बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए राजस्थान की पहल, शादी के कार्ड पर लिखनी होगी उम्र
भारत में छोटी आयु में विवाह करना भले ही सामाजिक एवं कानूनी दृष्टि से अपराध हो, लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में खुले आम ऐसी शादियां हो रही हैं। राजस्थान इस मामले में सबसे आगे और इस प्रदेश में 16 जिले ऐसे हैं जहां बाल विवाह में काफी तेजी आई है। यह चिंता की बात तो है ही इसीलिए सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा अपने-अपने स्तर पर इस पर अंकुश लगाने की कोशिश की जाती है। अभी हाल ही में राजस्थान के स्थानीय जिला प्रशासन ने बाल विवाह पर रोकथाम लगाने के लिए एक आदेश पारित किया है।
राजस्थान के बूंदी जिले के जिला प्रशासन ने शादी के कार्ड पर दूल्हा और दुल्हन दोनों के जन्म की तारीख को दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही अब लोगों को शादी के कार्ड पर यह चेतावनी भी देनी होगी कि बाल विवाह करना कानूनी एवं दंडनीय अपराध है। दरअसल कुछ ही दिनों में अक्षय तृतीया का त्योहार आ रहा है और इसे शादी विवाह की शुरूआत के लिए काफी शुभ माना जाता है। राजस्थान में कई सारे बच्चों की शादियां इसी दिन पक्की कर दी जाती हैं।
इस त्योहार को 7 मई को मनाया जाता है। यह हैरान करने वाली बात है कि बाल विवाह निरोधक अधिनियम के बावजूद, भारत बाल विवाह के मामले में 6वां स्थान रखता है। इसके साथ ही स्कूल के प्रधानाचार्य, लेखपालों की टीम बनाकर उन्हें बाल विवाह पर निगरानी करने के लिए कहा गया है। अब लेखपाल अपने इलाके के घरों में शादी से जुड़ी गतिविधियों जैसे घरों की पुताई करने पर निगरानी रखेंगे। वहीं स्कूल के अध्यापक बच्चों के हाथ में मेंहदी, स्कूल से अनुपस्थिति, बैंड बाजा और पुजारियों की वाहन बुकिंग पर ध्यान रखेंगे।
वहीं जिले के कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस मालिकों से भी कहा गया है कि वे वर-वधुओं के जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करें और चेतावनी के साथ संबंधित शादी के कार्ड पर उनकी जन्मतिथि प्रिंट करें। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्यवाही होगी।
यह भी पढ़ें: मिलें उस इंजीनियर से जो पानी की समस्या को खत्म करने के लिए कर रहा झीलों को पुनर्जीवित