आरबीआई ने कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक असर से निपटने के लिए और उपायों की घोषणा की
कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए नए उपायों की घोषणा करते हुए आरबीआई ने कहा कि बैंकों और निवेश फर्मों के लिए पूंजी आवश्यकता सुनिश्चित करने वाले काउंटर-साइक्लिकल कैपिटल बफर (सीसीवाईबी) को फिलहाल लागू करना आवश्यक नहीं है।
नयी दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए कुछ नए उपायों की घोषणा की। निर्यात आय की प्राप्ति और उसे स्वदेश भेजने के लिये निर्यातकों को और समय दिया गया है।
इसके साथ ही आरबीआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी आय और व्यय में फौरी तौर पर आने वाले अंतर की भरपाई के लिये दी जाने वाली अग्रिम राशि की सीमा 30 प्रतिशत बढ़ा दी है। कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए नए उपायों की घोषणा करते हुए आरबीआई ने कहा कि बैंकों और निवेश फर्मों के लिए पूंजी आवश्यकता सुनिश्चित करने वाले काउंटर-साइक्लिकल कैपिटल बफर (सीसीवाईबी) को फिलहाल लागू करना आवश्यक नहीं है।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में निर्यातकों द्वारा वस्तुओं तथा सॉफ्टवेयर निर्यात की पूरी राशि को निर्यात की तारीख से नौ महीने के भीतर देश में लाना होता है। आरबीआई ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते आई दिक्कतों के चलते 31 जुलाई 2020 तक किए गए निर्यात से होने वाली आय को देश में लाने की अवधि निर्यात की तारीख से 15 महीने कर दी गई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस फैसले से निर्यातक कोविड-19 से प्रभावित देशों से विस्तारित अवधि के भीतर भुगतान पा सकेंगे और भविष्य के निर्यात सौदों पर बातचीत के लिए उनके पास अधिक लचीलापन होगा।
आरबीआई ने कहा कि सरकार को उसकी प्राप्तियों और भुगतान मे आने वाले अंतर की भरपाई के लिए अस्थाई रूप से अग्रिम नकदी दी गई है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति को देखते हुये उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की खचोंर् को चलाने के लिये दी जाने वाली सीमा को भी करीब 30 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।
आरबीआई ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उनके सामान्य खर्चों की सीमा की समीक्षा के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया था। समिति की सिफारिशें अभी मिलनी बाकी है लेकिन उसकी अंतिम रिपोर्ट आने तक सीमा में फिलहाल यह वृद्धि करने का फैसला किया गया है। संशोधित सीमा एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक मान्य होगी।
आरबीआई ने केन्द्र सरकार के खर्चों के लिये जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान यह सीमा 70,000 करोड़ रुपये निर्धारित की है, जो पिछली तिमाही में 60,000 करोड़ रुपये थी।