7000 करोड़ में रतन टाटा की होगी Bisleri, क्यों मुकेश अंबानी को नहीं मिली?
टाटा कंज्यूमर FMCG सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है. इस डील के बाद कंपनी इस सेक्टर में टॉप 3 कंपनियों में शामिल हो जाएगी. इस डील की खबर के सामने आने के बाद शेयर बाजार में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के शेयर में तेजी जारी है.
भारत की सबसे बड़ी पैकेज़्ड ड्रिंकिंग वॉटर बेचने वाली कंपनी बिसलेरी (Bisleri) अब सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) की होने जा रही है. 7000 करोड़ रुपये में यह डील होनी है, जिसके बाद बिसलेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) की कमान रतन टाटा की कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Tata Consumer Products Limited) के पास चली जाएगी.
टाटा कंज्यूमर FMCG सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है. इस डील के बाद कंपनी इस सेक्टर में टॉप 3 कंपनियों में शामिल हो जाएगी. इस डील की खबर के सामने आने के बाद शेयर बाजार में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के शेयर में तेजी जारी है.
Bisleri मूल रूप से एक इटालियन ब्रांड था जिसने 1965 में मुंबई में भारत में एक दुकान से शुरूआत की थी. बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक रमेश चौहान ने 1969 में इसे अधिग्रहित किया था. कंपनी के 122 ऑपरेशनल प्लांट हैं और भारत और पड़ोसी देशों में 4,500 डिस्ट्रीब्यूटर्स और 5,000 ट्रकों का नेटवर्क है.
द इकोनॉमिक टाइम्स ने बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक रमेश चौहान के साथ एक ख़ास बातचीत के आधार पर ये ख़बर दी है. 82 वर्षीय रमेश चौहान ने इस बातचीत में बताया है कि उन्होंने अपनी कंपनी बेचने के लिए टाटा समूह को ही क्यों चुना क्योंकि रिलायंस और नेस्ले जैसी बड़ी कंपनियां भी बिसलेरी को ख़रीदना चाह रही थीं.
रमेश चौहान ने अब से तीन दशक पहले 'थम्स अप', 'गोल्ड स्पॉट', 'लिम्का' और माज़ा जैसे मशहूर सॉफ़्ट ड्रिंक ब्रांड्स बहुराष्ट्रीय कंपनी कोका – कोला को बेच दिए थे.
इसके बाद अब वह बिसलेरी को टाटा समूह (Tata Group) को बेचने जा रही है.
चौहान ने बताया है कि उनके लिए ये एक मुश्किल फ़ैसला रहा है लेकिन उनके पास इस कंपनी को आगे ले जाने के लिए उत्तराधिकारी नहीं है. और उनकी बेटी जयंती को इस बिज़नेस में रुचि नहीं है.
गौरतलब हो कि टाटा समूह अपने उपभोक्ता व्यवसाय को टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) के तहत रखता है, TCPL ब्रांड हिमालयन के तहत टाटा कॉपर प्लस वॉटर और टाटा ग्लूको + जैसे ब्रांडों के साथ पैकेज्ड मिनरल वाटर भी बेचता है.
टाटा समूह को ही अपनी कंपनी बेचने को लेकर रमेश चौहान ने कहा है कि "मुझे टाटा समूह की ईमानदारी और जीवन के मूल्यों का सम्मान करने वाली संस्कृति पसंद है. इस वजह से मैंने उनका चुनाव किया. जबकि इस ब्रांड को ख़रीदने के लिए दूसरे पक्ष भी काफ़ी आक्रामक थे."
बिसलेरी की एक दौर में रिलायंस रिटेल (Reliance Retail), नेस्ले (Nestle) और Danone के साथ भी बातचीत हो चुकी है लेकिन ये सफल नहीं रही. टाटा के साथ बातचीत बीते दो सालों से चल रही थी.
टाटा समूह के शीर्ष अधिकारियों की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा है कि "मैं उन्हें पसंद करता हूं, वे अच्छे लोग हैं."
पिछले कुछ समय में रमेश चौहान की टाटा सन्स (Tata Sons) के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन और टाटा कंज़्यूमर्स के सीईओ सुनील डीसूज़ा से मुलाक़ात हुई है.
बिसलेरी के टाटा समूह के बैनर तले आने के बाद चौहान अपनी कंपनी में माइनॉरिटी स्टेक भी नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा है कि मैं कंपनी में माइनॉरिटी स्टेक लेकर क्या करूंगा जब मैं ये कंपनी चला नहीं रहा हूंगा.
बोतलबंद पानी के कारोबार से बाहर निकलने के बाद, चौहान का इरादा पर्यावरण और धर्मार्थ कारणों जैसे जल संचयन, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और गरीबों को चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में मदद करने पर फिर से ध्यान केंद्रित करना और निवेश करना है.
उन्होंने ये भी कहा कि "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये फ़ैसला पैसों को ध्यान में रखकर नहीं लिया गया है. मैं इस बात को लेकर बेहद चिंतित था कि इस कंपनी को ऐसा व्यापारिक समूह मिले जो इसका वैसे ख़्याल रखे जैसे मैंने रखा है. मैंने इस बिज़नेस को काफ़ी मेहनत और जुनून के साथ खड़ा किया है और इसे अभी उतने ही जुनूनी लोग चला रहे हैं.”
साल 2023 के वित्तीय वर्ष में बिसलेरी का वार्षिक टर्नओवर 2500 करोड़ रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसमें लगभग 220 करोड़ रुपये का लाभ होगा.
मार्केट रिसर्च और एडवाइजरी TechSci रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021 में भारतीय बोतलबंद पानी का बाजार 2.43 बिलियन डॉलर (लगभग 19,315 करोड़ रुपये) से अधिक का था. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती डिस्पोजेबल आय, बढ़ती स्वास्थ्य और स्वच्छता जागरूकता और उत्पाद नवाचार में वृद्धि के कारण इसके 13.25 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है.