मिलिए बॉलीवुड की पहली स्टंटवुमन सनोबर पारदीवाला से
Upasana
Saturday August 20, 2022 , 7 min Read
2009 में, सनोबर पारदीवाला मणिरत्नम की बहुभाषी फिल्म रावण के लिए शूटिंग कर रही थीं. फिल्म में उन्हें केरल में अथिरापल्ली झरने के पास 300 फीट की चट्टान से कूदने का स्टंट करना था. फिल्माए जा रहे सीन में दिखाया गया कि फिल्म की हीरोइन एक चट्टान से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह चट्टानों, पेड़ों और शाखाओं से गिरने के बाद बच जाती है और आखिर में नदी में उतर जाती है.
एक स्टंट कलाकार के तौर पर सनोबर ने अपनी पूरी क्षमता के साथ वो स्टंट सीन किया, लेकिन मणिरत्नम ने उनसे कहा कि उन्हें एक और रीटेक करना पड़ेगा. वजह थी, उनके गिरने का तरीका बहुत ज्यादा अच्छा था.
सनोबर बड़ी उत्सुकता के साथ इस बात को याद करते हुए बताती हैं, "उन्होंने (मणिरत्ननम) ने मुझे समझाया कि गिरने वाली महिला एक आदिवासी महिला का किरदार है, वह कोई पेशेवर एथलीट नहीं है. वो अपना जीवन खत्म करने के इरादे से कूद रही है और वो किस्मत से बच जाती है. उसका बचने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि मेरा गिरना थोड़ा 'पेशेवर' सा था. इसलिए मुझे वो सीन दोबारा करना पड़ा."
सनोबर बताती हैं कि "मणिरत्नम को ना मेरी ड्रेस से कोई मतलब था ना ही मेरे बालों या किसी और चीज़ से. वो मुझसे बस गिरने का वह सीन बहुत सटीक और रियल चाहते थे. इस सीन के लिए एक खास बॉडी लैंग्वेज की जरूरत थी, गिरने के बाद मुझे जिंदा भी दिखाना था. इस स्टंट के लिए मुझे टॉरस वर्ल्ड स्टंट अवार्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया था."
सनोबर के पास ऐसे बहुत सारे चटपटे वाकये हैं. ऐसा ही एक और वाकया साझा करते हुए सनोबर बताती हैं कि उसी फिल्म की शूटिंग के दौरान एक शॉट के लिए उन्हें 150 फीट की ऊंचाई से कूदना था. तभी अचानक केबल टूट गई और मैं 75 फीट की ऊंचाई पर झरने के पास ही लटकी रही. ऊपर और नीचे जाने का रास्ता नहीं था. उस समय भी मैं चिल्लाई या चीखी नहीं और खुद को शांत रखा. उस केबल को ठीक करने में लगभग आधा घंटा लग गया. मुझे पता था कि मैं इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती. अगर मैं वहां से चीखती या चिल्लाती तो भी मेरी आवाज झरने की आवाज के साथ से डूब जाती. उस स्थिति में मैं बस झरने के नज़ारे का आनंद ले सकती थी, ध्यान की स्थिति में जा सकती थी. मुझे पता था कि जो भी परेशानी है,उसे जल्दी ही ठीक कर दिया जाएगा.
बता दें कि सनोबर को बॉलीवुड की पहली स्टंटवुमन के रूप में जाना जाता है. 12 साल की उम्र तक वह कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुकी थीं. नक्षत्र डायमंड्स के लिए एक विज्ञापन में उन्होंने ऐश्वर्या राय के बॉडी डबल के रूप में कुछ जिम्नास्टिक मूव्स किए. उन्होंने पाया कि वह इसमें अच्छी हैं. उनकी उम्र भले ही छोटी थी लेकिन इस चीज को उन्होंने कभी आड़े नहीं आने दिया. उन्होंने एक प्रोफेशनल मार्शल आर्टिस्ट बनकर ये साबित कर दिया कि छोटी उम्र उनके जूनून के आड़े नहीं आने वाली. बल्कि बाद में तो उन्हें कम उम्र होने की वजह से काफी फायदा भी मिला.
सनोबर कहती हैं कि मैं पहले से ही मार्शल आर्ट में काफी व्यस्त थी, राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल कर चुकी थी. जब आप एक लड़ाई में होते हैं तो आप समझते हैं कि यह सिर्फ मुकाबले के बारे में नहीं होता. आप योजना बनाते हैं, रणनीति बनाते हैं, सामने वाले की हर चाल,पेशवरों और विपक्षी को समझते हैं, और एक माइक्रोसेकंड के अंदर पूरी कैल्कुलेशन करना सीखते हैं कि कैसे किसी स्थिति को संभालना है. आपके पास सोचने के लिए उस दौरान ज्यादा समय नहीं होता है.
आपको क्यों लगता है कि मैं एक बहुत अच्छी मुक्केबाज हूं, सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं बॉक्सिंग करना जानती हूं बल्कि इसलिए कि मेरा दिमाग विपक्ष की रणनीति और सोच का विश्लेषण कर सकता है. उसके मूव्स को समझ सकता है, और उस सिचुएशन में तेजी से प्रतिक्रिया कर सकता है. सनोबर का कहना है कि ये सजगता शुरूआती उम्र में ही विकसित हो गई.
