मुख्य वित्त अधिकारी यानी सीएफओ जुगेशिंदर रॉबी सिंह ने चुनिंदा निवेशकों को दी है. उन्होंने कहा कि जल्द ही अडानी समूह की एक कंपनी भारत की ऐसी पहली फर्म बन जाएगी, जिसका पूरा बिजनेस सिर्फ देश के अंदर है और उसकी रेटिंग सॉवरेन से भी ऊंची होगी.कौन सी है ये कंपनी?
जुगेशिंदर सिंह ने एक कंपनी को सॉवरेन से ऊंची रेटिंग मिलने की बात तो कही है, लेकिन उस कंपनी का नाम उजागर नहीं किया है. अभी तक इस कंपनी के नाम की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है. मौजूदा समय में अडानी की 7 लिस्टेड कंपनियों में से अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को सॉवरेन के बराबर रेटिंग मिली हुई है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि इनमें से ही किसी एक को ही सॉवरेन से ऊंची रेटिंग मिल सकती है.
अडानी ट्रांसमिशन को फिच ने बीबीबी- (निगेटिव आउटलुक) रेटिंग, एसएंडपी ने बीबीबी- रेटिंग और मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बीएए3 (स्टेबल आउटलुक) रेटिंग दी है. यही रेटिंग इन एजेंसियों ने भारत को भी दी हैं. एसएंडपी ग्लोबल ने हाल ही में अडानी ट्रांसमिशन को दी रेटिंग वापस ली है.
रिलायंस को मिल चुकी है ये रेटिंग
अभी जो रेटिंग अडानी समूह की एक कंपनी को मिलने की बात हो रही है, वो मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को पिछले ही साल मिल चुकी है. फिच रेटिंग्स ने पिछले साल जून में रिलायंस को भारत की सॉवरेन रेटिंग से एक पायदान ऊपर की रेटिंग दी थी. ऐसा कंपनी के कर्ज में कमी का हवाला देते हुए किया गया था. हालांकि, रिलायंस का बिजनेस देश के बाहर भी है और अडानी ग्रुप के सीएफओ ने इस बात को निवेशकों के सामने कहा भी है. यही वजह है कि उन्होंने कहा है कि सॉवरेन से ऊंची रेटिंग पाने वाली अडानी ग्रुप की कंपनी पहली ऐसी फर्म होगी, जिसका सिर्फ भारत में बिजनेस है और उसे ये रेटिंग मिली है.
क्या होती है सॉवरेन रेटिंग?
दुनिया भर की एजेंसियां अलग-अलग देशों की सरकारों की उधार चुकाने की क्षमता को देखती हैं. इस क्षमता के आधार पर सॉवरेन रेटिंग तय की जाती है. इसके लिए तमाम रेटिंग एजेंसियां देशों की इकनॉमी, उनके मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. रेटिंग से यह पता चलता है कि वह देश भविष्य में अपनी देनदारी चुका पाएगा या नहीं? बता दें कि यह रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है और जंक ग्रेड डिफॉल्ट की श्रेणी में आता है.
अडानी ग्रुप पर क्या होगा असर?
अगर आप पिछले कुछ हफ्तों पहले की खबरें देखें तो उस वक्त अडानी के ऊपर भारी कर्ज की खूब बातें हुई थीं. क्रेडिटसाइट ने तो यहां तक कह दिया था कि अडानी ग्रुप की एक या एक से अधिक कंपनियां कर्ज के जाल में फंसकर डूब सकती हैं. सॉवरेन रेटिंग किसी की कर्ज चुकाने की क्षमता के आधार पर दी जाती है, ऐसे में अडानी ग्रुप की कंपनी को सॉवरेन से ऊंची रेटिंग मिलना कंपनी के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है.
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