RBI ने Paytm के पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस ऐप्लीकेशन पर लगाई रोक, अब क्या?
Paytm की सब्सिडरी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड ने पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था जिस पर RBI ने रोक लगा दी है. वजह क्या है? यहां जानिए...
बीते कुछ दिनों से Paytm लगातार सुर्खियों में है. इसकी शेयरों में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई है. अब हाल में Paytm को एक और तगड़ा झटका लगा है. Paytm की सब्सिडरी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड (Paytm Payments Services Limited - PPSL) ने पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस (payment aggregator service) के लिए आवेदन किया था जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India - RBI) ने रोक लगा दी है.
कंपनी ने आज, 26 नवंबर को शेयर बाजारों को यह जानकारी दी है.
इससे पहले रेजरपे (RazorPay), पाइन लैब्स (Pine Labs) और सीसीएवेन्यूज (CCAvenues) को नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है और बिलडेस्क (BillDesk) और पेयू (PayU) आरबीआई के फैसले का इंतजार कर रही है.
पेटीएम के अलावा सिर्फ मोबीक्विक (Mobikwik) के ही आवेदन को आरबीआई ने खारिज किया था क्योंकि यह नेटवर्थ की शर्तों को पूरा नहीं कर रही थी. मोबीक्विक ने फिर से लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है. पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज को 120 कैलेंडर दिनों के भीतर फिर से पेमेंट एग्रीगेटर आवेदन सबमिट करना है.
कंपनी आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए PPSL में डाउनवर्ड इन्वेस्टमेंट के लिए जरूरी मंजूरी मांगेगी. यह इस प्रक्रिया के दौरान नए व्यापारियों को शामिल नहीं करेगी.
कंपनी ने बताया कि सहायक कंपनी मौजूदा व्यापारियों के साथ व्यापार करना जारी रखेगी जिनके लिए सेवाएं अप्रभावित रहेंगी.
पेटीएम ने BSE (Bombay Stock Exchange) के साथ साझा की जानकारी में बताया, "इससे हमारे बिजनेस और रेवेन्यू पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि आरबीआई से संचार केवल नए ऑनलाइन व्यापारियों के ऑनबोर्डिंग पर लागू होता है. हम नए ऑफ़लाइन व्यापारियों को ऑनबोर्ड करना जारी रख सकते हैं और उन्हें ऑल-इन-वन क्यूआर, साउंडबॉक्स, कार्ड मशीन, आदि सहित भुगतान सेवाओं की पेशकश कर सकते हैं."
कंपनी ने यह भी बताया कि वह आवेदन को फिर से जमा करने के बाद समयबद्ध तरीके से आवश्यक अप्रूवल मिलने को लेकर आशान्वित है.
क्या होता है पेमेंट एग्रीगेटर?
पेमेंट एग्रीगेटर (पीए) ऐसी संस्थाएं हैं जो ईकॉमर्स साइटों और व्यापारियों को अपने भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए ग्राहकों से विभिन्न भुगतान साधनों को स्वीकार करने की सुविधा देती है. इसका मतलब है कि व्यापारियों को अपना खुद का अलग पेमेंट इंटीग्रेशन सिस्टम बनाने की जरूरत नहीं होती है.
इस प्रक्रिया में, पीए ग्राहक पूल से पेमेंट प्राप्त करते हैं और उन्हें एक समयावधि के बाद व्यापारियों को ट्रांसफर करते हैं. विशेष रूप से, बैंक और नॉन-बैंक पीए अपनी गतिविधियों के हिस्से के रूप में धन का प्रबंधन करते हैं. हालांकि, बैंक अपने सामान्य बैंकिंग संबंधों के हिस्से के रूप में पीए सेवाएं प्रदान करते हैं और उन्हें आरबीआई से अलग प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं होती है. जबकि, नॉन-बैंक पीए को आरबीआई से प्राधिकरण की आवश्यकता होती है.