भारत में महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल, हर दिन तेल उत्पादन 10 लाख बैरल तक घटाने पर कर रहे हैं विचार OPEC + देश
आर्गनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज यानी OPEC + देशों की बैठक अगले हफ्ते ऑस्ट्रिया के विएना शहर में होगी. तेल निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक+) अपने हर दिन के क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में 10 लाख बैरल की कटौती करने पर विचार कर रहा है. तेल के उत्पादन में कटौती पर फैसला इस बैठक के बाद ही लिया जाएगा.
विश्लेषकों का कहना है कि अगर इतनी बड़ी कटौती पर सहमति बनी, तो कच्चे तेल की कीमतों में काफी वृद्धि हो सकती है, जिससे पंप पर गैसोलीन की कीमत से लेकर सामान और सेवाओं तक सब कुछ प्रभावित होगा. इस फैसले से भारत समेत दुनिया के कई देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है. विशेषकर भारत के लिए ये फैसला काफी महत्व रखता है. भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी कच्चा तेल ओपेक देशों से ही आयात करता है. कच्चे तेल के दामों में इजाफे की वजह से देश में सरकारी तेल कंपनियों पर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का दवाब बनेगा. इससे पहले रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते जब कच्चे तेल के दाम बढ़े थे तो सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया था.
रूस पर प्रतिबंध और एक आसन्न वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच इस कटौती का एक दूसरा पहलू ये भी है कि तेल की मांग घटने के कारण ही ओपेक देश ये कदम उठाने पर मजबूर हुए हैं.
वहीं अमेरिका लगातार खाड़ी देशों से बात कर इस फैसले से पीछे हटने की अपील कर रहा है. अमेरिकी में नवंबर में मिड टर्म इलेक्शन होने हैं जिसे देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन किसी तरह ईंधन की कीमतों को काबू में रखने का प्रयास कर रहे हैं. रेपिडन एनर्जी के संस्थापक बॉब मैकनेली के अनुसार, बाइडन प्रशासन तेल की कीमतों में उछाल की आशंका से काफी परेशान है. उन्होंने कहा कि अगर ओपेक बड़े स्तर पर उत्पादन में कटौती करता है तो उसे अमेरिका के विरोध का सामना करना पड़ सकता है.