स्कूली शिक्षा को क्रिएटिव बनाने के लिए NCERT ने शामिल किए हड़प्पाकालीन खिलौने, किताब तैयार की
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप खिलौना आधारित पठन-पाठन पर एक व्यापक पुस्तिका विकसित की है.
स्कूली शिक्षा को रुचिकर बनाने एवं बच्चों में रचनात्मक सोच के विकास के लिए पाठ्यक्रम में पतंग, नौका, टोपी, लट्टू, गुलेल, शतरंज, मुखौटे, कठपुतली, हड़प्पाकालीन खिलौने, घूमने वाला चक्र, मिट्टी के वर्तन, वाद्य यंत्र आदि खिलौनों की मदद ली जाएगी.
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप खिलौना आधारित पठन-पाठन पर एक व्यापक पुस्तिका विकसित की है . प्रारंभिक कक्षा से लेकर बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में ऐसे प्रमुख विषयों को खिलौना आधारित सीखने की कला से जोड़ने का सुझाव दिया गया है जो बच्चों को अरूचिकर लगते हैं.
पुस्तिका में कहा गया है कि खिलौनों को पठन पाठन से जोड़ते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका स्वरूप लचीला हो. इसमें सीखने वालों को खिलौनों के साथ खेलने के साथ विषयों से जुड़े तत्वों को तलाशने, उनके बारे में सोचने तथा ग्रहण की गई बातों को अभिव्यक्त करने का मौका मिले
इसमें कहा गया है कि देश में पारंपरिक खिलौनों की एक समृद्ध विरासत है, जिनका विकास उपमहाद्वीप में कई हजार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में किया गया था. भारतीय खिलौने न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि वैज्ञानिक सिद्धांत भी सिखाते हैं. उदाहरण स्वरूप 'लट्टू' गुरुत्वाकर्षण व संतुलन और 'गुलेल' स्थितिज और गतिज ऊर्जा सिखाता है.
इसमें लकड़ी के ब्लाक, बच्चों के खेलने में उपयोग होने वाले चक्के एवं अन्य प्रकार के ब्लाक के जरिये भी बच्चों को पढ़ाने का सुझाव दिया गया है . बच्चों को चित्रकला के लिये ब्रश का उपयोग, बालू से आकृतियां बनाने, मिट्टी से बर्तन एवं अनुपयोगी कपड़ों एवं अन्य सामग्रियों से मुखौटा बनाना सिखाने का भी सुझाव दिया गया है.
पुस्तिका में बच्चों को तबला, ड्रम, हारमोनियम, प्यानों, बांसुरी सहित संगीत उपकरणों पर आधारित खिलौनों के माध्यम से पढ़ाने का सुझाव दिया गया है . इससे बच्चों में राग और स्वर की समझ विकसित होगी . पुस्तिका में अर्जुन का लक्ष्य का उपयोग ध्यान, चिंतन, एकाग्रता एवं अभ्यास कौशल के विकास तथा भारतीय मुखौटे का उपयोग संज्ञानात्मक कौशल एवं भारतीय संस्कृति के बारे संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिये करने की बात कही गई है.
बोर्ड आधारित खेलों से जुड़े खिलौने का उपयोग जल संरक्षण, समस्या समाधान, सामुदायिक समस्याओं के समाधान तथा बैलून कार का उपयोग न्यूटन के तृतीय गति सिद्धांत को समझाने के लिये करने का सुझाव दिया गया है. धातु के तार से संबंधित सर्किट का उपयोग परिपथ के सिद्धांत की व्याख्या करने, ईको ट्यूट का उपयोग जैव विविधता, निर्णय करने की क्षमता को बताने के लिये किया जा सकता है.
पुस्तिका के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने पिछले वर्ष फरवरी में एक परिपत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि भारत सरकार ने खिलौनों को शिक्षा के एक माध्यम के रूप में उपयोग करने की पहल शुरू की है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकार ने स्कूली शिक्षा एवं प्रारंभिक बचपन देखरेख एवं शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है.
Edited by Vishal Jaiswal