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उद्योगपति, निवेशक और परोपकारी रतन टाटा के 84वें जन्मदिन पर उनके अनमोल विचार

दुनिया भर में लोग रतन टाटा को सभी अवतारों में देखते हैं - चाहे वह उद्योगपति हों, निवेशक, परोपकारी, या लीडर। आज, उनके 84 वें जन्मदिन पर, हम आपके समक्ष उनके कुछ अनमोल विचार प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जिनसे जीवन के हर मोड़ पर आपको सीख मिलेगी।

उद्योगपति, निवेशक और परोपकारी रतन टाटा के 84वें जन्मदिन पर उनके अनमोल विचार

Tuesday December 28, 2021 , 4 min Read

जब सफल भारतीय व्यवसायियों की बात आती है, तो रतन टाटा सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक है। रतन नवल टाटा एक भारतीय उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी, और टाटा संस के अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उल्लेखनीय उद्योगपति दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार - पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) के प्राप्तकर्ता हैं।


1937 में जन्मे टाटा, जमशेदजी टाटा के परपोते हैं जिन्होंने टाटा समूह की स्थापना की थी। रतन टाटा को उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।


एक लीडर के रूप में उनका आकर्षण पीढ़ियों से रहा है। इनमें से बहुत सारी वैल्यूज उन्हें उनकी दादी से विरासत में मिली थी, जिन्होंने उन्हें पाल-पोषकर बड़ा किया था, उन्होंने (रतन टाटा ने) YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में साझा किया।


उनकी कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों में वे क्षण शामिल हैं जब उन्होंने Tata Tea के तहत Tetley का अधिग्रहण किया, Tata Motors के तहत Jaguar Land Rover का अधिग्रहण किया और टाटा ग्रुप को ग्लोबल बिजनेस एंटरप्राइज में बदलते हुए Tata Steel के तहत Corus का अधिग्रहण किया।


आज, रतन टाटा के 84 वें जन्मदिन पर, हम आपके समक्ष उनके कुछ अनमोल विचार प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जिनसे जीवन के हर मोड़ पर आपको सीख मिलेगी और जो टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस और टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष के सिद्धांतों, मूल्यों और नैतिकता का प्रतीक हैं।

  • मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ।
  • अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए।
  • आगे बढ़ने के लिए जीवन में उतर-चढ़ाव बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी लाइन का मतलब होता है कि हम जिंदा नहीं हैं।
  • सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं।
  • मैं निश्चित रूप से राजनीति में नहीं शामिल होऊंगा। मैं एक साफ़-सुथरे बिजनेसमैन के तौर पे याद किया जाना पसंद करूँगा, जिसने सतह के नीचे की गतिविधियों में हिस्सा ना लिया हो, और जो काफी सफल रहा हो।
  • यदि ये सार्वजानिक जांच की कसौटी पर खरा उतरता है तो इसे करो…अगर ये ये सार्वजानिक जांच की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तो इसे मत करो।
  • मैं भारत के भविष्य की सम्भावनाओं के लेकर हमेशा बहुत कॉंफिडेंट और उत्साही रहा हूँ। मुझे लगता है ये एक महान क्षमता वाला महान देश है।
  • कोई लोहे को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी जंग कर सकती है! उसी तरह कोई किसी इंसान को बर्बाद नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता कर सकती है।
  • बिजनेस को अपनी कम्पनी के हितों से आगे बढ़कर उन समुदायों तक जाना चाहिए जिसे वे सर्व करते हैं।
  • उन पत्थरों को उठाइए जो लोग आप पर फेंकते हैं और उनका इस्तेमाल कर के एक स्मारक खड़ी कर दीजिये।
  • लोग तुम्हारे स्वाभिमान की तब तक परवाह नहीं करेंगे जब तक कि तुम खुद को साबित करके नहीं दिखा देते।
  • कॉलेज की पढ़ाई के बाद 5 आंकड़े वाली सैलरी की मत सोचना, एक रात में कोई प्रेसिडेंट नहीं बनता। इसके लिए अथक मेहनत करनी पड़ती है।
  • तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है, तुम्हारी असफलता सिर्फ तुम्हारी है, किसी को दोष मत दो। अपनी इस गलती से सीखो और आगे बढ़ो।
  • सांत्वना पुरस्कार केवल स्कूल में देखने को मिलता है। कुछ स्कूलों में तो पास होने तक परीक्षा दे सकते है। लेकिन बाहर की दुनिया के नियम अलग हैं, वहां हारने वाले को मौका नहीं मिलता।
  • जिंदगी के स्कूल में कक्षाएं और वर्ग नहीं होते और वहां पर महीने भर की छुट्टी नहीं मिलती। वहां आपको सिखाने के लिए कोई समय नहीं देता। सब कुछ आपको खुद करना होता है।
  • अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तो को कभी मत चिढ़ाओ। एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हें उसके नीचे भी काम करना पड़ सकता है।

Edited by Ranjana Tripathi