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दो भाइयों ने कोरोना काल में बनाया Pataa ऐप, अब 'KUMAR100' जैसा हो जाएगा आपका 10 लाइन वाला एड्रेस!

पता ऐप के जरिए आप किसी की भी बिल्कुल सही लोकेशन पर पहुंच सकते हैं. यह एक तरह का डिजिटल एड्रेस है, जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. दो भाइयों ने इसे कोरोना काल में बनाया.

दो भाइयों ने कोरोना काल में बनाया Pataa ऐप, अब 'KUMAR100' जैसा हो जाएगा आपका 10 लाइन वाला एड्रेस!

Wednesday September 28, 2022 , 7 min Read

यूं तो आज के वक्त में भारत में कई तरह के नेविगेशन ऐप आ चुके हैं, लेकिन फिर भी अक्सर ही डिलीवरी बॉय आपके घर का रास्ता भटक जाते हैं. कभी डिलीवरी बॉय सोसाएटी के गलत गेट पर पहुंच जाता है तो कभी आपके घर के पीछे वाले रास्ते पर खड़ा होकर कहता है- 'मैं तो लोकेशन पर हूं, आप कहां हो'. कोरोना काल में डिलीवरी बॉय को सबसे ज्यादा दिक्कतें हुईं. यूं तो अक्सर लोग किसी न किसी से एड्रेस पूछ लेते हैं, लेकिन कोरोना काल में सही लोकेशन बताने के लिए सड़क पर भी कोई नहीं था. उस वक्त रजत जैन और मोहित जैन को एक ऐसा ऐप बनाने का आइडिया आया, जो किसी के घर का बिल्कुल सही पता बता सके और यहां से शुरुआत हुई स्टार्टअप Pataa की.


पता नेविगेशंस प्राइवेट लिमिटेड को शुरू करने का आइडिया आने के बाद दोनों भाइयों ने इससे जुड़ी ढेर सारी रिसर्च की. रिसर्च से पता चला कि भारत को हर साल करीब 75 हजार करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ इसलिए होता है, क्योंकि एड्रेसिंग सिस्टम सही नहीं है. बहुत से लोगों के पास सही एड्रेस नहीं है. ग्लोबल लेवल पर रिसर्च की तो पता चला कि यह समस्या सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि दुनिया की है. एशिया के बहुत सारे डेवलपिंग देशों में तो लोगों के पास फिजिकल एड्रेस है ही नहीं. रजत बताते हैं कि भारत में करीब 50 फीसदी लोगों के पास फिजिकल एड्रेस नहीं है. अफ्रीका जैसे देश में 80 फीसदी लोग बिना फिजिकल एड्रेस वाले हैं. ऐसे में ई-कॉमर्स बिजनेस को ग्राहकों तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती है, जिसका सॉल्यूशन है Pataa.


Pataaके तहत रजत और मोहित ने पूरी दुनिया को 3*3 मीटर के स्क्वायर में बांटा है. कंपनी का ऐप डाउनलोड करने के बाद आपको एक बार उसमें पूरा एड्रेस अपनी लोकेशन के साथ डालना होगा. 3*3 मीटर के स्क्वायर होने की वजह से आपके लोकेशन की जानकारी बिल्कुल सटीक मिल सकेगी. बदले में आपको मिलेगा एक छोटा सा यूनीक कोड नेम जैसे KUMAR100. यहां तक कि आप अपनी आवाज में रेकॉर्ड भी कर सकते हैं आपके घर कैसे पहुंचना है.

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कैसे काम करेगा ऐप?

अब जैसे ही कोई आपका ये यूनीक कोड डालेगा, आपका सही एड्रेस सटीक लोकेशन समेत उसे दिख जाएगा. एक ही घर में आपको कई कोड बनाने की जरूरत नहीं, लेकिन कई एक्सटेंशन बना सकते हैं. ऐसा करने से कोई भी सामान सिर्फ उसे ही डिलीवर होगा, जिसे असल में वह भेजा गया है. इस यूनीक कोड की एक खास बात ये है कि आप जहां भी शिफ्ट हो जाएं, अपना यूनीक कोड वही रख सकते हैं यानी आपको बस उसके अंदर जाकर नया एड्रेस डालना होगा. Pataa ऐप को कंपनी ने मई 2021 में लॉन्च किया था. महज 7 महीनों में ही इस ऐप के करीब 70 लाख डाउनलोड हो गए. मौजूदा समय में कंपनी के करीब 80 लाख डाउनलोड हैं और 65 फीसदी रजिस्टर्ड यूजर्स हैं.

क्या है कंपनी का रेवेन्यू मॉडल?

Pataa ऐप से सबसे ज्यादा फायदा ई-कॉमर्स कंपनियों को सामान डिलीवर करने में होगा. वहीं ग्राहकों को ये फायदा होगा कि बहुत ही कम मेहनत किए बिना ही उनके एड्रेस पर सामान डिलीवर हो जाएगा. यहां तक कि इस ऐप के जरिए आपको नोटिफिकेशन मिल जाएगा कि कौन आपके पास सामान डिलीवर करने आ रहा है. साथ ही उसकी लाइव लोकेशन भी मिल जाएगी. इन सब में कंपनी यूजर्स से एक भी पैसा नहीं लेती है. कंपनी प्रति ट्रांजेक्शन ई-कॉमर्स कंपनी से 50 पैसे लेती है. यानी अगर एक बार Pataa के जरिए किसी ई-कॉमर्स कंपनी को कोई डेटा चाहिए, तो उसके लिए 50 पैसे चुकाने होंगे. कंपनी ने अपना एपीआई मॉ़डल करीब 15 वेबसाइट के साथ इंटीग्रेट किया है और कई कंपनियो से अभी बात जारी है. रजत जैन बताते हैं कि सारा डेटा एंड टू एंड इनक्रिप्टेड होता है.


