SEBI ने BSE पर लगाया 3 लाख का जुर्माना, डीमैट अकाउंट को लेकर जारी किए नए नियम
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन (SECC) रेग्यूलेशन, 2018 के उल्लंघन के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
यह आदेश BSE की सहायक कंपनियों - BSE Technologies (BTPL), Marketplace EBIX Technology (METSPL), BSE Tech Infra Services (BTISPL), BIL Reyson Futures और Indus Water Institute पर भी लागू होता है. यह आदेश एक्सचेंज द्वारा विभिन्न सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी के अधिग्रहण से संबंधित है, जोकि सेबी की मंजूरी के बिना पूरे हुए थे. इस संबंध में जनवरी में बीएसई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
सेबी ने यह पता लगाने के लिए अपनी जांच की कि क्या बीएसई के निवेश असंबंधित थे या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में इसकी गतिविधि के लिए आकस्मिक नहीं थे.
यह आरोप लगाया गया था कि बीएसई ने 2009 में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी BTPL के जरिए सेबी की मंजूरी के बिना अपनी गतिविधियों को जारी रखा और अप्रत्यक्ष रूप से BTISPL और METSPL के माध्यम से असंबंधित / गैर-आकस्मिक गतिविधियों को अंजाम दिया, जो BTPL की सहायक कंपनियां थीं.
सेबी ने डीमैट अकाउंट की KYC को लेकर जारी किए नए नियम
केवाईसी के मामले में निवेशकों के ट्रेडिंग एवं डीमैट अकाउंट्स (Demat Accounts) को अपने आप निष्क्रिय करने के लिए शुक्रवार को नए नियम जारी किए. ये नियम 31 अगस्त से लागू हो जाएंगे. सेबी ने कहा है कि पता किसी भी केवाईसी का एक महत्वपूर्ण भाग है और इसे एकदम सही होना चाहिए.
केवाईसी के तहत पते को समय-समय पर बिचौलिए के माध्यम से अपडेट किया जाना चाहिए. लेकिन सेबी ने पाया है कि ऐसा नहीं हो रहा है. सेबी जब किसी कार्यवाही को लेकर डीमैट खाताधारकों को नोटिस भेजता है तो वे संबंधित खाताधारक तक पहुंचते ही नहीं है. अब नए नियमों के तहत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) जैसे शेयर मार्केट, को संबंधित खाताधारक को कारण बताओ नोटिस या नियामक द्वारा जारी आदेश खुद पहुंचाना होगा.
क्या है सेबी?
सेबी, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया, एक नियामक संस्था है, जो सिक्योरिटीज मार्केट में स्टॉक के ट्रांजेक्शन को रेगुलेट करती है. यह अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ऑपरेटिव के सामान है. सेबी का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है. साथ ही, यह संस्था, ट्रेडर्स और निवेशकों को किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी और स्कैम के खिलाफ मदद प्रदान करती है.
यह स्टॉकब्रोकर, सब-ब्रोकर्स, रजिस्ट्रार, ट्रस्टी, बैंकर्स से एक इश्यू, पोर्टफोलियो मैनेजर और अन्य बिचौलियों के प्रदर्शन को नियंत्रित और ऑडिट भी करता है.
सेबी की शुरुआत
यह आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में स्थापित की गयी थी. वर्ष 1992 में, भारतीय संसद द्वारा सेबी एक्ट 1992 के पारित होने के साथ इसे वैधानिक शक्तियां दी गई थीं.
SEBI का मुख्यालय मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में है. इसके नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
सेबी के अस्तित्व में आने से पहले कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज (Controller of Capital Issues) एक नियामक प्राधिकरण (Regulatory Authority) था. इसे कैपिटल इश्यूज़ (कंट्रोल) एक्ट, 1947 के तहत अधिकार दिया गया. शुरुआत में, सेबी बिना किसी वैधानिक शक्ति के एक गैर वैधानिक निकाय था.
हालाँकि 1995 में, सेबी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 में संशोधन के माध्यम से भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त वैधानिक शक्ति प्रदान की गई थी. अप्रैल, 1988 में सेबी का गठन भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत भारत में पूंजी बाजार के नियामक के रूप में किया गया था.