SEBI ने रद्द किया इस रेटिंग एजेंसी का रजिस्ट्रेशन, बिजनेस बंद करने का आदेश, जानिए क्या काम होता है सेबी का
सेबी ने पहली बार किसी रेटिंग एजेंसी का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है. सबसे बड़ी सख्ती तो ये है कि 6 महीनों में एजेंसी को अपना बिजनेस बंद करना होगा. कंपनी पर कई आरोप हैं, जिनके तहत सेबी ने ये सख्त कार्रवाई की है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) ने गुरुवार को एक कंपनी के खिलाफ बेहद सख्त एक्शन लिया है. सेबी ने रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया (Brickwork Ratings India) का लाइसेंस ही रद्द कर दिया है. अमूमन नियमों के उल्लंघन पर सेबी कंपनियों पर भारी-भरकम जुर्मा लगाती है. इस बार सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स को साफ कह दिया है कि वह अगले 6 महीने में भारत से अपना सारा बिजनेस समेट ले और वापस चले जाए. यह पहली बार है जब सेबी ने किसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के खिलाफ इतना सख्त रवैया अपनाया है. मामला गंभीर होने की हालत में ही सेबी ऐसे सख्त कदम उठाती है.
क्या गलती की ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने?
सेबी ने ब्रिकवर्क पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने उचित रेटिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और साथ ही रेटिंग देते समय सही तरीके से जांच-परख भी नहीं की. रेटिंग एजेंसी अपनी रेटिंग को सपोर्ट करने के लिए दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स का रख-रखाव करने में भी असफल रही. इतना ही नहीं, कंपनी ने अपने इंटरनल नियमों के तहत समयसीमा का पालन भी सुनिश्चित नहीं किया. इसके अलावा रेटिंग की निगरानी से जुड़ी सूचना देने में भी कंपनी ने देरी की. रेटिंग कमेटी के सदस्यों से जुड़े हितों के टकराव के मामले में भी एजेंसी ने नियमों का पालन नहीं किया है. एक मामला भूषण स्टील से भी जुड़ा है.
सेबी ने माना है कि रेटिंग एजेंसी का ऐसा बर्ताव निवेशकों की सुरक्षा और सिक्योरिटीज मार्केट के सिस्टमैटिक ग्रोथ के लिए एक बड़ा जोखिम है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया के अनुसार ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत थी, जिससे बाजार पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण किया जा सके. यही वजह है कि सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है.
क्या काम होते हैं सेबी के?
1- सिक्योरिटीज मार्केट में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और बाजार को उचित उपायों के माध्यम से विनियमित और विकसित करना.
2- स्टॉक एक्सचेंजों और किसी भी अन्य प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय का रेगुलेशन करना.
3- स्टॉक ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स, शेयर ट्रान्सफर एजेंट्स, ट्रस्टीज, मर्चेंट बैंकर्स, अंडर-रायटर्स, गोल्ड एक्सचेंज, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कामों को रेगुलेट करना और उनका रजिस्ट्रेशन करना.
4- म्यूचुअल फंड की सामूहिक निवेश योजनाओं का रजिस्ट्रेशन करना और उनका रेगुलेशन करना.
5- प्रतिभूतियों के बाजार से सम्बंधित अनुचित व्यापार व्यवहारों (Unfair Trade Practices) को समाप्त करना.
6- प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करना और निवेशकों की एजुकेट करने के लिए प्रोत्साहित करना.
7- प्रतिभूतियों की इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना.
सेबी अपने ये सारे काम करते हुए निवेशकों, कंपनियों, सिक्योरिटीज मार्केट और देश के हित में सख्त से सख्त कदम उठा सकती है. सेबी कंपनियों पर जुर्माना लगा सकती है और मामला गंभीर होने पर रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकती है. इसी साल की शुरुआत में ही सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड समेत 11 डिपॉजिटरी प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था. एक अन्य आदेश जारी करते हुए चार अन्य स्टॉक ब्रोकर्स का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था. सेबी ऐसे सख्त कदम तब उठाता है, जब मामला बहुत गंभीर हो जाता है.
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