‘राइट टू हेल्थ’ बिल पास करने वाला देश का पहला राज्य बना राजस्थान, जानिए इसमें है क्या
स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक जनता के हित में है.
राजस्थान मंगलवार को विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार (राइट टू हेल्थ बिल) विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बन गया. यह विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं और रोगी विभाग (आईपीडी) सेवाओं का मुफ्त लाभ उठाने का अधिकार देता है. इसके साथ ही, चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में समान स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में मुहैया कराई जाएंगी.
स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक जनता के हित में है.
उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद कुछ प्राइवेट अस्पताल चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के मरीजों का इलाज नहीं करते हैं और इसलिए यह बिल लाया गया है.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया. विधेयक को पिछले साल सितंबर में विधानसभा में पेश किया गया था लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट दी और उसके अनुसार विधेयक में संशोधन किया गया और समिति द्वारा संशोधित विधेयक को आज पारित कर दिया गया.
विधेयक में क्या है?
विधेयक में राज्य के निवासियों को अस्पतालों और क्लीनिक से मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार देने का प्रावधान है. इसमें प्राइवेट अस्पताल भी शामिल होंगे.
सरकारी और प्राइवेट अस्पताल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे. यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी. इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा. प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा.
ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा. इसमें सुनवाई होगी. बिल के उल्लंघन से जुड़े मामले में प्राधिकरण के फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है. पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना 10 हजार और इसके बाद 25 हजार तक होगा.
हाइलाइट्स
लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा.
फैसले को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना.
प्राइवेट डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया
प्राइवेट डॉक्टरों ने ‘स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक’ के विरोध में जयपुर स्थित ‘स्टेच्यू सर्किल’ पर विरोध प्रदर्शन किया. प्राइवेट डॉक्टरों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और विधेयक वापस लेने की मांग उठाई. हालांकि, पुलिस ने उन्हें विधानसभा की ओर बढ़ने से रोक दिया.
पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिये हल्का बल और पानी की बौछारों का प्रयोग किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया.
‘स्टेच्यू सर्किल’ पर प्रदर्शन के बाद पांच डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल विधानसभा में सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री से मिला और विधेयक को वापस लेने की मांग की.
प्राइवेट डॉक्टरों यह आंदोलन ‘‘संयुक्त संघर्ष समिति’’ द्वारा चलाया जा रहा है जिसमें राजस्थान के प्राइवेट अस्पताल एवं नर्सिंग होम सोसायटी तथा संयुक्त प्राइवेट क्लिनिक एवं अस्पताल के सदस्य भाग ले रहे हैं. ये वे चिकित्सक हैं जो अपना प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम चलाते हैं.
50,000 डॉक्टरों ने विरोध में दिया विज्ञापन
इस बीच, मंगलवार को समाचार पत्रों में ‘‘50,000 डॉक्टरों और लाखों अन्य चिकित्सा कर्मियों’’ की ओर से एक विज्ञापन दिया गया, जिसमें बताया गया है कि स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक रोगियों के लिए फायदेमंद नहीं है.
विज्ञापन में कहा गया है कि विधेयक से प्राइवेट मेडिकल संस्थानों पर अनावश्यक नौकरशाही का नियंत्रण बढ़ेगा और इससे प्राइवेट अस्पतालों की हालत सरकारी अस्पतालों जैसी हो जाएगी तथा प्राइवेट अस्पतालों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.
विज्ञापन में कहा गया है कि इससे चिकित्सक और मरीज के रिश्ते प्रभावित होंगे, जिला और राज्य स्तर की समितियां प्राइवेट डॉक्टरों को परेशान करेंगी, प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता प्रभावित होगी और प्राइवेट अस्पतालों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा और इसलिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास रुक जाएगा.
सरकार ने दी सफाई
प्राइवेट डॉक्टरों के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए मंत्री ने कहा कि प्रवर समिति की रिपोर्ट में सभी सुझावों को स्वीकार किया गया है, चाहे वह समिति के सदस्य हों या डॉक्टर.
उन्होंने कहा कि “डॉक्टर इस तथ्य के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं कि उनके सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है. यह उचित नहीं है. वे विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्या यह उचित है?”
Edited by Vishal Jaiswal