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वर्कप्लेस पर लोगों ने धमकाया, नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया फिर भी इस महिला उद्यमी ने नहीं मानी हार, फूड सेक्टर में शुरू किया स्टार्टअप

वर्कप्लेस पर लोगों ने धमकाया, नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया फिर भी इस महिला उद्यमी ने नहीं मानी हार, फूड सेक्टर में शुरू किया स्टार्टअप

Wednesday November 13, 2019 , 6 min Read

जब अदिति मिश्रा ने अपनी मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) के बाद काम फिर से शुरू किया, तो वे शॉक्ड थीं। मैनेजमेंट ने उनकी जगह पर किसी अन्य व्यक्ति को हायर कर लिया था क्योंकि वे अदिति के वापस आने की उम्मीद नहीं कर रहे थे।


वह बताती हैं,

“अचानक, सब कुछ बदल गया। मुझे कहा गया कि मैं जो कुछ भी कर रही हूं उसे लिखूं, उन्होंने मेरे काम में दोष ढूंढना शुरू कर दिया, और मैं एक स्टार परफॉर्मर से एक एक साधारण परफॉर्मर बन गई।”

वे अदिति को सात महीने तक परेशान करते रहे और जब वह इसे और ज्यादा नहीं सह सकती थी तो उसने जुलाई 2018 में एक संगठन बनाने के उद्देश्य से कंपनी छोड़ने का फैसला किया। उसने एक ऐसा संगठन बनाने का फैसला किया जहां 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी महिलाएं होंगी और उनके प्रयासों और कठिन परिश्रमों को सेलीब्रेट किया जाएगा।


और इसी तरह नोएडा स्थित प्लैटनो फूड्स (Platano Foods) का जन्म हुआ। प्लैटनो फूड्स अदिति का एक सस्टेनबल फूड सलूशन है। हालाँकि, यह अदिति के जीवन की इकलौती चुनौती नहीं थी जिसे उन्होंने फेस किया हो। उनका पालन-पोषण एक संयुक्त परिवार में हुआ, जहाँ भले ही महिलाओं को सबसे अच्छी शिक्षा दी जाती थी, लेकिन उन्हें काम करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता था। उसके माता-पिता को लगातार कमेंट्स सुननी पड़ती थीं जैसे "उसे ज्यादा न पढ़ाओ", "उसकी शादी में ज्यादा देर न करो", आदि।


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हालांकि किसी तरह अपने माता-पिता के समर्थन से, अदिति ने जैव प्रौद्योगिकी में बीटेक और मार्केटिंग सेल्स में एमबीए किया। उन्होंने ऑर्गेनाइजिंग कमेटी, कॉमनवेल्थ गेम्स, जेपी ग्रुप, और सुब्रोस प्राइवेट लिमिटेड जैसे संगठनों के साथ भी काम किया। अदिति ने एक सस्टेनेबल फूड सलूशन के रूप में प्लैटनो फूड्स की शुरुआत की जिसका उद्देश्य कृषि उपज के अपव्यय को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन में परिवर्तित करके कम करना है।


वह कहती हैं,

“वर्तमान में, हम पकने से पहले कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटी द्वारा रिजेक्ट किए गए हरे केले को पुनः इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें इकट्ठा करते हैं और जांच करते हैं, गुणवत्ता की जांच करते हैं, और फिर पौष्टिक हरे केले का आटा बनाते हैं, जो न केवल कच्चे केले की शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं।”

वह आगे कहती हैं,

“जब भी हम फल खरीदते हैं तो हम हमेशा उसी को चुनते हैं जो साइज, शेप और कलर में परफेक्ट हो। लेकिन कभी सोचा है कि क्या नेचर इसी तरह के फल प्रोड्यूस करती है? अफसोस की बात है कि इसका जवाब नहीं है। भोजन मिट्टी से पैदा होता है, और सभी शेप और साइज में उत्पन्न होता है, फिर भी हमें शुरू से ही यह विश्वास दिलाया गया है कि जो कुछ भी प्राचीन है वही सही है। लोगों को लगता है कि जो अच्छा दिखता है उसका स्वाद भी अच्छा होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हम सप्लाई चैन में इस तरह के अपव्यय को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।"


ग्रीन इज द फ्लेवर

प्लैटनो फूड्स का मुख्य उत्पाद आटा है जो हरे केले से बनाया जाता है। इसे एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है, जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम है, वजन घटाने में मदद करता है, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखता है। इसमें डाइटरी फाइबर भी अधिक होता है, और इसमें जिंक, विटामिन ई, मैग्नीशियम, और मैंगनीज सहित अन्य आवश्यक विटामिन और खनिज शामिल हैं, जो हड्डियों को मजबूत और मांसपेशियों को ताकत देते हैं। अदिति के अनुसार, इसका उपयोग करना आसान है, ग्लूटेन फ्री, फैट फ्री, और यहां तक कि इसकी शेल्फ लाइफ एक साल तक की होती है। स्टार्टअप ने पौष्टिक कुकीज़ बनाने के लिए पारंपरिक बाजरा और बीज के साथ भी केले के आटे को मिलाया।


