आंकड़े गौर से देखे तो सामने आया टेंशन देने वाला ट्रेंड, पता चल गया क्यों बढ़ रही है महंगाई!
यह लगातार 8वां महीना है, जब अर्थव्यवस्था के लिए रिटेल महंगाई 6 फीसदी से ऊपर रही है, जो 7 फीसदी है. अगर महंगाई 2-6 फीसदी से ऊपर-नीचे जाती है, रिजर्व बैंक उसे कम करने के लिए कदम उठाता है.
महंगाई (Inflation) की मार लगातार बढ़ती ही जा रही है. अगस्त में रिटेल इनफ्लेशन (Retail Inflation) यानी खुदरा महंगाई 7 फीसदी तक पहुंच चुकी है. जुलाई के महीने में यह महंगाई 6.71 फीसदी थी, लेकिन खाने-पीने की चीजों के दाम करीब 7.62 फीसदी बढ़ने के चलते इसमें तेजी देखी जा रही है. एक और चिंता की बात ये है कि जुलाई में अप्रैल में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन ग्रोथ सिर्फ 2.4 फीसदी रही है, जो अप्रैल से लेकर अब तक यानी इस वित्त वर्ष में सबसे कम है.
अगस्त में ग्रामीण महंगाई दर 7.15 फीसदी रही है, जबकि शहरी महंगाई दर 6.72 फीसदी रही है. जुलाई में शहरी महंगाई दर 6.49 फीसदी थी और ग्रामीण महंगाई दर 6.8 फीसदी थी. पिछले महीने खाद्य महंगाई दर 7.62 फीसदी पर रही, जो जुलाई में 6.75 फीसदी थी. सब्जियों की महंगाई दर 13.23 फीसदी हो गई है.
उम्मीदों पर फिरा पानी
अगर पिछले 3 महीनों में थोक महंगाई की बात करें तो इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी ओर रिटेल महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही. थोक महंगाई में गिरावट की खबरों से रिजर्व बैंक उम्मीद कर रहा था कि खुदरा महंगाई में भी गिरावट देखने को मिलेगी. हालांकि, उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद अब अनुमान लगाया जा रहा है कि फिर से रेपो रेट बढ़ाया जा सकता है. थोक महंगाई और खुदरा महंगाई का विपरीत रास्तों पर चलना दिखाता है कि इसके लिए काफी हद तक कंपनियां जिम्मेदार हैं.
कंपनियां नहीं घटा रहीं दाम, इसीलिए बढ़ रही महंगाई!
अगर कोई चीज थोक में सस्ती है, तो वह रिटेल में महंगी कैसे हो सकती है? देखा जाए तो इसकी सिर्फ एक वजह नजर आती है. यूं लग रहा है कि कंपनियां चीजों के दाम नहीं घटा रही हैं, जिससे महंगाई बढ़ रही है. जब पिछले कुछ महीनों में चीजों के दाम बढ़े तो तमाम कंपनियों ने प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाए, लेकिन जब तमाम कमोडिटीज के दाम में गिरावट आने लगी, तो भी कंपनियों ने दाम नहीं घटाए. यह एक बड़ी वजह हो सकती है, जिसके चलते थोक बाजार में तो महंगाई कम हुई है, लेकिन रिटेल में चीजों के दाम कम नहीं होने की वजह से महंगाई अभी भी बहुत अधिक है.
रिजर्व बैंक के लिए चिंता का विषय
यह लगातार 8वां महीना है, जब अर्थव्यवस्था के लिए रिटेल महंगाई 6 फीसदी से ऊपर रही है. यह रिजर्व बैंक की अपर लिमिट भी है. अगर महंगाई 2 फीसदी से नीचे या 6 फीसदी से ऊपर जाती है तो भारतीय रिजर्व बैंक उसे नीचे लाने के लिए तमाम कोशिशें करना शुरू कर देता है. यही वजह है कि पिछले दिनों में कई बार भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है.
फिर से बढ़ेगा रेपो रेट?
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में 3 बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. पहली बार 50 बेसिस प्वाइंट, दूसरी बार 40 बेसिस प्वाइंट और हाल ही में तीसरी बार 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है. यानी कुछ महीनों में ही रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. चंद महीनों में ये दर 4 फीसदी से बढ़कर 5.4 फीसदी हो गई है. अब उम्मीद है कि एक बार फिर से रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा.