साइंस रिसर्च पब्लिशर्स ने ChatGPT को किया बैन, जानिए इसकी वजह क्या है
ChatGPT ने जितनी मुश्किलें आसान की हैं, उतनी ही कई सेक्टरों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. ChatGPT ने लॉन्च के बाद से ही कविताओं, लघु कथाओं, निबंधों और यहां तक कि व्यक्तिगत सलाह को पेश कर 10 लाख से अधिक ह्यूमन यूजर्स को प्रभावित या चिंतित किया है.
इंटरनेट और सर्च इंजन आने के बाद किसी भी सवाल का जवाब जानना या किसी जानकारी को हासिल करना बस कुल पलों का काम रह गया. लेकिन पिछले साल एक ऐसी टेक्नोलॉजी सामने आई, जो ऐसी जानकारियों को केवल कुछ ही मिनटों में लिखकर देने लगी.
यह अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित चैटबॉट ChatGPT है. इसे पिछले साल नवंबर में ओपनएआई नाम की कंपनी ने लॉन्च किया था. इंटरनेट ब्राउजर के जरिए कोई भी ChatGPT में इंटरैक्ट कर सकता है. आपके सवाल टाइप करते या कमांड देते ही, ChatGPT लगभग हर चीज का जवाब लेकर हाजिर हो जाता है.
बता दें कि यह सॉफ्टवेयर इंसान की तरह सोच-समझकर आपके सवालों का जवाब देता है और आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपको मशीनी जवाब मिल रहा है. यह उत्तर ठीक वैसा ही होगा जैसा मनुष्य देता है.
हालांकि, ChatGPT ने जितनी मुश्किलें आसान की हैं, उतनी ही कई सेक्टरों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. ChatGPT ने लॉन्च के बाद से ही कविताओं, लघु कथाओं, निबंधों और यहां तक कि व्यक्तिगत सलाह को पेश कर 10 लाख से अधिक ह्यूमन यूजर्स को प्रभावित या चिंतित किया है.
इसका कारण है कि ChatGPT स्टूडेंट्स द्वारा पेश किया जा सकने वाले निबंध लिख सकता है, रिसर्च पेपर्स को सारांशित कर सकता है, मेडिकल परीक्षा पास करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रश्नों का उत्तर दे सकता है और कंप्यूटर कोड भी जनरेट कर सकता है.
अकेडमिक सेक्टर के लोग इसके दुरुपयोग को लेकर सबसे अधिक चिंतित हैं. यही कारण है कि हजारों साइंस जर्नल्स के पब्लिशर्स ने ChatGPT के उपयोग पर बैन लगा दिया है या प्रतिबंधित कर दिया है. उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि यह अकेडमिक लिटरेचर में गलतियों की भरमार कर सकता है और यहां तक कि मनगढ़ंत रिसर्च भी जोड़ सकता है.
दुनिया के सबसे बड़े अकेडमिक पब्लिशर, स्प्रिंगर नेचर ने कहा है कि ChatGPT जैसे एआई उपकरण पारदर्शी विज्ञान के लिए बड़ा खतरा है. इसमें कहा गया है कि ChatGPT जैसे सॉफ्टवेयर को पब्लिश्ड पेपर्स में एक लेखक के रूप में श्रेय नहीं दिया जा सकता.
नेचर ने एक लेख में कहा, सबसे पहले किसी भी लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल्स (LLMs) टूल को रिसर्च पेपर पर क्रेडिट ऑथर के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑथरशिप के किसी भी एट्रिब्यूशन में काम के लिए जवाबदेही होती है और एआई टूल्स ऐसी जिम्मेदारी नहीं ले सकते.
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी वजह LLM टूल या AI चैटबॉट्स का उपयोग करने वाले रिसर्चर्स को मेथड्स या एकनॉलेजमेंट्स सेक्शंस में उपयोग का डॉक्यूमेंटेशन करना चाहिए.
पब्लिशर ने कहा, यदि एक पेपर में ये सेक्शंस शामिल नहीं हैं, तो परिचय या अन्य उपयुक्त सेक्शंस का उपयोग LLM के उपयोग के दस्तावेज के लिए किया जा सकता है.
वहीं, लीडिंग अमेरिकी जर्नल साइंस के एडिटर इन चीफ, होल्डन थॉर्प ने एक अपडेटेड एडिटोरियल पॉलिसी की घोषणा की. इसमें उन्होंने ChatGPT से टेक्स्ट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया और साफ किया कि इस प्रोग्राम को एक लेखक के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है.
दरअसल, इसने रिसर्च के ऐसे सार तैयार किए हैं, जो इतने अच्छे हैं कि वैज्ञानिकों को यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि एक कंप्यूटर ने उसे लिखा है.
Edited by Vishal Jaiswal