परीक्षा पे चर्चा 2024: पीएम मोदी बोले- यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं
प्रधानमंत्री ने जीवन में निराश न होने पर जोर दिया और कहा कि एक बार निर्णय लेने के बाद केवल सकारात्मकता ही बचती है. प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं. जब कुछ करने का संकल्प मजबूत हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है."
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha 2024) के 7वें संस्करण के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की. उन्होंने इस अवसर पर प्रदर्शित कला और शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. परीक्षा पे चर्चा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से शुरू की गई एक गतिविधि है जो छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को एकजुट कर एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देती है जहां प्रत्येक बच्चे की अद्वितीय व्यक्तित्व की सराहना की जा सके, उसे प्रोत्साहित किया जाए और खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने की अनुमति दी जाए.
छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी में छात्रों द्वारा बनाई गई रचनाओं का उल्लेख किया जहां उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आकांक्षाओं और अवधारणाओं को विभिन्न आकारों में व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शित वस्तुएं दर्शातीहैं कि नई पीढ़ियां विभिन्न विषयों के बारे में क्या सोचती हैं और इन मुद्दों के लिए उनके पास क्या समाधान हैं.
अपनी बातचीत शुरू करते हुए, प्रधानमंत्री ने छात्रों को आयोजन स्थल यानी भारत मंडपम के महत्व को समझाया और उन्हें जी20 शिखर सम्मेलन के बारे में बताया जहां दुनिया के सभी प्रमुख नेता इकट्ठे हुए और दुनिया के भविष्य पर चर्चा की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति को चीजों को प्राथमिकता देने का ज्ञान होना चाहिए. यह अनुभव और हर चीज़ का विश्लेषण करने के साथ आता है. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी गलतियों को सबक मानते हैं.
उन्होंने कोविड महामारी का उदाहरण दिया और कहा कि बेकार बैठने के बजाय उन्होंने लोगों को एकजुट करने के लिए दीया या 'थाली' बजाने जैसे कार्यों के माध्यम से उनकी सामूहिक ताकत बढ़ाने का विकल्प चुना. इसी तरह, खेल की सफलता और सही रणनीति, दिशा और नेतृत्व का जश्न मनाने के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में बड़े पैमाने पर पदक प्राप्त हुए हैं.
उन्होंने कहा कि उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री ने जीवन में निराश न होने पर जोर दिया और कहा कि एक बार निर्णय लेने के बाद केवल सकारात्मकता ही बचती है. प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं. जब कुछ करने का संकल्प मजबूत हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है. जब स्वार्थ का कोई मकसद नहीं होता तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता."
प्रधानमंत्री ने वर्तमान पीढ़ी के जीवन को आसान बनाने पर जोर देते हुए विश्वास जताया कि आज की पीढ़ी को अपने माता-पिता द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सरकार एक ऐसा राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रही है जहां न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों को चमकने और अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिले. यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक संकल्प होना चाहिए. सकारात्मक सोच की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सबसे नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम देखने की ताकत देती है. प्रधानमंत्री ने सभी छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी बातचीत समाप्त की और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दीं. इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी उपस्थित थे.