रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा, कोविड-19 के रुख से तय होगी बाजार की दिशा
विशेषज्ञों का कहना है कि एमपीसी द्वारा अपने नरम नीतिगत रुख को जारी रखे जाने की उम्मीद है। एमपीसी की बैठक के नतीजों की घोषणा सात अप्रैल को होगी।
शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा, वृहद आर्थिक आंकड़ों, कोविड-19 संक्रमण के रुख और वैश्विक संकेतकों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।
विश्लेषकों ने कहा कि कंपनियों के तिमाही नतीजों का सत्र अप्रैल मध्य से शुरू होगा। ऐसे में इससे पहले बाजार में कुछ एकीकरण देखने को मिल सकता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख-खुदरा शोध सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हाल में घोषित निवेश योजना की घोषणा के बाद आगे चलकर बाजार की निगाह वैश्विक संकेतकों पर रहेगी। इसके अलावा अब निवेशकों को कंपनियों के तिमाही नतीजों का इंतजार है, जिसकी शुरुआत अप्रैल मध्य से होगी।’’
खेमका ने कहा कि घरेलू स्तर पर कोविड-19 की दूसरी लहर चिंता का विषय है। ऐसे में आगे संभावित लॉकडाउन की आशंका बनी हुई है।
सैमको सिक्योरिटीज की प्रमुख इक्विटी-शोध निराली शाह ने कहा कि इस सप्ताह सबसे प्रमुख घटनाक्रम केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली एमपीसी की बैठक पांच से सात अप्रैल तक होनी है।
इसके अलावा इस सप्ताह विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े आने हैं। इससे भी बाजार की धारणा पर असर होगा।
कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष और बुनियादी शोध प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा कि आगे चलकर रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के तिमाही नतीजों के सीजन से बाजार को दिशा मिलेगी। नए वित्त वर्ष की शुरुआत अच्छी हुई है। तिमाही नतीजों की वजह से अप्रैल में कुछ और गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।
बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,021.33 अंक या दो प्रतिशत के लाभ में रहा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘निकट भविष्य में सकारात्मक रुख जारी रहेगा। हालांकि, भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामले चिंता बढ़ाने वाले है। कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों का सीजन शुरू होने जा रहा है। ऐसे में अब निवेशकों की निगाह इनपर भी रहेगी।’’
कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. के प्रमुख-इक्विटी हेमंत कनावाला ने कहा, ‘‘कोविड की दूसरी लहर और ऊंचे मूल्यांकन की वजह से निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव रहेगा।’’
बीते वित्त वर्ष में बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 20,040.66 अंक या 68 प्रतिशत चढ़ा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
कोविड-19 संक्रमण के मामलों में अचानक आई तेजी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक सोमवार यानी पांच अप्रैल से शुरू हो रही है। साथ ही सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एमपीसी द्वारा अपने नरम नीतिगत रुख को जारी रखे जाने की उम्मीद है। एमपीसी की बैठक के नतीजों की घोषणा सात अप्रैल को होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक कार्रवाई की घोषणा के लिए उपयुक्त अवसर का इंतजार करेगा। इससे वह खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने और साथ ही वृद्धि को प्रोत्साहन के सर्वश्रेष्ठ नतीजे सुनिश्चित कर सकेगा।
इस समय रेपो दर चार प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है। एडलाइस रिसर्च ने कहा कि आर्थिक पुनरुद्धार अभी असमतल है और सुधार की रफ्तार अभी सुस्त है। इसके अलावा कोविड-19 के मामले बढ़ने से भी चुनौतियां बढ़ी हैं।
एडलवाइस ने कहा कि कुल मिलाकर हमारा अनुमान है कि नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया जाएगा। हालांकि, केंद्रीय बैंक अपना नरम रुख जारी रखेगा।
हाउसिंग.कॉम, मकान.कॉम और प्रॉपटाइगर.कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक के समक्ष इस समय बड़ी चुनौती है। देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। इससे अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर ‘ब्रेक’ लग सकता है। इसके अलावा मुद्रास्फीति की दर भी ऊपर जा रही है।
अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बैंक नीतिगत समीक्षा में रेपो दर में बदलाव नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि इस समय आवास ऋण दर अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं। कई वाणिज्यिक बैंकों ने हाल में ब्याज दरें घटाई हैं। ब्याज दरों में और कटौती से उद्योग और कुल अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
एक्यूट रिसर्च एंड रेटिंग्स के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बांड में रिटर्न बढ़ने के बावजूद एमपीसीअपनी आगामी बैठक में नरम रुख को जारी रखेगी।
सरकार ने पिछले महीने रिजर्व बैंक को पांच साल के लिए और यानी मार्च, 2026 तक खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है।
(साभार: PTI)