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ओपेक देशों के एक फैसले से बढ़ने लगे कच्चे तेल के दाम, क्या अब डीजल-पेट्रोल भी होंगे महंगे?

कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली संस्था ओपेक+ ने एक बड़ा फैसला किया है. अक्टूबर में हर रोज 1 लाख बैरल कम कच्चे तेल का उत्पादन करने का फैसला किया गया है.

ओपेक देशों के एक फैसले से बढ़ने लगे कच्चे तेल के दाम, क्या अब डीजल-पेट्रोल भी होंगे महंगे?

Tuesday September 06, 2022 , 3 min Read

पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में भारी गिरावट देखी गई है. कुछ हफ्ते पहले जो कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल से भी अधिक था, वह 89 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों की संस्था OPEC+ ने एक बड़ा फैसला किया है. अब अगले महीने यानी अक्टूबर में ओपेक+ ने हर रोज 1 लाख बैरल कम कच्चे तेल का उत्पादन करने का फैसला किया है. इसकी वजह से अब कच्चा तेल महंगा होने लगा है. आशंका जताई जा रही है कि इसका असर डीजल-पेट्रोल के दाम (Petrol-Diesel Price) पर भी पड़ सकता है.

क्या हो गई कच्चे तेल की कीमत?

ओपेक+ देशों की तरफ से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम उछले हैं. सोमवार को कच्चा तेल करीब 3.8 फीसदी चढ़ा है. इसकी कीमत में 3.53 डॉलर की तेजी देखी गई है, जिसके बाद अब नई कीमत 96.55 रुपये प्रति बैरल हो गई है. कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला इसके दाम में स्थिरता लाने के मकसद से किया गया है.

भारत पर इस फैसले का क्या होगा असर?

ओपेक+ देशों के फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम तेजी से ऊपर चढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इससे उन देशों को नुकसान होगा, जिनकी कच्चे तेल पर निर्भरता अधिक है. भारत भी ऐसा ही देश है, जो कच्चे तेल का आयात करता है. भारत में कुल कच्चे तेल की जरूरत का करीब 80 फीसदी हिस्सा आयात से ही पूरा होता है. यानी आने वाले दिनों में कच्चा तेल महंगा होने की वजह से भारत को कच्चा तेल महंगा पड़ेगा.

तो क्या फिर महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल?

अगर थोड़ा बारीकी से देखें तो ओपेक+ देशों ने जो 1 लाख बैरल कच्चे का उत्पादन करने की घोषणा की है, वह वैश्विक मांग का सिर्फ 0.1 फीसदी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से कच्चे तेल की कीमतों पर मामूली असर होगा. अगर दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब जाकर स्थिर हो जाते हैं, तो मुमकिन है कि डीजल-पेट्रोल के दाम ना बढ़ें. हालांकि, इससे सरकारी तेल कंपनियों पर दबाव जरूर बढ़ेगा. हालांकि, अप्रैल-जून के दौरान नुकसान के बावजूद दाम नहीं बढ़े थे. तो कीमतें शायद ही बढ़ें, लेकिन सरकार पर दबाव बढ़ेगा.

हर लीटर पेट्रोल-डीजल पर 14 रुपये तक का नुकसान!

Indian Oil Corporation को अप्रैल-जून के बीच हर लीटर पेट्रोल पर 10 रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि हर लीटर डीजल पर 14 रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को 1992.53 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. अप्रैल-जून तिमाही में कच्चे तेल की कीमत औसतन 109 डॉलर प्रति बैरल रही है. वहीं रिटेल पंप के रेट्स करीब 85-86 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से तय किए गए हैं और वही चले आ रहे हैं. कच्चा तेल महंगा होने के चलते इंडियन ऑयल का मार्जिन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और कंपनी को नुकसान झेलना पड़ा है.