कोरोनो वायरस महामारी के बीच वेंटिलेटर की कमी को हल करना चाहता है यह स्टार्टअप, जानिए कैसे
कोरोनो वायरस के प्रकोप ने दुनिया भर में कहर बरपाया हुआ है, भारत में 900 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों को डर है कि देश में वेंटिलेटर की भारी कमी हो सकती है। कोरोना वायरस या Covid-19 रोगी के रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन प्रणाली) को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है जिसे वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता होती है।
वेंटिलेटर एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग ऑक्सीजन को ब्लडस्ट्रीम में पंप करने और रोगी के फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने के लिए अतिरिक्त दबाव बनाने के लिए किया जाता है। विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत में वर्तमान में 40,000 से अधिक वेंटिलेटर नहीं हैं, जबकि कोरोनोवायरस महामारी से पीड़ित रोगियों की मदद के लिए इसे अगले तीन से चार महीनों में कम से कम एक लाख से अधिक मशीनों की आवश्यकता पड़ सकती है।
वेंटिलेटर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, कई स्टार्टअप और इनोवेटर्स सलूशन के साथ आ रहे हैं। ऐसा ही एक स्टार्टअप है बायोडिजाइन इनोवेशन लैब्स (Biodesign Innovation Labs) जो वेंटिलेटर के बड़े पैमाने पर निर्माण के साथ मांग को पूरा करने की कोशिश कर रहा है।
बेंगलुरु स्थित बायोडिजाइन इनोवेशन लैब्स एक मेडिकल डिवाइस और हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो कम संसाधन वाली स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वदेशी रेस्पिरेटरी सपोर्ट डिवाइसेस जैसे सस्ते और सुलभ लाइफ-सेविंग इनोवेशन्स को डेवलप करती है। इसके अलावा यह लंबे समय तक मैनुअल वेंटिलेशन के विकल्प के रूप में आपात स्थिति और बड़े पैमाने पर कैजुअलटी के दौरान सांस के रोगियों का इलाज करने के लिए इनोवेटिव मैकेनिकल वेंटिलेशन डिवाइसेस को भी डेवलप करती है।
2017 में गौतम पसुपुलेटी और आदित्य पसुपुलेटी द्वारा शुरू किया गया, बायोडिजाइन इनोवेशन लैब्स ने एक कम लागत वाली डिवाइस डेवलप की है जिसे रेस्पिरऐड (RespirAid) कहा जाता है। बायोडिजाइन इनोवेशन के सीईओ और प्रबंध निदेशक गौतम पसुपुलेती कहते हैं, यह एक पोर्टेबल वेंटिलेटर या ऑटो रिससिटेशन या ऑटोमैटेड रेस्पिरेटरी असिस्ट डिवाइस है जो अचानक सांस रुक जाने के दौरान मकैनिकली स्पेसिफिक डिजायर्ड वेंटीलेटर पैरामीटर्स पर इंटरमिटेंट पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेशन प्रदान करके रोगी को स्थिर कर सकता है।
उन्होंने कहा कि डिवाइस कम खर्चे में वेंटिलेटर की कमी के कारण रुग्णता (morbidity) को कम करने में मदद करता है।
बैकग्राउंड
गौतम MIT मीडिया लैब इनिशिएटिव्स में एक रिसर्चर थे। MIT मीडिया लैब इनिशिएटिव्स LVPEI आई हॉस्पिटल के सहयोग से नेत्र विज्ञान उपकरणों को विकसित करने और आंखों की देखभाल व कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए एआई-आधारित तकनीकों में अपने काम को प्रकाशित करती थी।
इस समय के दौरान, उन्होंने कॉर्नियल एक्स नामक एक स्टार्टअप की स्थापना की, जो एआई-आधारित नेत्र देखभाल स्टार्टअप है, जो अब स्वास्थ्य सेवा अनुप्रयोगों के लिए एआई-आधारित तकनीक विकसित करने के लिए बायोडिजाइन इनोवेशन लैब्स का हिस्सा है।
उन्होंने कॉरपोरेट कंपनियों और चेन्नई में सास-बेस्ड टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट मैनेजमेंट के रूप में बेंगलुरु में स्टार्टअप के साथ भी काम किया। उन्होंने चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में इंस्ट्रूमेंटेशन और कंट्रोल इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।
2017 में, गौतम ने अपने वर्तमान सह-संस्थापक के साथ पूरे भारत में विषम नैदानिक आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए एक क्लीनिकल भ्रमण किया। उन्होंने लगभग 100 अस्पतालों का दौरा किया और पूरे भारत में अड़चनों की पहचान की।
गौतम कहते हैं,
“वेंटिलेटर्स की कमी के कारण, रोगी की देखभाल करने वाले और डॉक्टर बैग वाल्व मास्क डिवाइसेस का उपयोग करते हैं जो रोगियों को समय-समय पर मृत्यु दर और रुग्णता की ओर ले जाते हैं। हमने यह भी पाया कि सांस संबंधी बीमारियाँ बच्चों के लिए दुनिया भर में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक हैं, और विकासशील देशों में निमोनिया और हाइपोक्सिमिया के कारण पांच साल से कम बच्चों (अंडर-फाइव) में मृत्यु दर काफी ज्यादा है।”
इसे संबोधित करने के लिए, स्टार्टअप ने उन उपकरणों को विकसित करने का निर्णय लिया, जो सांस की बीमारियों के रोगियों की जान बचा सकते हैं। गौतम कहते हैं कि स्टार्टअप का मिशन जीवन को बचाना है, देखभाल और दृष्टि की गुणवत्ता में सुधार करना है, और स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और सस्ती बनाना है।
कॉरपोरेट समर्थन की जरूरत
अब तक, स्टार्टअप को भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट से BIRAC, कर्नाटक सरकार, निधि प्रयास - साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट और CAMTech MGH से समर्थन मिला है। यह क्वालकॉम द्वारा अपने ‘टॉप 10 स्टार्टअप्स इन इंडिया फॉर द डिजाइन इन इंडिया चैलेंज 2019’ में अपने इनोवेशन रेस्पिरिड के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
रेस्पिरऐड के निर्माण और वितरण के लिए बड़े पैमाने पर विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए स्टार्टअप को लगभग 10 करोड़ रुपये जुटाने की आवश्यकता है।
वे कहते हैं,
"हम टाटा, रिलायंस, महिंद्रा और अन्य बड़े उद्योग के लोगों के साथ अपने प्रोडक्ट का लाइसेंस देने और साझेदार बनाने की तलाश कर रहे हैं, ताकि बायोडिजाइन इनोवेशन लैब्स के रेस्पिरऐड पोर्टेबल वेंटिलेटर का बड़े पैमाने पर पर्याप्त निर्माण किया जा सके जो भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों को बचा सकते हैं और COVID-19 महामारी का मुकाबला कर सकते हैं।"