Delhi-NCR में बार-बार क्यों आता है भूकंप, कहीं ये किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं?
दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में एक हफ्ते में दूसरी बार भूकंप के तेज महसूस किए गए. आखिर भूकंप आता क्यों है? क्या बार-बार भूकंप आना किसी खतरे की निशानी है?
भूकंपीय जोन के हिसाब से भारत को 4 भागों में बांटा गया है जिसमें जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 शामिल है. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 को बताया गया है. पूरे पूर्वोत्तर को इस जोन रखा गया है. एक्सपर्ट्स की मानें तो यहां 9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है जो भयंकर तबाही मचाने की क्षमता रखता है. इस जोन में जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह को रखा गया है.
जोन 4 में मुंबई, दिल्ली, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के कुछ इलाके को रखा गया है. यहां भूकंप आने का खतरा काफी होता है.
जोन 3 में केरल, बिहार, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश, पंजाब महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्से को अंकित किया गया है.
जबकि जोन 2 में तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा रखा गया है. यहां भूकंप के झटके कम महसूस किए जाते है.
भूकंप की अधिकमत तीव्रता तय नहीं हो पाई है. लेकिन रिक्टर स्केल पर 7.0 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप को सामान्य से खतरनाक माना जाता है. इसी पैमाने पर 2 या इससे कम तीव्रता वाला भूकंप सूक्ष्म भूकंप कहलाता है जो ज्यादातर महसूस नहीं होते हैं. 4.5 की तीव्रता का भूकंप घरों को नुकसान पहुंचा सकता है.
क्यों आता है भूकंप?
धरती के अंदर 7 प्लेट्स ऐसी होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं. ये प्लेट्स जिन जगहों पर ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं. जब प्रेशर ज्यादा बन जाता है तो प्लेट्स टूट जाती हैं. इनके टूटने की वजह से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता ढूंढती है. इसी डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.
दिल्ली-एनसीआर की स्थिती
सिस्मिक हजार्ड माइक्रोजोनेशन ऑफ दिल्ली की एक रिपोर्ट में राजधानी को तीन जोन में बांटा गया है. इसमें ज्यादा खतरे में यमुना नदी के किनारे के ज्यादातर इलाके और कुछ उत्तरी दिल्ली के इलाके शामिल हैं. सबसे ज्यादा खतरे वाले जोन में दिल्ली यूनिवर्सिटी का नार्थ कैंपस, सरिता विहार, गीता कॉलोनी, शकरपुर, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, रोहिणी, जहांगीरपुरी, बवाना, करोलबाग, जनकपुरी हैं.
दिल्ली को हिमालय रीजन बेल्ट से काफी खतरा है. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हुई हैं. एक सरकारी रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जो डेंजर जोन में हैं. ऐसे में राजधानी में बड़े भूकंप की आशंका भी बनी हुई है.
इसकी एक वजह ये भी है कि जब भी नेपाल, पाकिस्तान या अफगानिस्तान में भूकंप आया है, उसके झटके दिल्ली में भी महसूस किए गए हैं. वहीं, दिल्ली को जिस जोन में रखा गया है, उससे आशंका जताई जा रही है कि दिल्ली में 7 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते हैं. इससे भारी तबाही भी हो सकती है. भू-विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली में अगर 6 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है, तो यहां बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि हो सकती है. दिल्ली की आधी इमारतें इस तेज झटके को झेल पाने में सक्षम नहीं है. वहीं, कई इलाकों में घनी आबादी की वजह से बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती है.