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रवि मिश्रा की 'द ज्ञानम् एकेडमी' ने इस तरह किया बच्चों के ज्ञान का कायाकल्प

रवि मिश्रा की 'द ज्ञानम् एकेडमी' ने इस तरह किया बच्चों के ज्ञान का कायाकल्प

Wednesday January 08, 2020 , 3 min Read

'डर जाओगे तो बिखर जाओगे और डट जाओगे तो संवर जाओगे', जमुई (पटना) में पिछले चार साल से संस्कृत पढ़ने वाले बच्चों की कोचिंग 'द ज्ञानम एकेडमी' चला रहे रवि मिश्रा अपने छात्रों को यही दीक्षा देते हैं। पहले वे संस्कृत में फेल हो जाते थे। जब से रवि संगीतबद्ध तरीके से उन्हे पढ़ाने लगे, वे एग्जाम में 90 नंबर तक ले आ रहे हैं।

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बच्चों को संस्कृत पढ़ाते रवि मिश्रा



हमारे देश में संस्कृत भाषा का प्रयोग बंद होना एक अचंभे की बात है। कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत के कठिन होने के कारण इसे हटा दिया गया, परन्तु धरातल पर सच्चाइयां कुछ और हैं। अभिभावक रोजगार के हालात देखते हुए अपनों बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने पर जोर देते हैं लेकिन आज भी हजारों विद्यालयों में बच्चे संस्कृत पढ़ रहे हैं। हां, इतना जरूर है कि बदलते समय इस भाषा के विद्वानों, शिक्षकों में भी उदासीनता आई है और अपने अभिभावकों के अंग्रेजियत के प्रति रुझान से बच्चों में भी।

खास है 'द ज्ञानम एकेडमी'

हालांकि जमुई (पटना) के रवि मिश्रा अपने कोचिंग संस्थान 'द ज्ञानम एकेडमी' के माध्यम से गांव के बच्चों को संस्कृत में फेल होते देख पिछले तीन वर्षों से इस संकल्प के साथ जुटे हुए हैं कि वह अब किसी बच्चे को संस्कृत में अनुत्तीरण नहीं होने देंगे। 


रवि मिश्रा बताते हैं,

"मैंने चार महीने पहले सिर्फ ग्यारह बच्चों से अपनी कोचिंग क्लासेस शुरू की थी, जिसमें आज अस्सी बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। उनमें से आधे से ज्यादा बच्चों को वह निःशुल्क पढ़ा रहे हैं।"

तीन सालों में कोई नहीं हुआ फेल

'द ज्ञानम एकेडमी' खुलने के बाद से पिछले 3 वर्षों में उनका एक भी बच्चा संस्कृत में फेल नहीं हुआ है। कई बच्चों को तो अस्सी प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले हैं। पिछले साल कोचिंग के एक बच्चे को नब्बे नंबर मिले। वह बताते हैं कि जून, 2016 में 10वीं का रिजल्ट आने के बाद उन्हे पता चला कि जमुई के चौदह बच्चे संस्कृत में फेल हो गए हैं। उन बच्चों से वह मिले तो पता चला कि उनको संस्कृत समझ में नहीं आती है। उसके बाद उन्होंने चार महीने तक संस्कृत का रिवीजन किया

संगीत से याद कराये श्लोक

संस्कृत के श्लोक याद करने में बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी। बच्चों को पढ़ाने के ट्रिक्स तैयार किए। श्लोकों को संगीत के सहारे याद कराने लगे। बच्चे संस्कृत के श्लोक रटने के बजाए गाकर सुनाने लगे। इस तरह उनकी सबसे बड़ी मुश्किल आसान होती चली गई। बच्चे मन लगाकर संस्कृत पढ़ने लगे। 


रवि मिश्रा बताते हैं कि इस समय 'द ज्ञानम एकेडमी' में चालीस प्रतिशत से ज्यादा बच्चे निःशुल्क कोचिंग ले रहे हैं। अन्य बच्चों पर भी वह फीस के लिए दबाव नहीं बनाते हैं। वह सोचते हैं कि ग्रेजुएशन के समय उनके सामने भी तो पैसे की दिक्कत रहती थी। वह खुद गरीबी से गुजरे हैं। वह जानते हैं कि गरीब मां-बाप को बच्चों की फीस भरना कितना मुश्किल होता है।

बिना तनाव आ रहे अच्छे मार्क्स

वह बताते हैं कि उनके यहां पढ़ रहे बच्चे बिना किसी तनाव के आराम से साठ-सत्तर प्रतिशत मार्क ले लेते हैं। यहां के बच्चों को रवि यह भी दीक्षा देते हैं कि संस्कृत हमारी संस्कृति है। इसे गौरव दिलाना उनका भी काम है। रवि अपने बच्चों को संस्कृत और अन्य विषय पढ़ाने के साथ ही कम्यूनिकेशन डेवलपमेंट की भी उन्हे पढ़ाई कराते हैं। वह बच्चों को एक ही बात सिखाते हैं कि 'डर जाओगे तो बिखर जाओगे और डट जाओगे तो संवर जाओगे'