मेड इन इंडिया ऐप पर जमकर छोटे वीडियो देख रहे हैं ग्रामीण भारत के यूजर्स: RedSeer रिपोर्ट
'द राइज ऑफ मेड इन इंडिया इन डिजिटल कंटेंट' टाइटल से रेडसीर की एक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि शॉर्ट-फॉर्म वीडियो यूजर बेस पूर्व-टिकटॉक बैन का लगभग 100 प्रतिशत वापस आ गया है, जिसमें भारतीय ऐप्स के प्रति मजबूत निष्ठा देखी गई है।
जून 2020 में भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म टिकटॉक भी शामिल था और इसका भारत में एक बड़ा यूजर बेस था। टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया आउटलेट के बैन के बाद उन यूजर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए, चिंगारी, जोश, रोपोसो, मोज, और एमएक्स टकाटक जैसे मेड इन इंडिया प्लेटफार्मों का एक सैलाब-सा आ गया। RedSeer की एक रिपोर्ट - 'द राइज ऑफ मेड इन इंडिया इन डिजिटल कंटेंट', ने इस बात पर जोर दिया है कि शॉर्ट-फॉर्म वीडियो यूजर बेस लगभग 100 प्रतिशत पर वापस आ गया है यानी कि वहीं पर जहां ये टिकटॉक के बैन से पहले था।
इस रिपोर्ट में कहा गया है, "इंडियन शॉर्ट फॉर्म ऐप 65-70 प्रतिशत से अधिक टिकटॉक यूजर्स को बनाए रखने में सक्षम रहे हैं, जबकि इन्होंने पिछले वर्ष में 30-35 प्रतिशत नए यूजर्स को जोड़ा है। अनिवार्य रूप से टिकटॉक यूजर बेस के 97 प्रतिशत तक वापस आ गए।"
इन ऐप पर दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता (DAU) 97 प्रतिशत के करीब पहुंच गए, यही संख्या जून 2020 के करीब थी। यह मुख्य रूप से प्लेटफार्मों द्वारा आक्रामक मार्केटिंग और यूजर्स एक्वीजीशन के कारण हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्लेटफार्मों पर बिताया गया समय 55 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जोकि यह जून 2020 के बराबर है।
भारत को मिल रहा बढ़ावा
इससे भी महत्वपूर्ण बात रिपोर्ट में यह कही गई है कि इन प्लेटफॉर्मों द्वारा बड़े पैमाने पर जोड़े गए अधिकांश नए यूजर्स (60-62 प्रतिशत) टियर- II सीटीज़ और उसके नीचे के शहरों से हैं। यह ट्रेंड ग्रामीण भारत को ध्यान में रखते हुए प्लेटफॉर्म के भारतीय कंटेंट पर मजबूत फोकस से प्रेरित है। स्टडी से पता चलता है कि वर्तमान शॉर्ट-फॉर्म वीडियो यूजर्स के 75 प्रतिशत इन घरेलू ऐप्स से चिपके रहेंगे, और बैन हटा दिए जाने पर भी चीनी ऐप पर वापस स्विच करने की संभावना नहीं है।
RedSeer कंसल्टिंग में एसोसिएट पार्टनर उज्जवल चौधरी बताते हैं, "टिकटॉक बैन के एक वर्ष से भी कम समय में, भारतीय प्लेटफार्मों ने एक मजबूत वी-शेप रिकवरी दिखाई है, जो टिकटॉक बेन से पहले के डेली यूजर बैस के 100 प्रतिशत तक पहुंची है। यह दिखाता है कि प्लेटफॉर्म ने प्रोडक्ट को कैसे डिजाइन किया है, कैसे अपनी योजनाओं को लागू किया, और बहुत कम समय में इसे आक्रामक रूप से मार्केट में लेकर आए। यह इस बात का एक मजबूत संकेतक है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र कैसे परिपक्व हुआ है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारतीय प्लेटफार्मों ने लंबा सफर तय किया है, लेकिन उनके पास अपनी कंटेंट क्वालिटी और प्रोडक्ट के अनुभव में सुधार करने की अधिक गुंजाइश है। कंपनियों को अभी भी इंगेजमेंट और रिटेंशन पर ग्लोबल और क्रॉस-सेक्टर बेंचमार्क तक पहुंचना है - जो पूरे इकोसिस्टम के लिए मोनेटाइजेशन क्षमता को और बढ़ाएगा। मजबूत नेटवर्क प्रभाव और तेजी से बढ़ता हुआ यूजर बेस, इकोसिस्टम विकास को बढ़ावा दे रहा है, जिससे दोनों इन्फ्लुएंसर्स और प्लेटफार्मों के लिए एक बड़े मोनेटाइजेशन की संभावना है।