कंपनी की कोशिश है कि वह सब कुछ ऑटोमेट कर दे. ऐसे में कंपनी अपना एक एपीआई तमाम ई-कॉमर्स साइट्स के ऐप में डालेगी और फिर जब-जब आप उस ऐप से कुछ ऑर्डर करेंगे, तो पता के जरिए आपका एड्रेस ऑटोमेटिक तरीके से वहां पहुंच जाएगा. ई-कॉमर्स कंपनियां भी इसे प्रिंट कर के ऑर्डर के बॉक्स पर लगा सकेंगी, जिससे जो भी उसे स्कैन करेगा, वह आसानी से आपकी लोकेशन तक पहुंच पाएगा. इंदौर की इस कंपनी ने इंदौर के एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के साथ एक एमओयू साइन किया है. कंपनी इंदौर को देश की पहली डिजिटली एड्रेस सिटी बनाना चाहती है. यानी इंदौर के हर घर का एक डिजिटल एड्रेस होगा, जिससे कचरा उठाने, बिजली विभाग, जल विभाग को फायदा होगा. रजत जैन का दावा है कि इस ऐप के इस्तेमाल से सरकार की काफी बचत होगी.

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चुनौतियां भी कम नहीं रहीं

रजत और मोहित के लिए पता नेविगेशन बनाने में सबसे बड़ी चुनौती तो यही रही कि ये सब कोरोना काल में हुआ. उस दौर में ना तो वह कोई फिजिकल मीटिंग कर सकते थे, ना ही कहीं बाहर जाकर लोगों से बात कर सकते थे. हर चीज सिर्फ डिजिटल तरीके से वर्क फॉम होम कल्चर में ही करनी थी. जब उन्हें अपनी कंपनी को प्रमोट करने के लिए ब्रांड अवेयरनेस प्रोग्राम चलाना था तो भी उन्हें काफी दिक्कत हुई. कहीं होर्डिंग नहीं लगा सकते थे, ना ही कोई दूसरी गतिविधि कर पा रहे थे.

भविष्य की क्या है प्लानिंग?

करीब 2 महीने पहले ही पीएम मोदी की मौजूदगी में Pataa ने ISRO के साथ टाइअप किया है. इसके तहत दोनों डेटा शेयर करेंगे और साथ मिलकर एक पावरफुल सिस्टम बनाएंगे. रजत बताते हैं कि आने वाले समय में ड्रोन और ऑटोमेटेड व्हीकल के लिए डिजिटल एड्रेस बड़े काम की चीज साबित होगा. ड्रोन को 10 लाइन का एड्रेस नहीं बता सकते, ऐसे में ये डिजिटल एड्रेस उसे सही लोकेशन बताएगा. आपकी छत या बालकनी जहां भी आपने क्यू आर कोड लगाया होगा, ड्रोन वहां पहुंचेगा, कोड को स्कैन करेगा और फिर पार्सल ड्रॉप करेगा. मौजूदा समय में तो पता नेविगेशन के लिए गूगल की लेयर का ही इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन भविष्य में इसमें भी आत्मनिर्भरता लाने की कोशिश रहेगी. रजत बताते हैं कि एड्रेसिंग सिस्टम एक ग्लोबल दिक्कत है. ऐसे में भारत में अच्छे से इसे लागू करने के बाद वह इस कॉन्सेप्ट को ग्लोबल ले जाने की सोच रहे हैं.

इससे पहले भी एक सफल बिजनस कर चुके हैं खड़ा

रजत और मोहित ने 2013 में किमिरिका नाम की एक कंपनी शुरू की थी. रजत फार्मा बैकगाउंड से हैं और उन्होंने स्टैंडफोर्ड यूनिर्सिटी से पढ़ाई की है. वहीं मोहित मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जिन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ बकिंघम से पढ़ाई की है. किमिरिका कंपनी होटलों में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद जैसे साबुन, शैंपू, शावर जेल आदि बनाती है. उस वक्त दोनों ने महज 5 लोगों के साथ मिलकर ये बिजनस शुरू किया था, जो आज इस क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है. एक वक्त था जब देश में होटल इंडस्ट्री का करीब 95 फीसदी सामान चीन से आयात होता था, लेकिन किमिरिका ने उसे जीरो कर दिया और भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है.

किमिरिका... ये कैसा नाम है?

अगर आप कंपनी के नाम से हैरान हैं तो बता दें कि मोहित जैन की पत्नी का नाम किमि जैन है और रजत जैन की पत्नी का नाम रिका जैन है. उन्हीं के नाम पर ये कंपनी बनाई गई थी. अब किमी रिटेल बिजनेस देखती हैं, जबकि रिका मैन्युफैक्चरिंग का काम देखती हैं. वह दोनों मिलकर किमिरिका के बिजनस को अच्छे से हैंडल कर रही हैं, इसीलिए रजत और मोहित Pataa की शुरुआत कर सके.