अदिति कहती हैं,

"कुकीज बिना किसी प्रिजर्वेटिव या इमल्सीफायर के इस्तेमाल से बनती हैं और रिफाइंड आटे और ट्रांस फैट्स से मुक्त होती हैं।"

उन्होंने 20 लाख रुपए के निवेश से स्टार्टअप शुरू किया था। पिछले तीन महीनों में, प्लैटानो फूड्स ने 5 लाख रुपये का राजस्व अर्जित किया है। स्टार्टअप एमिटी इनोवेशन इनक्यूबेटर का भी हिस्सा था। अदिति 25 से 55 वर्ष की आयु के बीच स्वास्थ्य के प्रति जागरूक पेशेवरों को टारगेट करने की उम्मीद करती हैं, जो लाइफस्टाइल डिजीज से ग्रस्त हैं, और उन नई माताओं को जो गुणवत्ता वाले उत्पादों पर खर्च करने को तैयार हैं।


बिक्री बी 2 बी और बी 2 सी के माध्यम से होती है, और प्रमुख ग्राहकों में संस्थान, होटल, कॉर्पोरेट ऑफिस, रिटेल प्लेसेस, ईवेंट्स और ऑनलाइन बिक्री शामिल हैं। यह उत्पाद वर्तमान में नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम के कुछ रिटेल स्टोर्स पर उपलब्ध है।


200 ग्राम आटे के पैक को 150 रुपये में बेचा जाता है, कुकीज के 150 ग्राम पैक को 125 रुपये में बेचा जाता है। रागी केला के आटे की कुकीज की कीमत 150 ग्राम पैक के लिए 99 रुपये है। इसके अलावा फ्लैक्स सीड-बाजरा-केले के आटे की कुकीज की कीमत भी 150 ग्राम पैक की 99 रुपये है।

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रिसर्च पर लाभ

अदिति ने नेशनल बनाना रिसर्च सेंटर, तिरुचिरापल्ली में बतौर उद्यमी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जहाँ वह "केले के आटे की कुकीज की टेक्नोलॉजी लेने" के लिए गई थीं।


वह बताती हैं,

“मेरी उद्यमी यात्रा में मुझे सबसे मुश्किल क्षण का सामना तब करना पड़ा जब रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने मुझे बताया कि 100 प्रतिशत हरे केले से कुकीज या बिस्कुट बनाना संभव नहीं है। उनके अनुसार, केवल 30 प्रतिशत केले के आटे का उपयोग किया जा सकता था और बाकी के लिए नियमित रूप से परिष्कृत किए गए आटे का विकल्प होना चाहिए था।”


वह कहती हैं,

“मैंने उम्मीद नहीं खोई और अपनी रिसर्च शुरू की। चार महीने के गहन शोध के बाद, मैं 100 प्रतिशत केले के आटे से कुकीज बनाने में सक्षम थी। मैंने आगे विभिन्न सामग्रियों और स्वादों के साथ उत्पाद को परिष्कृत करने पर काम किया। आज, हमारे पास कुकीज का एक प्रकार है जो पूरी तरह से अनाज से मुक्त, नमक मुक्त है, और केले के आटे से बना है।"

जब कंपनी का कैश रिजर्व खत्म हो गया, तब अदिति उनकी सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा, और उन्हें नहीं पता था कि आगे क्या होगा। लेकिन चुनौतियों का सामना करने के अपने दृढ़ संकल्प के कारण, उन्होंने किसी तरह इस पर भी काबू पा लिया। स्टार्टअप की भविष्य की योजनाओं में गहन वितरण नेटवर्क के माध्यम से भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाना शामिल है।


वे कहती हैं,

“हम स्थानीय मीडिया भागीदारों और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने ब्रांड जागरूकता को बढ़ाने की भी योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, हम केले के आटे से बने अन्य खाद्य उत्पादों जैसे ब्रेड, पास्ता, पिज्जा बेस आदि में भी विविधता लाने की योजना बना रहे हैं।"


अदिति ने अंत में कहा,

"एक बार जब हम घरेलू बाजार में अपनी उपस्थिति को सफलतापूर्वक दर्ज कर लेंगे, तो अगला एजेंडा इस प्रोडक्ट को लोकल टेस्ट और फ्लेवर को एडॉप्ट करके ग्लोबल मार्केट में लॉन्च करना है।"