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महंगाई कम करने के लिए सरकार को सुझाए गए उपायों के खुलासे से RBI का इनकार, कहा- हिल सकता है मार्केट

आरबीआई के केंद्रीय पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO) मनीष कुमार ने कहा, 'इस सूचना को आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत खुलासा से छूट दी गई है क्योंकि यह राज्य के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.'

महंगाई कम करने के लिए सरकार को सुझाए गए उपायों के खुलासे से RBI का इनकार, कहा- हिल सकता है मार्केट

Monday February 13, 2023 , 4 min Read

देश के केंद्रीय बैंक का कहना है कि पिछले साल लचीले लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के बाद उसने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को कुछ उपचारात्मक उपाय सुझाएं हैं. हालांकि. इन उपायों का खुलासा करना बाजार में व्यवधान पैदा कर सकता है और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है.

द मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) की अपील के जवाब में यह बात कही है.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरबीआई ने सरकार के साथ जो गोपनीय पत्राचार किया है, उसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा करना, खास तौर पर वे जिनमें उपचारात्मक कार्रवाई शामिल है, उम्मीदों को खत्म कर सकते हैं और मॉनेटरी पॉलिसी ट्रांसमिशन को बाधित कर सकते हैं. यह विकास की संभावनाओं को कम कर सकता है और राज्य के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है.

आरबीआई के केंद्रीय पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO) मनीष कुमार ने कहा, 'इस सूचना को आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत खुलासा से छूट दी गई है क्योंकि यह राज्य के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.'

इससे पहले, दिसंबर में आरबीआई ने मिंट के आरटीआई आवेदन को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया था. जब मिंट ने इसके खिलाफ अपनी दाखिल की तब अपीलेट अथॉरिटी ने CPIO ने इस जवाब की समीक्षा के लिए कहा था. इस बार दिए गए जवाब में फैसले का कारण बताया गया.

क्यों दाखिल की गई थी आरटीआई?

दरअसल, पिछले साल जनवरी से लेकर सितंबर तक आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों में लचीली खुदरा महंगाई के लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहा.

साल 2016 में आरबीआई अधिनियम, 1934 में बदलाव किया गया था. इसकी धारा 45ZN के तहत आरबीआई को अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाने के कारणों को सरकार बताना जरूरी होता है. इसके साथ ही, उसे लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को कुछ उपाय सुझाने होते हैं और उसे यह भी बताना होता है कि वह इस लक्ष्य कितने समय में हासिल कर पाएगा.

इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने 3 नवंबर को बैठक की थी और एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसके बाद उसने इसे केंद्र सरकार को सौंपा था.

उसके बाद से ही इस पत्र को कई कारण बताते हुए दबाए रखा गया. इन कारणों में गोपनीयता के प्रावधान से लेकर इन्हें रिलीज करने के लिए किसी खास प्रावधान की कमी का हवाला दिया गया है.हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इन पत्रों का खुलासा करना जनता के हित में है.

रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक नहीं लगाता कानून

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व अध्यक्ष अजय त्यागी ने इकोनॉमिक टाइम्स में एक कॉलम में लिखा कि कानून, रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर रोक नहीं लगाता है.

उन्होंने 19 दिसंबर को लिखा था, “विषय के सार्वजनिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. वास्तव में, इसकी जांच वित्त मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति द्वारा की जानी चाहिए और संसद में इस पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए."

अपने अपडेटेड जवाब में, आरबीआई ने पत्र को गुप्त रखने के केंद्र सरकार के कारण को दोहराया कि आरबीआई अधिनियम, 1934 के प्रावधान और संबंधित नियम सूचना को सार्वजनिक करने के लिए प्रदान नहीं करते हैं.

इन मामलों में सूचना सार्वजनिक करने की है छूट

बता दें कि, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के लिए लाए गए आरटीआई एक्ट के तहत कुछ सूचनाओं का खुलासा करने पर रोक लगाई गई है.

आरबीआई ने जिस सेक्शन 8(1)(ए) का इस्तेमाल जानकारी नहीं देने के लिए किया है, उसके अनुसार ऐसी जानकारियां शेयर करने से छूट दी गई है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, किसी विदेशी राज्य के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकता है या किसी अपराध को बढ़ावा दे सकता है.


Edited by Vishal Jaiswal