बैंक अपने ग्राहकों से करता है कुछ खास वादे, क्या आप जानते हैं इस बारे में?
ये वादे प्रॉडक्ट और सर्विसेज को लेकर, कस्टमर्स के साथ अच्छा व्यवहार करने, बैंक और कस्टमर के बीच पारदर्शिता रखने, प्राइवेसी, शिकायत आदि को लेकर होते हैं.
बैंक, अपने ग्राहकों को विभिन्न तरह के प्रॉडक्ट और सर्विसेज की पेशकश करने के साथ ही उनसे कुछ वादे भी करते हैं. इनके बारे में हर ग्राहक को पता होना चाहिए, ताकि अगर बैंक इन्हें पूरा न करे तो शिकायत की जा सके. दरअसल ये वादे प्रॉडक्ट और सर्विसेज को लेकर, कस्टमर्स के साथ अच्छा व्यवहार करने, बैंक और कस्टमर के बीच पारदर्शिता रखने, प्राइवेसी, शिकायत आदि को लेकर होते हैं. बैंक, ग्राहकों के साथ-साथ बैंकिंग लोकपाल यानी RBI को गारंटी देते हैं कि वे इन वादों को पूरा करेंगे. आइए बताते हैं बैंकों द्वारा ग्राहकों से किए जाने वाले इन्ही वादों में से कुछ प्रमुख के बारे में-
1. एक बैंक ग्राहक के रूप में, यह ग्राहक का अधिकार है कि उसे अपने वित्तीय संस्थान से उचित व्यवहार प्राप्त हो. बैंक किसी भी ग्राहक के साथ उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, धर्म, जाति, डिसएबिलिटी या वित्तीय स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेंगे. यानी इन सब चीजों को नजरअंदाज करते हुए सभी को समान प्रॉडक्ट और बैंकिंग सर्विसेज मुहैया कराई जाएंगी. हालांकि फेयर ट्रीटमेंट राइट्स के मामले में कुछ अपवाद भी हैं, जिसके तहत बैंक कुछ ग्राहकों को अलग-अलग ब्याज दरों या प्रॉडक्ट की पेशकश करने के लिए अपने विवेक का उपयोग कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर एफडी पर वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर रेगुलर रेट से ज्यादा ब्याज दर की पेशकश की जाती है. विभिन्न ऋण उत्पादों पर महिलाओं को ब्याज दरों में डिस्काउंट दिया जाता है.
2. बैंक अपने काउंटर पर कैश या चेक, रेमिटेंस का भुगतान या प्राप्ति करने, कटे-फटे नोट बदलने आदि की सर्विस मुहैया कराएंगे, इसके लिए वे प्रतिबद्ध हैं. ये सुविधाएं ग्राहक को बैंक की हर ब्रान्च में मिलेंगी.
3. गोपनीयता ग्राहक के मूलभूत बैंकिंग अधिकारों में से एक है. इसलिए बैंक को, ग्राहक द्वारा उसके साथ साझा की जाने वाली सभी व्यक्तिगत जानकारियों, जैसे आधार कार्ड डिटेल्स, पैन कार्ड डिटेल्स, सैलरी स्लिप या आय, फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी, निवेश जानकारी आदि, को अत्यधिक संरक्षित किया जाना चाहिए. प्राइवेसी को लेकर बैंक वादा करते हैं कि कस्टमर्स द्वारा दी जा रही पर्सनल डिटेल्स वे खुद तक ही सीमित रखेंगे. इसे किसी और को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहक की जानकारी गलत हाथों में न पड़ जाए, जिससे आप प्रभावित हों या आपको असुविधा हो.
4. बैंक अपने द्वारा दिए जा रहे हर प्रॉडक्ट, सर्विस के बारे में कस्टमर को पूरी जानकारी देंगे. ये बैंक की वेबसाइट या फिर ब्रान्च के नोटिस बोर्ड पर डिस्प्ले होगी. इसके अलावा SMS, मेल, मीडिया आदि को भी इन्हें बताने का जरिया बनाया जाएगा.
5. बैंक वादा करते है कि बैंक स्टाफ कस्टमर्स से उचित और अच्छा व्यवहार करेगा. बैंक की ओर से सुनिश्चित किया जाएगा कि स्टाफ कस्टमर्स की हर परेशानी और काम को जल्द से जल्द निपटाए और हर तरह से मदद करे. साथ ही अगर आपकी कोई शिकायत है तो उसे भी दूर किया जाए.
6. बैंक अपने सभी नियम-कानूनों को भी कस्टमर के साथ ट्रांसपेरेंट रखेंगे. इन नियमों की जानकारी भी कस्टमर के लिए बैंक ब्रान्च, वेबसाइट आदि पर मौजूद रहेगी. साथ ही अगर किसी को इन्हें समझने में दिक्कत है तो बैंक अधिकारी उनकी पूरी मदद करेंगे. बैंक की ओर से ग्राहक के लिए एडवांस में सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं का खुलासा किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि ग्राहक अपने बैंक के साथ इक्विटी उत्पाद में निवेश करते हैं, तो उन्हें ईमानदारी से ग्राहक को उत्पाद की कीमत, बाजार प्रदर्शन और इसमें शामिल सभी जोखिमों के बारे में बताना होगा. नियम-कानूनों में कोई भी बदलाव होने पर बैंक इसकी सूचना तुरंत कस्टमर्स को देंगे. इसके लिए भी बैंक ब्रान्च में नोटिस बोर्ड, बैंक वेबसाइट, मैसेज, ईमेल, मीडिया आदि के जरिए जानकारी जारी की जाएगी.
7. बैंक, ग्राहकों को ऐसे प्रॉडक्ट और सर्विसेज की बिक्री नहीं करेंगे, जो ग्राहक के लिए उपयुक्त नहीं हैं. बैंकिंग उद्योग में मिस—सेलिंग एक आम शिकायत है. कई नियमों के बावजूद, ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां इंटर्नल टार्गेट्स पूरा करने या उच्च कमीशन प्राप्त करने के लिए ग्राहकों को गलत प्रॉडक्ट बेचे गए. प्रॉडक्ट किसी विशेष ग्राहक की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हो भी सकते हैं और नहीं भी. इसलिए यह ग्राहक के लिए बहुत बड़ा नुकसान है क्योंकि हो सकता है कि वह उन प्रॉडक्ट्स में निवेश कर रहा हो जो उसके लिए उतने उपयोगी न हों.
8. बैंक अपने स्वयं के प्रॉडक्ट्स और उनके द्वारा बेचे जाने वाले थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स जैसे कि बीमा के लिए जवाबदेह हैं. यदि वे बुनियादी मानदंडों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्राहक अपने शिकायत निवारण अधिकारों से अवगत हैं, बैंकों को मुआवजे के लिए पॉलिसी के बारे में कम्युनिकेट करना होगा. पॉलिसी में बैंकों को स्पष्ट रूप से बैंक की गलती रहने पर शिकायत से जुड़े ग्राहकों के अधिकारों के बारे में बताना होता है.
सरल शब्दों में अगर किसी कस्टमर को कोई शिकायत है तो शिकायत कैसे दर्ज की जाएगी, इसकी पूरी प्रोसेस बैंक को बतानी होगी. शिकायत कैसे करनी है, किसे करनी है, कहां करनी है, जवाब कब तक मिलेगा, अगर बैंक समाधान नहीं कर पाया तो क्या करें आदि चीजें शामिल रहेंगी. इसमें बैंक का स्टाफ और अधिकारी, कस्टमर्स की पूरी मदद करेंगे.