कोरोनावायरस के बीच हुई नौकरियों की छंटनी को लेकर रतन टाटा ने जताई नाराज़गी, कही ये बात...
योरस्टोरी की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा ने एक विशेष बातचीत के दौरान COVID-19 के कारण उद्योग-व्यापी छंटनी पर नाराज़गी व्यक्त की।
गुरुवार को YourStory के साथ एक खास बातचीत में, रतन टाटा, उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी, और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन, ने कोरोनावायरस महामारी के परिणामस्वरूप हुई उद्योग-व्यापी छंटनी पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की।
रतन टाटा ने कहा,
“जब वायरस का प्रकोप शुरू ही हुआ था तभी हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया। क्या इससे आपकी समस्या हल हो सकती है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकता है। क्योंकि आपको बिजनेस में नुकसान हुआ है ऐसे में लोगों को नौकरी से निकाल देना कतई सही नहीं है। बल्कि उन लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है।”
कोरोनावायरस महामारी ने कई क्षेत्रों में व्यवसायों को मुश्किल में डाल दिया है, उनमें से कई ने बिजनेस में बने रहने के लिये छंटनी और वेतन कटौती का सहारा लिया है। महामारी बढ़ते प्रकोप के कारण स्टार्टअप इकोसिस्टम से कई यूनिकॉर्न ($ 1 बिलियन वैल्यूएशन वाले स्टार्टअप्स), जैसे ओला, ओयो, स्विगी और ज़ोमैटो को अपने कर्मचारियों के साथ-साथ व्यापार को भी कम करना पड़ा।
82 वर्षीय श्री टाटा ने आगे कहा,
“आपके पास छुपने के लिए या भागने के लिये कोई जगह नहीं है, आप कहीं भी जाएं COVID-19 आपको हिट करता है ऐसे में बेहतर है जो भी हो इसे स्वीकार करें। आपके कारण जो भी हो सकता हैं आपको उन बातों में बदलाव करना होगा जिन्हें आप उचित या अच्छा मानते हैं या जीवित रहने के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि उद्यमियों और कंपनियों के लिए, लंबे समय तक जीवित रहने और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता सर्वोपरि है।हम खुद को यह कहते हुए अलग नहीं कर पाएंगे कि हम ऐसा करना जारी रखेंगे क्योंकि हम अपने शेयरधारकों के लिए ऐसा कर रहे हैं। हम सभी के लिए कर रहे हैं और आप इस माहौल में तब तक जीवित नहीं रहेंगे जब तक कि आप संवेदनशील नहीं होते हैं, इसलिए सबसे पहले लोगों को उस स्थान... कार्यस्थल के बारे में चिंतित होना चाहिए।
श्री टाटा ने महामारी के चलते प्रवासी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति के बारे में भी बात की। आय का कोई स्रोत नहीं होने के कारण लॉकडाउन के दौरान प्रचंड गर्मी में बिना किसी सार्वजनिक परिवहन के उन्होंने (प्रवासी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों ने) घर वापसी की।
“वह श्रम शक्ति जो बहुत बड़ी थी, एक दिन बस कहा गया, ‘आपके लिए कोई काम नहीं है, हमारे पास आपको घर भेजने के साधनों को खोजने का तरीका नहीं है’। आप वहीं हैं, आपके पास खाने के लिए भोजन नहीं है, आपके पास रहने के लिए जगह नहीं है। किसी को दोष देने की इच्छा नहीं है, लेकिन यह पारंपरिक दृष्टिकोण था, अब वह दृश्य बदल गया है 'आप ऐसा करने वाले कौन हैं?’
“ये वे लोग हैं जिन्होंने आपके लिए काम किया है, ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान आपकी सेवा की है इसलिए आप उन्हें बारिश में रहने के लिए छोड़ देते हैं? आप अपनी लेबर फोर्स के साथ इस तरह का बर्ताव करते हैं, क्या आपकी नैतिकता की यही परिभाषा है?”
श्रद्धा शर्मा से बात करते हुए रतन टाटा ने सभी व्यवसाय मालिकों को चिंतन करने के लिए प्रेरित किया।
यहां देखें पूरा इंटरव्यू:
रतन टाटा, जिन्होंने पहली बार 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था, ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि अगर कभी भी मौजूदा संकट की तरह एक और संकट आया, तो इससे निपटने के लिए व्यवसाय बेहतर स्थिति में होंगे।
उन्होंने कहा,
“मुझे उम्मीद है कि हम इस तरह के हालात फिर से नहीं देखेंगे, लेकिन अगर हमारे सामने इस तरह के हालात दोबारा आते हैं, तो मुझे लगता है कि आप लोगों की बेहतर समझ होगी कि लोग क्या कर सकते हैं, कंपनियां बहुत तेजी से प्रतिक्रिया दे रही हैं - सही तरीक से, बजाय बस लोगों को नौकरी से निकाला जाए।”
Edited by रविकांत पारीक