कहानी एनजीओ Road Thrill की : लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया
बेंगलुरु की बाइकर कम्यूनिटी का एनजीओ Road Thrill देशभर में अपनी खास पहलों के जरिए लोगों की सेवा कर रहा है.
'सिविल सोसाइटी' भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला शब्द नहीं है, हालांकि हाल के वर्षों में मीडिया ने इसे अपनाना शुरू कर दिया है. भारत में सिविल सोसाइटी बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक (voluntary) संगठनों या अधिक बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द "एनजीओ" या गैर-सरकारी संगठन के बराबर है.
सेंट्रल स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 2009 में घोषणा की कि भारत में 3.3 मिलियन एनजीओ रजिस्टर्ड हैं. यूं कहें कि प्रत्येक 400 भारतीय नागरिकों के लिए एक एनजीओ है. 2020 में, GuideStar India (GSI) के पोर्टल पर 10,000 से अधिक सत्यापित एनजीओ और 1,600 से अधिक प्रमाणित एनजीओ थे. नीति आयोग के 'NGO Darpan' पोर्टल पर भी 100,873 एनजीओ रजिस्टर्ड हैं.
दरअसल, एनजीओ शुरू करने के पीछे मोटे तौर पर एक ही मकसद होता है — समाज की भलाई. और भलाई किसी भी तरह से की जा सकती है. मसलन किसी एनजीओ में दान स्वरुप रुपये देकर, कपड़े या खाने-पीने की चीजें या अन्य जरूरत का सामान देकर.
वहीं, एक ऐसा एनजीओ है जो इस भलाई, नेकी और सेवाभाव की परिभाषा को अपने तरीके से बदल रहा है. बेंगलुरु की बाइकर्स कम्यूनिटी का एनजीओ Road Thrill देशभर में अपनी खास पहलों के जरिए लोगों की सेवा कर रहा है.
Road Thrill की शुरुआत
Road Thrill की शुरुआत फरवरी, 2015 में हुई थी. यह भारत सरकार के साथ रजिस्टर्ड एनजीओ में से एक है. इसकी शुरुआत बेंगलुरु से हुई थी, और अब यह पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, कोयंबटूर, विशाखापट्टनम, गाजियाबाद, गुलबर्गा समेत कुल 12 शहरों में काम करता है. अनूप कुमार टुडू, जैसिंथ पॉल, अर्पण लाहा इस एनजीओ के को-फाउंडर हैं, जबकि कमल चौधरी इस एनजीओ के को-फाउंडर और मेंटर हैं.
क्या कहते हैं को-फाउंडर्स
Road Thrill के को-फाउंडर और मेंटर कमल चौधरी कहते हैं, "हमारा मकसद था कि हम एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाएं जहां कोई भी अपनी स्वेच्छा से आगे आकर, पैसे जमा करके लोगों की मदद कर सके. कभी-कभी सिर्फ पैसा जमा करना ही काफी नहीं होता, बड़ी बात होती है नेकी के लिए लोगों का एक साथ खड़े होना. एक बार जैसे ही यह शुरू हुआ, लोगों से इसे जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. लोग जुड़ते गए और देखते ही देखते यह बड़ी कम्यूनिटी बन गया."
कमल आगे बताते हैं, "हमारे पहले इवेंट की थीम थी- 'हम सब एक हैं'. इस इवेंट में पहली बार 125 लोगों ने भाग लिया. मैं इसी इवेंट के जरिए अनूप, जैसिंथ और अर्पण की इस नेक पहल से जुड़ा."
Road Thrill के को-फाउंडर अनूप कुमार टुडू कहते हैं, "जब हमने Road Thrill की शुरुआत की थी, तब इसका मकसद एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना था, जहां बाइकिंग का लोकतंत्रीकरण हो सके. ये सभी बाइकर्स और ट्रेवलर्स के लिए खुला हो. आज भी, हम इसी मकसद से आगे बढ़ रहे हैं. मेरा मानना है कि यह उन कारणों में से एक है जो Road Thrill की पहुंच को बेंगलुरु से लेकर भारत के 12 शहरों में पहुंचा चुका है."
