कोचिंग से हर माह 260 करोड़ कमाने वाले रविंद्रन आठ साल में बन गए अरबपति
"केरल के एक छोटे से गांव अझीकोड में पढ़-लिखकर बड़े हुए बायजू रविंद्रन का अपने माता-पिता की तरह टीचर बनने का सपना परवान नहीं चढ़ा तो लगभग नौ साल पहले वह कोचिंग क्लास चलाने लगे। आज उनका दो लाख की लागत से शुरू स्टार्टअप 'बायजू इंडिया' नाम से 39,330 करोड़ की मार्केट वैल्यू वाली कंपनी बन चुका है।"
हमारे देश में बारहो मास जोर-जोर से बेरोजगारी का रोना रोया जाता है लेकिन केरल का एक शख्स ऐसा भी है, जो मात्र दो लाख रुपए से कुछ साल पहले 'बायजू' नाम से अपना कोचिंग स्टार्टअप शुरू कर आज अरबपति क्लब में शामिल हो चुका है। वह अत्यंत सफल युवा हैं कन्नूर (केरल) के बायजू रविंद्रन, जिनकी हर महीने की कमाई 260 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है। पिछले वर्ष उन्होंने अपनी स्टार्टअप कंपनी 'बायजू इंडिया' का सालाना लक्ष्य 1400 करोड़ रुपए रखा था, जो चालू वित्त वर्ष में तीन हजार करोड़ रुपए हो गया है। रविंद्रन एंटरटेनमेंट क्षेत्र में माउस हाउस डिज्नी की तरह अब देश के लिए एजुकेशन सिस्टम में कुछ कर दिखाना चाहते हैं। उनके बायजू ऐप में तो डिज्नी के सिंबा, अन्ना जैसे कैरेक्टर दाखिल भी हो चुके हैं।
दो साल पहले फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान अपनी संस्था 'चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव' की ओर से 'बायजूज इंडिया' में पांच करोड़ डॉलर का निवेश कर चुकी है। इसके अलावा हाल ही में इस कंपनी में एक हजार करोड़ रुपए का निवेश और हुआ है। इस समय इस स्टार्टअप कंपनी की कुल मार्केट वैल्यू लगभग 39,330 करोड़ रुपए हो चुकी है, जिसमें रविंद्रन की 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस हैरतअंगेज कामयाबी का सिला ये है कि एक हजार कर्मचारियों वाली कंपनी ऑनलाइन 'बायजू इंडिया' से इस समय जुड़े साढ़े तीन करोड़ छात्रों में से लगभग चौबीस लाख तो पेड सब्सक्राइबर हैं। बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान इस कोचिंग कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं।
कन्नूर के एक छोटे से गांव अझीकोड में पढ़-लिखकर बड़े हुए बायजू रविंद्रन ने अपने दोस्त-मित्रों के कहने पर यह कोचिंग चलाने का काम आज से लगभग नौ साल पहले दो लाख रुपए लगाकर शुरू किया था, जो आज एडटेक कंपनी के रूप में देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन एजुकेशन कंटेट उपलब्ध कराने वाला प्लेटफॉर्म बन चुका है। आज जब लोग बायजू रविंद्रन के बारे में पढ़ते-सुनते हैं, हैरत से अपने दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं कि क्या बच्चों को फुटकर पढ़ाने वाला कोई टीचर सचमुच नौ साल के भीतर ही अरबपति भी हो सकता है। दरअसल, रविंद्रन को टीचिंग विरासत में मिली है। उनके माता-पिता भी टीचर थे। बचपन में जब रविंद्रन का पढ़ाई में मन नहीं लगता था तो फुटबॉल खेलने चले जाते थे।
रविंद्रन बड़े हुए तो खुद टीचर बनने के सपने देखने लगे। टीचिंग का जॉब तो मिला नहीं, फिर कालीकट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद एक शिपिंग कंपनी को ज्वॉइन करना पड़ा। उन्ही दिनो रविंद्रन को पता चला कि उनके कुछ सहपाठी एमबीए की तैयारी कर रहे हैं तो उन्होंने सोचा, क्यों न वे अपनी नौकरी करते हुए उनकी भी कुछ मदद कर दिया करें। फिर क्या था, पार्ट टाइम वह उन्हे एमबीए की तैयारी भी कराने लगे। सहपाठियों का सक्सेस सामने आने के साथ ही रविंद्रन को कोचिंग क्लास चलाने का पहला आइडिया सूझा। कोचिंग से अच्छी कमाई होने लगी तो वह आसपास के अन्य शहरों में भी जा-जाकर कोचिंग देने लगे। वर्ष 2009 में पहली बार 'कैट' के लिए उन्होंने ऑनलाइन वीडियो लर्निंग प्रोग्राम शुरू किया।
उसके बाद उनके दिमाग में इस कोचिंग को एक बड़ी बिजनेस कंपनी बनाने के लिए ऑनलाइन क्लास चलाने का एक और नया आइडिया आया। वह उसे बड़ा प्रोजेक्ट बनाने में जुट गए। शुरुआती दौर में तकनीकी इंफ्रॉस्ट्रक्चर खड़ा कर लेने बाद 2011 में उन्होंने सबसे पहले एक कंपनी के रूप में अपने स्टार्टअप को नाम दिया - बायजू इंडिया (थिंक एंड लर्न)। उसके बाद वर्ष 2015 में उन्होंने अपना फ्लैगशिप प्रोडक्ट BYJU- द लर्निंग एप भी लॉन्च कर दिया। स्मार्टफोन के जमाने में बस यही प्रयोग गेमचेंजर बन गया। फिर तो बायजू के ऐसे पंख लगे कि इस समय उसका मासिक रेवेन्यू 260 करोड़ तक पहुंच चुका है।