प्लास्टिक की बोतलों से बना डाली दीवार, असम का यह आँगनवाड़ी कर रहा है बेहतरीन पहल
प्लास्टिक आज पर्यावरण के प्रदूषण के लिए सबसे प्रमुख जिम्मेदार है। असम में प्लास्टिक से निपटने के लिए कुछ अनूठी पहल काम आ रही है। यहाँ प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग दीवार के निर्माण में किया जा रहा है।

प्लास्टिक बोतलों से बनी दीवार (चित्र: एडेक्स लाइव)
एक समय आएगा हम समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक पाएंगे। आज मानव गतिविधियों ने जल निकायों को डंपिंग यार्ड में बदल दिया है। इस बर्बादी के मुद्दे से निपटने के लिए आज कई लोग पहल के साथ आए हैं। ये लोग सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन, निर्माण कार्यों के लिए समुद्र से निकली प्लास्टिक का उपयोग करने जैसी पहल कर रहे हैं।
असम के हैलाकांडी जिले में एक आंगनवाड़ी केंद्र का निर्माण प्लास्टिक की बोतलों के साथ किया जा रहा है और इसमें नॉन-बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट और कीचड़ का इस्तेमाल हुआ है। उपायुक्त आर के दम के अनुसार इसमें 3.46 लाख रुपये की कुल लागत आने का अनुमान है।
एडेक्स लाइव के अनुसार, 'इको-ब्रिक्स' को सुदृढ़ करने के लिए तरल सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है, साथ ही प्लास्टिक की ईंटों को कचरे से भरा जा रहा है। कमरे को सांस लेने के योग्य व भूकंप निरोधी बनाने के लिए लिए दीवारों में लगी इको-ईंटों में कुछ छेद होंगे। यह पहल प्लास्टिक बोरजन अभियान ’का एक हिस्सा है।
इस अभियान के तहत जिला कार्यालय ने एक कार्यशाला का आयोजन किया था, जिसमें लोगों को बताया गया था कि कैसे प्लास्टिक को ईको-ईंटों में परिवर्तित किया जाए।
अरुणाचल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार आर के दम कहते हैं,
“अगली बार आप अपने हाथ में एक प्लास्टिक की बोतल पकड़ते हैं तो यह सोचने की कोशिश करें कि इसे फेंकने के अलावा और क्या किया जा सकता है। ग्वाटेमाला में पैदा हुई ईको-ब्रिक्स की अवधारणा से एक मजबूत और सस्ती निर्माण सामग्री ल निर्माण हो रहा है, जो बेरोजगारी, बर्बादी और आवास की कमी से लड़ने में मदद करती है।"
इको-ईंटों की मदद से कचरे का प्रबंधन करना काफी आसान है, क्योंकि प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसका परिणाम बाद में प्रदूषण और अन्य बाधाओं के रूप में सामने आता है।
इस पूरी परियोजना को यूएनडीपी, राज्य शिक्षा, सामाजिक कल्याण और पीडब्ल्यूडी विभागों द्वारा समर्थित किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को इको-फ्रेंडली ड्राइव में भाग लेने के लिए व प्रोत्साहित करने के लिए प्रशासन ने एक प्लास्टिक बैंक की स्थापना की है, जहाँ छात्र एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को जमा कर सकते हैं, जिसे बाद में ईको-ब्रिक्स में बदल दिया जाता है।