कौन हैं लक्ष्मण नरसिम्हन जिन्हें स्टारबक्स ने बनाया सीईओ, जानिए कितनी मिलेगी सैलरी
भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन को स्टारबक्स का नया सीईओ नियुक्त किया गया है. स्टारबक्स के सीईओ के तौर पर लक्ष्मण को एक बड़ा पैकेज ऑफर किया गया है.
हाइलाइट्स
स्टारबक्स ने भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन को नया सीईओ नियुक्त किया है.
इनसे पहले हॉवर्ड शुल्त्ज कंपनी के सीईओ थे.
करीब 50 साल पुरानी कॉफी की कंपनी स्टारबक्स के दुनिया भर में 34 हजार से भी अधिक स्टोर हैं.
कंपनी उन्हें करीब 10.37 करोड़ रुपये का पैकेज दे रही है.
कॉफी चेन चलाने वाली दिग्गज कंपनी स्टारबक्स (Starbucks) ने भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन (Laxman Narasimhan) को नया सीईओ नियुक्त किया है. भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन ने 20 मार्च को वैश्विक कॉफी कंपनी स्टारबक्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के तौर पर सोमवार को कार्यभार संभाल लिया. इनसे पहले हॉवर्ड शुल्त्ज (Howard Schultz) कंपनी के सीईओ थे, जो अब तक अंतरिम सीईओ के तौर पर काम कर रहे थे. करीब 55 साल के लक्ष्मण नरसिम्हन इससे पहले इन्फामिल बेबी, यूके में Reckitt Benckiser Group PLC में ऊंचे पदों पर काम कर चुके हैं. करीब 50 साल पुरानी कॉफी की कंपनी स्टारबक्स के दुनिया भर में 34 हजार से भी अधिक स्टोर हैं.
कौन हैं लक्ष्मण नरसिम्हन?
लक्ष्मण नरसिम्हन का जन्म पुणे में 15 अप्रैल 1967 को हुआ था और वहीं उनकी परवरिश भी हुई है. उन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है. इसके बाद उन्होंने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में द लॉडर इंस्टीट्यूट से जर्मन और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में एमए किया है. इतना ही नहीं पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल से बिजनेस में एमबीए भी किया है. मौजूदा समय में वह अमेरिका के कनेक्टिकट में ग्रीनविच में रहते हैं.
कितनी होगी लक्ष्मण की सैलरी?
स्टारबक्स के सीईओ के तौर पर लक्ष्मण को एक बड़ा पैकेज ऑफर किया गया है. कंपनी उन्हें करीब 10.37 करोड़ रुपये का पैकेज दे रही है. यानी करीब 86 लाख रुपये हर महीने उनकी सैलरी होगी. उन्हें इतनी मोटी सैलरी यूं ही नहीं दी जा रही है, बल्कि उनका अनुभव इसकी वजह है.
कितना अनुभव है लक्ष्मण नरसिम्हन को?
लक्ष्मण नरसिम्हन ने सितंबर 2019 में Reckitt ज्वाइन किया था. जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही थी, उस दौरान उन्होंने कंपनी को गाइड किया था. इतना ही नहीं, उन्होंने 2012 में उन्होंने पेप्सिको में चीफ कमर्शियल ऑफिसर की तरह ज्वाइन किया. इससे पहले उन्होंने 19 साल तक कंसल्टिंग फर्म मैकिन्से एंड कंपनी में एक सीनियर पार्टनर की तरह भी काम किया है.
कुछ वक्त पहले ही कंपनी ने कहा था कि उसे और अधिक लोगों की जरूरत है, ताकि ग्रोथ हो सके. कंपनी ने कहा था कि दशक के अंत तक उसका टारगेट 20 हजार कैफे खोलने का है. साथ ही कंपनी अपने स्टॉक को लेकर निवेशकों के सेंटिमेंट को बेहतर बनाना चाहती थी. पिछले साल जब से शुल्त्ज की वापसी की घोषणा की गई, उसके बाद पिछले कुछ महीनों में जहां एक ओर स्टारबक्स के शेयर गिरे, वहीं दूसरी रेस्टोरेंट कंपनियों के शेयर चढ़े हैं.
भारतीय मूल के कई लोग विदेशी कंपनियों में ऊंचे पदों पर हैं. सुंदर पिचाई गूगल और उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट के प्रमुख हैं. वहीं माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला, आईबीएम के अरविंद कृष्णा और एडोब के शांतनु नारायण भी भारतीय मूल के हैं, जिन्हें इन विदेशी कंपनियों में बड़ी जिम्मेदारी मिली है.