ऐप्स जिन्होंने मचाई धूम
रिपोर्ट में कहा गया है, “मोज (Moj), पिछले तिमाही की तुलना में उपभोक्ता और बिजनेस मैट्रिक्स में एक मजबूत लाभार्थी रहा है। इसकी वृद्धि का कारण इसका क्षेत्रीय भाषा बाजार रहा है, खासकर दक्षिणी राज्यों में। दूसरी ओर, रोपोसो ने छोटे शहरों की तुलना में टियर -1 शहरों में मजबूत प्रदर्शन दिखाया है। एमएक्स टकाटक मेट्रो शहरों में नेट प्रमोटर स्कोर (एनपीएस) को लीड कर रहा है। मार्केट शेयर हासिल करने के लिए प्लेटफॉर्म ने टिकटॉक के समान चैलेंजेस और हैशटैग इवेंट आयोजित किए हैं।"
स्टडी के अनुसार, जोश हिंदी बेल्ट और टियर- II + शहरों में मजबूत प्रदर्शन के साथ इन्फ्लुएंसर्स और यूजर-एंड दोनों में लीड कर रहा है।
Josh - मुख्य रूप से भारत के हिंदी बेल्ट से उभरने वाले टियर- II यूजर्स की बढ़ती संतुष्टि (47 प्रतिशत) के चलते एनपीएस पर लीड कर रहा है।
2. Moj - भारत क्षेत्र यानी ग्रामीण भारत में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जिससे टियर- II + शहरों में सर्वश्रेष्ठ संतुष्टि (51 प्रतिशत) के साथ लीड कर रहा है, टियर- I शहरों में दूसरा सबसे अच्छा (38 प्रतिशत) है।
3. MX Takatak - मेट्रो शहरों में कंपटीशन में उच्चतम संतुष्टि (38 प्रतिशत) हासिल करता है।
4. Roposo - जहां रोपोसो टियर- I + शहरों में अच्छा कर रहा है (30 प्रतिशत एनपीएस के करीब है), तो वहीं मेट्रो यूजर्स के बीच संतुष्टि 11 प्रतिशत पर है।
मोनेटाइजेशन
हालांकि मोनेटाइजेशन में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन उज्जवल बताते हैं कि हम इसे अच्छे संकेत के तौर पर देख सकते हैं: "टियर- II और III शहरों में, यूजर बेस में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जिससे ब्रांड्स का ध्यान इस सेगमेंट की ओर आया है।" रिपोर्ट का हवाला देते हुए, वह कहते हैं, "डिजिटल मीडिया 2.37 बिलियन डॉलर वार्षिक खर्च के साथ सबसे तेजी से बढ़ते विज्ञापन चैनल में से एक है।"
FMCG और मीडिया और एंटरटेनमेंट वर्टिकल ऑनलाइन वीडियो पर डिजिटल मीडिया बजट का सबसे बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं, जिससे वे शॉर्ट-फॉर्म वीडियो प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देने वाले सबसे बड़े सेक्टर बन जाते हैं। 10 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स वाले एलीट इन्फ्लुएंसर्स की मासिक कमाई 20,000 से 40,000 डॉलर है।
एक मिलियन फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर 1,000 से 2,500 डॉलर तक कमा सकते हैं, जबकि एक मिलियन से कम फॉलोअर्स वाले नए क्रिएटर्स 40 से 200 डॉलर कमा सकते हैं। उज्जवल कहते हैं, 'प्लेटफॉर्म में लाइट कॉमर्स शुरू होने की गुंजाइश है, शायद एक-एक साल में।'
Edited by Ranjana Tripathi