Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

क्या अब भारत में भी बनेंगे प्राइवेट जेल? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

दुनिया में 1980 के दशक में प्राइवेट जेलों का कॉन्सेप्ट आया था. 1990 के दशक में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई. आधुनिक युग में ब्रिटेन पहला ऐसा देश था, जहां पहला प्राइवेट जेल खुला था.

क्या अब भारत में भी बनेंगे प्राइवेट जेल? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

Friday September 30, 2022 , 4 min Read

सुप्रीम कोर्ट ने देश में जेलों की स्थिति पर बृहस्पतिवार को चिंता जताई और बड़े कॉरपोरेट घरानों को शामिल कर निजी जेलों के निर्माण का सुझाव दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बड़े कॉरपोरेट घराने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत निजी जेलों का निर्माण कर सकते हैं.

जस्टिस केएम. जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, ‘‘यूरोप में, निजी जेलों की अवधारणा है. फिर कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) है. यदि आप उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन मुहैया कराते हैं तो आप जेल बनवा सकते हैं. क्योंकि आप नहीं चाहते कि इसके लिए सरकारी राशि खर्च हो. विचाराधीन कैदियों की संख्या चिंताजनक है.’’

पीठ ने कहा, “वे इसे बनाएंगे और आपको सौंप देंगे और आयकर के तहत छूट का दावा करेंगे. एक नयी अवधारणा सामने आएगी. फिर एक नयी अवधारणा विकसित होगी, अग्रिम जमानत से लेकर अग्रिम जेल तक.” पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जेलों में काफी भीड़ है और केवल आयुर्वेद चिकित्सक ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं. पीठ ने कहा कि जेलों का अध्ययन किसी भी सरकार के लिए सबसे कम प्राथमिकता वाला क्षेत्र है.

न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में जेल में बंद गौतम नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में स्थानांतरित करने का तलोजा जेल अधीक्षक को निर्देश दिया. इससे पहले नवलखा के वकील ने कहा कि वह कैंसर से पीड़ित हैं.

बता दें कि, 70 वर्षीय नवलखा ने बंबई उच्च न्यायालय के 26 अप्रैल के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी जिसमें उनके, घर पर ही नजरबंद किए जाने के अनुरोध को ठुकरा दिया गया था. नवलखा ने आशंका जताई थी कि शायद मुंबई के समीप स्थित तलोजा जेल में उन पर्याप्त चिकित्सकीय तथा अन्य सुविधाओं का अभाव हो जिनकी उन्हें जरूरत है. नवलखा तलोजा जेल में ही बंद हैं.

1980 के दशक में आया प्राइवेट जेलों का कॉन्सेप्ट

बता दें कि, दुनिया में 1980 के दशक में प्राइवेट जेलों का कॉन्सेप्ट आया था. 1990 के दशक में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई. आधुनिक युग में ब्रिटेन पहला ऐसा देश था, जहां पहला प्राइवेट जेल खुला था. ब्रिटेन ने इसके लिए क्रिमिनल जस्टिस एक्ट, 1991 पास किया था. इससे गृह मंत्री को प्रिजन सेवाएं प्राइवेट सेक्टर को देने का अधिकार मिल गया था. इसके बाद 1992 में वर्ल्ड प्रिजन ने वहां पहला प्राइवेट जेल खोला था.

वहीं, 1990 के दशक में ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सख्त अपराधरोधी उपायों के कारण अमेरिका में प्राइवेट जेलों में पूंजीपतियों का दखल तेजी से बढ़ने लगा. उनके कार्यकाल में पहला प्राइवेट जेल 1997 में खुला था. अमेरिका में कुल कैदियों की संख्या 22 लाख से अधिक है. वहां, साल 2018 में 100 प्राइवेट जेल थे जिनमें कुल 62 हजार कैदी थे.

मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण बंद हो रहे प्राइवेट जेल

कई दशकों तक प्राइवेट जेलों को चलाने और पूंजीपतियों को भारी मुनाफा देने के बाद अब अमेरिका-यूरोप के देश अपने यहां प्राइवेट जेलों को बंद कर रहे हैं. साल 2017 से ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने कोई नया प्राइवेट जेल नहीं खोलने की नीति अपनाई है.

वहीं, सत्ता में आते ही डेमोक्रेट नेता और राष्ट्रपति जो बाइडन ने नस्लीय अन्याय के खात्मे के उद्देश्य से जस्टिस डिपार्टमेंट को प्राइवेट जेलों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी.

1894 के कारागार अधिनियम से संचालित होती हैं भारतीय जेलें

भारत के संविधान की सातवीं अनुसूचि की लिस्ट-2 के अनुसार, जेल राज्य का विषय है. जेलों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार है. भारत की जेल प्रणाली अभी भी 1894 के पुराने कारागार अधिनियम और भारतीय दंड संहिता द्वारा शासित है.

1900 का कैदी अधिनियम कानून का उल्लंघन करने वाले कैदियों के लिए शारीरिक दंड के उपयोग को स्थापित करता है. हालांकि, आजादी के बाद पकवासा कमिटी ने जेल मैनुअल में सुधार किया.


Edited by Vishal Jaiswal