सामाजिक, आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय याद रखें: कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि किसी भी उद्देश्य के लिए संघर्ष करने वाले लोगों, विशेष रूप से युवाओं को, गांधीजी के अहिंसा के मंत्र को सदैव याद रखना चाहिए और अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, अडिग निष्ठा के साथ, संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए।
नई दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि किसी भी उद्देश्य के लिए संघर्ष करने वाले लोगों, विशेष रूप से युवाओं को, गांधीजी के अहिंसा के मंत्र को सदैव याद रखना चाहिए और अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, अडिग निष्ठा के साथ, संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए।
उनकी इस टिप्पणी को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, हालांकि अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने इसका कोई उल्लेख नहीं किया ।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने 71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा,
‘‘किसी भी उद्देश्य के लिए संघर्ष करने वाले लोगों, विशेष रूप से युवाओं को, गांधीजी के अहिंसा के मंत्र को सदैव याद रखना चाहिए, जो मानवता को उनका अमूल्य उपहार है।’’
उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य उचित है या अनुचित, यह तय करने के लिए गांधीजी की मानव-कल्याण की कसौटी, हमारे लोकतन्त्र पर भी लागू होती है। लोकतन्त्र में सत्ता एवं प्रतिपक्ष दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
कोविंद ने कहा कि राजनैतिक विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ, देश के समग्र विकास और सभी देशवासियों के कल्याण के लिए दोनों को मिलजुलकर आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र-निर्माण के लिए, महात्मा गांधी के विचार आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक हैं। गांधीजी के सत्य और अहिंसा के संदेश पर चिंतन-मनन करना हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए और आज के समय में और भी अधिक आवश्यक हो गया है।
राष्ट्रपति ने कहा,
‘‘गणतंत्र दिवस हमारे संविधान का उत्सव है। आज के दिन, मैं संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहब आंबेडकर के एक विचार को आप सब के साथ साझा करना चाहूँगा। उन्होंने कहा था कि: अगर हम केवल ऊपरी तौर पर ही नहीं, बल्कि वास्तव में भी, लोकतंत्र को बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? मेरी समझ से, हमारा पहला काम यह सुनिश्चित करना है कि अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, अडिग निष्ठा के साथ, संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए। कोविंद ने कहा कि बाबासाहब आंबेडकर के इन शब्दों ने, हमारे पथ को सदैव प्रकाशित किया है। मुझे विश्वास है कि उनके ये शब्द, हमारे राष्ट्र को गौरव के शिखर तक ले जाने में निरंतर मार्गदर्शन करते रहेंगे।’’
राष्ट्रपति ने कहा,
‘‘हमारे संविधान ने, हम सब को एक स्वाधीन लोकतंत्र के नागरिक के रूप में कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। लेकिन संविधान के अंतर्गत ही, हम सब ने यह ज़िम्मेदारी भी ली है कि हम न्याय, स्वतंत्रता और समानता तथा भाईचारे के मूलभूत लोकतान्त्रिक आदर्शों के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहें।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निरंतर विकास तथा परस्पर भाईचारे के लिए, यही सबसे उत्तम मार्ग है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन-मूल्यों को अपनाने से, इन संवैधानिक आदर्शों का अनुपालन हम सबके लिए और भी सरल हो जाता है। ऐसा करते हुए, हम सब, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को और भी सार्थक आयाम दे सकेंगे।
राष्ट्रपति ने शासन व्यवस्था के तीन अंग विधायिका, कार्य-पालिका और न्याय-पालिका का जिक्र करते हुए कहा कि ये तीनों अंग स्वायत्त होते हुए भी एक दूसरे से जुड़े होते हैं और एक दूसरे पर आधारित भी होते हैं, परंतु वास्तव में लोगों से ही राष्ट्र बनता है।
उन्होंने कहा कि ‘हम भारत के लोग’ ही अपने गणतंत्र का संचालन करते हैं। अपने साझा भविष्य के बारे में निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति हम भारत के लोगों में ही निहित है।
राष्ट्रपति ने कहा,
‘‘अब हम इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश कर चुके हैं। यह नए भारत के निर्माण और भारतीयों की नई पीढ़ी के उदय का दशक होने जा रहा है। इस शताब्दी में जन्मे युवा, बढ़-चढ़ कर, राष्ट्रीय विचार-प्रवाह में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि समय बीतने के साथ, हमारे स्वाधीनता संग्राम के प्रत्यक्ष साक्षी रहे लोग हमसे धीरे-धीरे बिछुड़ते जा रहे हैं, लेकिन हमारे स्वाधीनता संग्राम की आस्थाएं निरंतर विद्यमान रहेंगी। टेक्नॉलॉजी में हुई प्रगति के कारण, आज के युवाओं को व्यापक जानकारी उपलब्ध है और उनमें आत्मविश्वास भी अधिक है।
कोविंद ने कहा,
‘‘हमारी अगली पीढ़ी हमारे देश के आधारभूत मूल्यों में गहरी आस्था रखती है। हमारे युवाओं के लिए राष्ट्र सदैव सर्वोपरि रहता है। मुझे, इन युवाओं में, एक उभरते हुए नए भारत की झलक दिखाई देती है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि जन-कल्याण के लिए, सरकार ने कई अभियान चलाए हैं। यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि नागरिकों ने, स्वेच्छा से उन अभियानों को, लोकप्रिय जन-आंदोलनों का रूप दिया है।
उन्होंने कहा कि जनता की भागीदारी के कारण ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने बहुत ही कम समय में प्रभावशाली सफलता हासिल की है। भागीदारी की यही भावना अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों में भी दिखाई देती है - चाहे रसोई गैस की सबसिडी को छोड़ना हो, या फिर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना हो। ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की उपलब्धियां गर्व करने योग्य हैं।