जब फिल्मों में हीरोइनों के लिए बॉडी डबल के रूप में काम शुरू किया तब मुझे इस अनुभव का फायदा मिला. मैं अपनी शूटिंग के पहले दिन ही समझ गई थी कि मैं सटीकता के साथ स्टंट करने में बहुत अच्छी हूं. मैं ये भी अच्छे से समझ सकती थी कि निर्देशक क्या चाहता है. मेरे चेहरे को उस खास एंगल पर कैसे झुकाया जाए ताकि कैमरे में चेहरा ना दिखकर सिर्फ बाल दिखें. मेरे पास समझ का ठीक-ठाक स्तर था लेकिन मैं इसे परिपक्वता नहीं कहूंगी. हां, लेकिन मेरे पास उस स्तर की समझ थी, जिसके जरिए आप सजग होते हैं. कार्लब सनोबर ने जब अपना स्कूल खत्म किया, तब तक वह 40 फिल्मों में स्टंट डबल के रूप में काम कर चुकी थीं.
सनोबर ऐसा ही एक और वाकया याद करते हुए बताती हैं कि उन्होंने भूत फिल्म के लिए एक इमारत की 16 वीं मंजिल से वह कूदा था. उस समय वह 16 साल की ही थीं. फिर उन्होंने हीरो: द लव स्टोरी ऑफ अ स्पाई में प्रीति जिंटा के डबल की जगह एक बड़े बम विस्फोट वाले सीन में भी काम किया. जिसमें लोग पाकिस्तान की ओर एक नदी में बहते हुए आ रहे हैं. पूरा सीन बहुत सारे पानी और आग के बीच टूटे हुए कांच के साथ फिल्माया गया था.
हाल ही में सनोबर ने शमशेरा फिल्म के लिए एक ट्रिकी सीक्वेंस शूट किया, जहां उन्हें पानी के भीतर का नजारा दिखाने के लिए कम से कम 15 फीट से गोता लगाना पड़ा. "उस दृश्य को फिल्माना, उसे फ्रेम करना और साड़ी पहनकर पानी के भीतर सही लाइटनिंग देना साथ ही और 20 फीट नीचे जाना, और वहां तैरना थोड़ा चुनौतीपूर्ण था. मेरे पास कोई ऑक्सीजन या सांस लेने का उपकरण नहीं था. इस तरह से बिना ऑक्सीजन के सांस लेने के व्यायाम और इसे एक्जीक्यूट करने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है. क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि आपकी सांस टूटने लगती है."
सनोबर इस बात से सहमत हैं कि कुछ साल पहले "स्टंटवुमन" जैसी कोई अवधारणा नहीं थी. वह सुनने की आदी थीं कि 'स्टंटमैन को बुलाओ' केवल उन्हें करेक्ट करने के लिए आप मुझे स्टंटवुमन कह सकते हैं!' इसकी स्वीकृति और समझ आने में थोड़ा समय लगा. बॉलीवुड की लोकप्रिय अभिनेत्रियों के साथ काम कर चुकीं स्टंटवुमन को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि उनका नाम किसी फिल्म के क्रेडिट में आता है या नहीं. सनोबर कहती हैं कि पिछले पांच सालों से हर शख्स को उनके द्वारा किए गए कामों के लिए श्रेय दिया जा रहा है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह एक बड़ा मुद्दा है. गौरतलब है कि स्टंट डबल्स 'मूवी स्टंट आर्टिस्ट एसोसिएशन' का हिस्सा हैं जो उन्हें हेल्थ बीमा प्रदान करता है.
सनोबर का कहना है कि अभिनेता अक्षय कुमार ने इस पहल का बहुत समर्थन किया है जिससे कि यह सुनिश्चित हो कि स्टंट करने वालों का भुगतान नियमित हो और उनके लिए काम करने की स्थिति अनुकूल हो. सनोबर जो जोखिम उठा रही हैं, उसके बदले उन्हें सही हर्जाना मिलता है? इस पर सैनोबर काफी व्यावहारिक हैं. वो कहती हैं कि मैं जितना जोखिम लेती हूं उसके लिए कोई पैसा काफी नहीं है. मायने ये रखता है कि आप क्या चाहते हैं. मेरे लिए यह पूरी तरह से मेरी परफॉर्मेंस के बारे में है.
निष्कर्ष के तौर पर सनोबर का कहना है कि अगर आप मुझसे पूछें कि मैं अब से 10 साल बाद खुद को कहां देखती हूं तो उस वक्त भी वो जगह एक फिल्म का सेट होगा. क्योंकि यही वह चीज है जिसको लेकर मैं जुनूनी हूं.
मैं या तो स्टंट कोरियोग्राफ करूंगी या एक सुरक्षा संबंधी चीजों का काम देखूंगी या फिर किसी मुसीबत के दौरान रेस्क्यू करने का काम देखूंगी, क्योंकि मैं इसके लिए बकायदा क्वालिफाइड हूं. मैं खुद को और कुछ करते हुए नहीं देखती. मेरा दिल बस यहीं है.