जैसिंथ पॉल कहते हैं, "Road Thrill की सफलता की कहानी आज ट्रेवलिंग और बाइकिंग से परे है. हमने रेग्यूलर आउटरीच प्रोग्राम्स के जरिए समाज में योगदान देने के लिए अपनी बढ़ती बाइकर कम्यूनिटी की ताकत का फायदा उठाया. उदाहरण के लिए, कोविड-19 लॉकडाउन के शुरुआती दिनों के दौरान, शहरों में हमारी टीमों ने बेहद सराहनीय काम किया. स्थानीय लोगों को जरुरत का सामान पहुंचाने में मदद की. हम हर तीन महीनों में CSR राइड ऑर्गेनाइज करते हैं. कुछ प्रमुख पहलों में बैंगलोर और पुणे में आयोजित एनुअल ऑटिज्म अवेयरनेस राइड, सर्दियों के दौरान जरूरतमंदो को कंबल बांटना आदि शामिल हैं."
अर्पण लाहा कहते हैं, "भारत में बाइक की सवारी बेहद लोकप्रिय हो रही है. हालांकि, सड़क सुरक्षा और अनुशासित मोटरसाइकिलिंग ऐसे पहलू हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर अनदेखा किया जाता है. अक्सर कई लोगों द्वारा इसे स्वीकार भी किया जाता है. Road Thrill में सुरक्षा पहले आती है. हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे सभी राइडर जमीनी नियमों का पालन करें. ये सभी सड़क सुरक्षा और सड़क पर चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं."
कैसे काम करता है Road Thrill
यह एनजीओ देशभर में रोड ट्रिप ऑर्गेनाइज करता है. इन रोड ट्रिप्स में लोग अपनी-अपनी बाइक लेकर चलते हैं. इसके लिए खास ड्रेस कोड भी होता है. रास्ते में वे जहां कोई भी जरुरतमंद नजर आता है, उसकी मदद करते हैं. ये मदद आर्थिक भी होती है और राशन, कपड़े या अन्य जरुरत का सामान हो सकता है.
Road Thrill के काम करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कमल (चौधरी) बताते हैं, "आज के दौर में कोई भी शख्स, किसी भी संस्था या एनजीओ में डोनेशन देता है तो उसे इनकम टैक्स में छूट मिलती है. उस शख्स ने डोनेशन के जरिए मदद तो कर दी लेकिन असल में उसे कभी पता नहीं चलता कि वो मदद किस तक पहुंची है. हम इस प्रोसेस को बिलकुल ट्रांसपैरेंट रखते हैं. यानि की जिसे भी मदद करनी है, हम उसे उस जरूरतमंद से मिलवाते हैं और उस मदद देने वाले के हाथों से नेकी करवाते हैं."
Road Thrill की एक ओर खास बात के बारे में बताते हुए कमल कहते हैं, "हम जब भी किसी ट्रिप पर निकलते हैं तो रास्ते में ब्रेक लेते समय यह ख्याल रखते हैं कि हम छोटे-छोटे ढाबों पर रुकें. उनसे चीजें खरीदें ताकि उनकी आमदनी हो सकें."
कोरोना काल में सेवा
Road Thrill के सदस्यों ने कोरोना काल में काफी जरुरतमंदों को मदद पहुंचायी. घर-घर जाकर लोगों को खाना, राशन और दूसरी जरुरत की चीजें बांटी. वैक्सीनेशन ड्राइव में बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए लोगों को कैंपों तक पहुंचाया और उन्हें वैक्सीन लगवाई. हमने 'रॉबिनहुड आर्मी' एनजीओ, जोकि गरीबों की मदद के लिए भोजन पैकेट तैयार करता है, के लिए लॉजिस्टिक्स का काम किया. हमने 'रॉबिनहुड आर्मी' के भोजन पैकेट्स को घर-घर जाकर बांटा.
इसके अलावा इतने बरसों से यह एनजीओ, इसके फाउंडर, कम्यूनिटी मेंबर और वॉलेंटियर नेकी के मकसद से लगातार काम कर रहे हैं. वे रोड ट्रिप करते हैं और समर्पित भाव से जरुरतमंदों की मदद करते हैं.