लॉकडाउन में ग्रामीण महिलाओं के बीच पहुंचाए सैनेटरी पैड्स, बड़े स्तर पर महिलाओं और लड़कियों को किया जागरूक
"रोहतक के रहने वाले जगजीत और सुनीता ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की मदद के साथ ही प्रवासी मजदूरों को भी सैनेटरी पैड्स बाँटने का काम कर रहे हैं।"
कोरोना महामारी ने सभी को परेशान किया हुआ है, लेकिन भारत के ग्रामीण इलाकों में रह रही महिलाओं को इस महामारी की वजह से बने हालातों के चलते एक अलग तरह की मुश्किल का भी सामना करना पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को इस दौरान सैनेटरी पैड्स की कमी से जूझना पड़ रहा है।
हालांकि इस संकट के समय में ऐसी महिलाओं और लड़कियों की मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ता जगजीत जुगनू और सुनीता आगे आए है।
नहीं मिल पा रहे थे सैनेटरी पैड्स
रोहतक के रहने वाले जगजीत और सुनीता ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की मदद के साथ ही प्रवासी मजदूरों को भी सैनेटरी पैड्स बाँटने का काम कर रहे हैं। बीबीसी के साथ हुए एक साक्षातकार में जगजीत ने बताया है कि जब पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तब उन्होने जरूरतमन्द लोगों को राशन बांटना शुरू किया था।
इस दौरान ही कई महिलाओं ने उन्हे यह बताया कि उन्हे सैनेटरी पैड्स नहीं मिल पा रहे हैं, यहाँ तक कि स्थानीय दुकानों में भी सैनेटरी पैड्स उपलब्ध नहीं हैं। जगजीत ने अन्य लोगों का सहयोग लेते हुए उस समय 2 हज़ार सैनेटरी पैड्स महिलाओं और लड़कियों को उपलब्ध कराये थे।
पहले रहती थी झिझक
सुनीता के अनुसार इस मुहिम को लगातार जारी रखने की जरूरत थी ताकि जरूरतमंद महिलाओं और लड़कियों को सैनेटरी पैड्स बराबर मिल सकें। महिलाओं के स्वास्थ्य और सामान्य सफाई से जुड़े सैनेटरी पैड्स को राशन की तर्ज़ पर बांटने का काम किया जा रहा है।
इतना ही नहीं सुनीता और जगजीत महिलाओं के बीच इसे लेकर जागरूकता फैलाने का भी काम करते हैं। उनके अनुसार ग्रामीण इलाकों की महिलाएं और लड़कियां सैनेटरी पैड्स लेने में झिझक दिखाती हैं, वह घर के पुरुषों के सामने सैनेटरी पैड्स लेना तो दूर उसका नाम तक नहीं लेती हैं।
महिलाओं के बीच बढ़ी स्वीकार्यता
जगजीत और सुनीता की मुहिम का असर है कि प्रवासी महिला मजदूर अब बड़े स्तर पर सैनेटरी पैड्स का इस्तेमाल कर रही हैं। पहले ये महिलाएं कपड़े और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करती थीं जिससे उनके स्वास्थ्य के ऊपर इसका काफी बुरा असर पड़ता था।
आज जगजीत और सुनीता लगातार अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, फिलहाल वे हर महीने 6 सौ से 7 सौ सैनेटरी पैड्स ऐसी महिलाओं और लड़कियों के बीच बांटने का काम कर रहे हैं। जगजीत और सुनीता की इस एक पहल के जरिये अब ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों के बीच सैनेटरी पैड्स के इस्तेमाल को लेकर काफी स्वीकार्यता बढ़ी है।
गौरतलब है कि तमाम रिसर्च और आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 88 फीसदी महिलाएं और लड़कियां सैनेटरी पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती हैं, वहीं ग्रामीण आंचल में रहने वाली लड़कियों के लिए माहवारी स्कूल छोड़ने के प्रमुख कारणों में से एक है।
Edited by Ranjana Tripathi