महिलाओं को राजमिस्त्री का काम सिखाने वाली सुनीता को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
हुनर कोई भी हो, जब परवान चढ़ता है, कामयाबी देख बड़े-बड़े लोग हैरत में पढ़ जाते हैं। पुरुषों के एकाधिकार वाले कार्यक्षेत्र में हाथ आजमाती हुई झारखंड की सुनीता देवी ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह हजारो महिलाओं की उस्तात ही नहीं बन जाएंगी बल्कि इसके लिए उन्हे राष्ट्रपति से एक लाख का इनाम भी मिलेगा।
केरल हो या झारखंड, यूपी हो या बिहार, मध्य प्रदेश, अब महिलाएं बतौर राजमिस्त्री भी पुरुष एकाधिकार में सशक्त हस्तक्षेप करने लगी हैं। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत कई महिला राजमिस्त्रियों ने सैकड़ों शौचालयों का निर्माण कर मिसाल पेश की है। इतना ही नहीं, लातेहार (झारखंड) के गांव उदयपुरा की राजमिस्त्री सुनीता देवी ने तो इस कार्यक्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल कर अब तक डेढ़ हजार महिलाओं को राजमिस्त्री के रूप में प्रशिक्षित किया है। उन्होंने लगभग दो दर्जन महिलाओं की टीम लेकर शौचालय निर्माण से इसकी शुरुआत की थी।
आज सैकड़ों महिलाएं उनसे मिले हुनर के भरोसे अपनी घर-गृहस्थी चला रही हैं। वैसे झारखंड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी स्वयंसहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दे रही है, जिनमें राजमिस्त्री का प्रशिक्षण भी शामिल है। सुनीता देवी ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी जो काम उन्हे मजबूरी में शुरू करना पड़ना था, उसके लिए देश उन्हें सम्मानित करेगा। महिला सशक्तीकरण के लिए हाल ही में उनको देश के राष्ट्रपति हाथो एक लाख रुपए से पुरस्कृत किया गया है।
इसी तरह कुछ साल पहले इडुक्की (केरल) के छोटे से एक गांव एल्मादेशम में 475 वर्गफुट का एक घर राजमिस्त्री महिलाओं की एक खूबसूरत देने से पूरे प्रदेश में चर्चित हो गया था। उस गांव की 20 महिलाओं के समूह ने एल्मादेशम गांव में अपने पहले भवन निर्माण को पूरा करके पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्र की सीमा तोड़ दी। मूलतः पासवर्ती वेल्लियामात्तोम गांव की रहने वाली उन महिलाओं ने मात्र दो महीने का राजमिस्त्री का प्रशिक्षण लेकर एक भवन का निर्माण किया। इस समूह में बी.कॉम की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर शादी के लिए कॉलेज छोड़ने वाली सुजा भी शामिल हैं, जो अब अपने ऊपर गर्व करती हैं। इस प्रशिक्षित टीम में 10 राजमिस्त्री महिलाएं जनजातीय समुदाय की हैं।
इस टीम ने पहली बार इस काम में हाथ डालते हुए घर का खाका कागज पर डिजाइन किया। इसके बाद सिविल इंजीनियरिंग से स्नातक प्रियंका के निर्देश में उन्होंने सलवार-कमीज के ऊपर शर्ट और सिर पर गमछा बांधकर निर्माण का कार्य शुरू किया। आज वे लगभग एक हजार रुपए रोजाना कमा रही हैं।
उदयपुरा (झारखंड) की सुनीता देवी बताती हैं कि दो साल पहले उनके गांव में स्वयं सहायता समूह को स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक सौ शौचालय निर्माण कराने का काम सौंपा गया था। राज मिस्त्री नहीं मिलने पर उन्होंने खुद कर्णी-सुत्ता संभाला और राज मिस्त्री बन गईं। वह बताती हैं कि अब तक वह लगभग डेढ़ हजार महिलाओं को राजमिस्री बना चुकी हैं। अब तो उन सभी महिलाओं को अच्छी कमाई के कारण अपने काम में खूब मजा आ रहा है। सुनीता देवी राज मिस्त्री ही नहीं, बल्कि उन्होंने अपने गांव के सभी तीन सौ घरों के लोगों को स्वच्छता मिशन के दायरे में ला दिया है। उन्होंने पूरे गांव को खुले में शौच से मुक्त करा दिया है। शुरू में इस कार्य के लिए उनको न केवल लोगो के ताने-उलाहने सुनने पड़े बल्कि अन्य तरह की भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शुरू में उनको अकुशल राज मिस्री की मान्यता मिली थी, आज उनके अलावा अन्य डेढ़ हजार महिलाएं भी इस काम की मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।
ऐसी ही दिल्ली में कार्यरत एक अन्य राज मिस्री हैं मीना अहिरवार, जो कंस्ट्रक्शन साइटों पर सुपरवाइजरी करती हैं। इन दिनों वह उस कंट्रक्शन टीम का हिस्सा हैं , जो राजधानी में तिमंजिली इमारतें बनाती है। मीना सुपरवाइजरी के साथ राजमिस्री के काम भी करती रहती हैं। मीना पहले हेल्पर का काम करती थीं। कुछ वर्ष पहले इस काम में आने से पहले उन्होंने एक दिन अपने पति से कहा था कि वह भी उनकी तरह राज मिस्त्री बनना चाहती हैं ताकि कमाई ज्यादा हो और वह अपने पांचों बच्चों को ठीक से पढ़ा-लिखाकर सुयोग्य बना सकें।
उनकी बात सुनकर हैरान रह गए पति ने उन्हे इस काम के लिए हरी झंडी दे दी। उसके बाद मीना पति की राह पर चल पड़ी थीं। जब उन्होंने यह काम शुरू किया तो दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लोग उन पर हंसते थे। मजाक उड़ाते थे। वे कहते कि राज मिस्री का काम तो पुरुषों का है लेकिन उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मीना मध्य प्रदेश के एक गांव से अपने पति के साथ उस वक्त दिल्ली पहुंची थीं, जब वहां सूखा पड़ गया था। आज वह राज मिस्री के काम से रोजाना एक हजार रुपए कमा लेती हैं।
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